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Showing posts from December 3, 2010

विडंबना

                                                                                                                                                                                                                                                                                                           कितनी बड़ी विडंबना है ये हमारे देश की , की हम जिस बेटी को पैदा होते ही एक बोझ समझ बैठते हैं  उसी बोझ के  साथ हम सारी जिंदगी भी बिताना चाहते हैं ! बचपन से लेकर मरने तक वही लड़की अलग -अलग रूप ले कर हमारा  साथ भी निभाती चलती है ! जिसके बिना आदमी एक पल भी नहीं गुजार सकता और कुछ लोग   फिर अपने घर मै उसके आगमन करते ही उसे कभी अपनी मुसीबत , कभी बोझ समझ कर जीते जी मार डालना चाहता है ! कितने  नासमझ है वो इन्सान जो इतनी बड़ी हकीकत को नहीं समझ पाते  या फिर ये कहो की समझना ही नहीं चाहते  और उससे अपना पीछा छुडाना चाहते  है ! उनकी  नकारात्मक सोच उसका उसके दहेज़ को लेकर सोचने वाली परेशानी और समाज की अन्य कुरीतियों  को लेकर उसके साथ जोड़ कर सोचना उसके कमजोर व्यक्तित्व का परिचय ही तो देती है ! और उसकी संगिन