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Showing posts from March 28, 2011

होनहार नन्हे आविष्कारक

रेम्या, अर्चना, राकेश, निशा, अभिषेक, रिया, निमरन, काम्या, मेहर और अशोक न तो बड़ी उम्र के अनुभवी लोग हैं और न ही हार्वर्ड या ऑक्सफोर्ड से पढ़कर निकले नामचीन वैज्ञानिक। ये भारत के विभिन्न हिस्सों में स्कूलों में पढ़ रहे किशोर उम्र के छात्र हैं। पिछले सप्ताह जब नेशनल इन्नोवेशन फाउंडेशन ने इन मेधावी छात्रों को इनकी खोज के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया और इनके आविष्कारों को प्रदर्शित किया, तो बड़े-बड़े लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली, जिनमें कई विदेशी और वैज्ञानिक भी थे। कितने लोगों को यह खयाल आता है कि एक ऐसी वाशिंग मशीन बनाई जाए जो साइकिल की तरह पैडल से चले ताकि कपड़े भी धुल जाएं और लगे हाथ व्यायाम भी हो जाए और बिजली की किल्लत से भी छुटकारा मिल जाए? स्टेशन पर लगातार खड़े-खड़े रेल के इंतजार में सामान की चौकसी करते हुए कितने लोग सोचते हैं कि अटैची में एक कुर्सी जुड़ी होती ताकि उसे खोलकर बैठ जाते और आराम से रेल के आने का इंतजार करते? कितनों को यह खयाल आता है कि काश एक ऐसी मशीन होती जिसमें सारा सामान डाल देते और खाना अपने आप बन जाता? पैरों से मोहताज किसी व्यक्ति को बैसाखी के सहारे