यह एक बहुत ही जरूरी रिपोर्ट है, जो बताती है कि देश का एक महत्वपूर्ण संस्थान कैसे कैसे लोगों के चंगुल में फंसा है। इस रिपोर्ट से जुड़े तमाम तथ्य हमारे पास हैं। जरूरत पड़ी तो हम उन तथ्यों की सिलसिलेवार प्रस्तुति यहां जारी करेंगे। इस रिपोर्ट की एक कॉपी अशोक चक्रधर को भी मेल कर दी गयी है। अगर वे इस रिपोर्ट से जुड़े तथ्यों के संदर्भ में हमें वापस कोई मेल करते हैं, तो हम उसे भी यहां शेयर करेंगे : मॉडरेटर कें द्रीय हिंदी संस्थान जिसका मुख्यालय आगरा में है और दिल्ली सहित आठ क्षेत्रीय केंद्र हैं, में उपाध्यक्ष पद के लिए कोई नियमित राशि अथवा तनख्वाह का प्रावधान नहीं है। सिर्फ संस्थान के लिए किये गये कार्यों में उन्हें मानदेय दिये जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अशोक चक्रधर अपने पद का दुरुपयोग कर संस्थान को अब तक विभिन्न मदों में प्रतिमाह लाखों का चूना लगा रहे हैं। लगता है जैसे अशोक चक्रधर ने केंद्रीय हिंदी संस्थान को अपना चारागाह बना लिया है। संस्थान की गतिविधि अथवा उसके विकास से चक्रधर को कोई लेना-देना नहीं है। दिल्ली केंद्र पर पिछले लगभग