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Showing posts from May 15, 2009

~~~~~~~~~~~~~~~~~~राम बाण दावा है ये~~~~~~~~~~~~~~

और अब क्या ........ धुप में लेन लगा कर वोट दिया | लोगो से वोट देने के लिए कहाँ पर ........... सर कार वो चाहेंगे और विकास भी वो चाहेंगे ............. क्यो ! क्यो ! सरकार सब वर्ग की हो ये जनता की राय है कानून भी इससे से बसता रखता है । सब वोट सबके लिए हम क्या कर सकते है । या हम रे लिए क्या बिकल्प है | आज हमने जिन्हें जिताया वो हार गए और जो जीता वो विकास कराएगा वहां जहाँ पर उसका या उसकी पार्टी का वर्चस्व होगा उसके लोग होंगे बिजली पानी सब फ्री मिलेगी इस बात का निर्धारण कौन करेगा की किस छेत्र को कितनी सुभिदः मिलेगी । ये नेता ये नही कर्पयंगे क्योकि इनकी मानसिकता इतनी गिनौनी है की ये मरी माँ को भी बेचने में शर्म नही करंगे तो आप के छेत्र का विकास कैसे कर्नेगे मेरा राम वान् उपाय विकाश का आधार जहाँ जितने परसेंट मतदान या % के आधार पर विकास जिस भूत पर जितना अधिक वोट डाला उस के लिए उतना पैसा जो वोट डालने जाएगा वो विकाश करवाएगा इस बात को

Loksangharsha: यहि देस कै भैया का होई

आओ हम सब मिलिकै रोई । यहि देस कै भैया का होई॥ खादी खाकी मौसेरे भाई , काटे मनइन कै गटई । आपन - आपन धरम छोडि , उई करत है दुनो चोरकटई ॥ यहि देस कै भैया का होई ॥ आओ हम .... तुम देखो जाई कचेहरी मा , सब रोवा - रोवा नोच लेई। अर्दली , वकील और पेशकार , मिली खून चूस जस जोंक लेई ॥ यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम .... राम अंधेरे जन - प्रिय नेता , काटि चुके दस साल जेल है। और लड़े इलेक्शन जेलै से , मुल अब तो उई मंत्री जेल है ॥ यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम .... बासी रोटी टूका - टूका , घिसुआ कै लरिके बाँटी रहे । जनता के सेवक नेताजी , मुर्गा बिरयानी काटि रहे ॥ यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम .... नेता जी के घर भरी पड़ी , काजू बादामन की बोरी । मुल मूंगफली का तरस रहे , मजदूरन कै छोरा - छोरी ॥ यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम .... मोहम्मद जमील शास्त्री प्रवक्ता ( हिन्दी )

हाँ बंधुओं....अब हमें इन सबकी तवज्जो करनी है....

हाँ बंधुओं....अब हमें इन सबकी तवज्जो करनी है.... मैं भूत बोल रहा हूँ ..........!! पूं ...... पूं ...... पूं ........!! होशियार ..... खबरदार ....... हर राहगुजर ......!! कुछ लोग फिर से राजा बनने जा रहे हैं .....!! आपने उनकी तवज्जो करनी है ......!! अभी उनके भाग्य की रेखाओं की उलटी गिनती शुरू होने वाली है ....!! अभी से हर तरफ़ नोटों के बण्डल और पैकेजों के पैकेज धरे जा रहे हैं ......!! अभी से कितने ही लोग मैनेज किए जा रहे हैं .....!! अभी सारी पार्टियों के दरबार खुले हुए हैं ....!! सरकार बनते ही बंद हो जायेंगे फ़िर से इस लोकतंत्र के मन्दिर के कपाट........ आम लोगों के लिए पाँच साल के लिए बंद .....!! इसी लोकतंत्र की हमें तवज्जो करनी है .....!! अभी - अभी संपन्न हुए इस मन्दिर की ठेकेदारी के चुनाव में खर्च हुए हैं महज पचास हज़ार करोड़ रूपये ..... जो अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में हुए खर्च .... आठ हज़ार करोड़ से बस कुछ ही ज्यादा है ....!! कारण .....!! अमेरिका में तो बेतरह मंदी है