आज आपको जीवन के एक और अनुभव से परिचित कराती हूॅँ। जिसमें सरकारी दफ्तर के कर्मचारीयेां की कामचोरी साफ नजर आती है। जाने कितने सरकारी दफ्तर है। जहाँ पर काम करने की समय सीमा कर्मचारियों की मर्जी पर ही निर्भर करती है। काम के लिए निर्धारित समय सीमा कर्मचारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती। बात कुछ दिन पहले कि है। घर पर कोई न होने के कारण बिजली का बिल जमा करने की जिम्मेदार मेरे सर थी। वही शिवरात्रि की छुट्टी पर अपने घर भिण्ड जाने का मन भी था। सो शनिवार को बिल जमा करने का मन बना लिया। अब मैने सबसे पहले बिल देखा जिस पर बिल जमा करने के लिए सुबह नौ बजे से शांम 4 बजे का समय दिया था। इसलिए जल्दी जल्दी सारे काम खत्म कर 2 बजे के करीब पास ही के सर्विस क्रमांक पर पहुँची। वहाँ पहुँची तो देखा कि बिल जमा करने वाली खिडकी बन्द हो चुकी अब मैने दोबारा बिल पर दिए समय को देखना उचित समझा कहीं मैने देखने मैने कोई गलती तो नहीं कर दी