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Showing posts from February 25, 2009

यहाँ तो चलेगी हमारी मर्जी

आज आपको जीवन के एक और अनुभव से परिचित कराती हूॅँ। जिसमें सरकारी दफ्तर के कर्मचारीयेां की कामचोरी साफ नजर आती है। जाने कितने सरकारी दफ्तर है। जहाँ पर काम करने की समय सीमा कर्मचारियों की मर्जी पर ही निर्भर करती है। काम के लिए निर्धारित समय सीमा कर्मचारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती। बात कुछ दिन पहले कि है। घर पर कोई न होने के कारण बिजली का बिल जमा करने की जिम्मेदार मेरे सर थी। वही शिवरात्रि की छुट्टी पर अपने घर भिण्ड जाने का मन भी था। सो शनिवार को बिल जमा करने का मन बना लिया। अब मैने सबसे पहले बिल देखा जिस पर बिल जमा करने के लिए सुबह नौ बजे से शांम 4 बजे का समय दिया था। इसलिए जल्दी जल्दी सारे काम खत्म कर 2 बजे के करीब पास ही के सर्विस क्रमांक पर पहुँची। वहाँ पहुँची तो देखा कि बिल जमा करने वाली खिडकी बन्द हो चुकी अब मैने दोबारा बिल पर दिए समय को देखना उचित समझा कहीं मैने देखने मैने कोई गलती तो नहीं कर दी

नकली भड़ास के मुंह पर ''व्योम श्रीवास्तव'' का तमाचा

नकली भड़ास के कुछ लेखकों ने व्योम श्रीवास्तव जी पर कुछ निराधार आरोप लगाये थे की उन्होंने जो पोस्ट यहाँ पर डाली है उससे वर्किंग वूमन की चाबी ख़राब हुई है क्योंकि यह पोस्ट फर्जी सर्वे के आधार पर हुई थी! इसी आरोप के पीछा छुडाने के लिए आज व्योम जी ने मुझे फ़ोन किया की संजय जी भले ही आपने मेरी सदस्यता समाप्त कर दी है लेकिन अंतिम बार आप इसी पोस्ट को जरुर प्रकाशित कीजियेगा!उनकी इस इच्छा को आखिरी इच्छा मानते हुई हम उनकी पोस्ट को जैसा का तैसा प्रकाशित कर रहे है !मैंने तो पोस्ट प्रकाशित की थी सेक्सी कपड़े क्यों पहनती हैं महिलाएं.. एवं सेक्स करने से भी ज्यादा जरूरी काम क्या.. इन पोस्टों पर उन चोटी मानसिकता वाले लेखकों का कहना था की यह पोस्ट बिना किसी सर्वे की यहाँ प्रकाशित कर दी गई है जबकि यह रिपोर्ट देनिक भास्कर को लन्दन द्वारा प्राप्त सर्वों के आधार पर थी जिसका यहाँ http://www.bhaskar.com/2009/02/20/0902200010_sexi_clothes.html पूर्ण बर्णन है इसी प्रकार मेरी दूसरी पोस्ट भी भास्कर की रिपोर्ट पर ही आधारित थी जिसे यहाँ देखा जा सकता है http://www.bhaskar.com/2009/02/19/0902190010_sex_life.html अ

एक से अधिक पति रखना क्यूँ मना है?

पिछले सन्डे मैं अपने एक रिश्तेदार के घर गया था, बात चल रही थी इस्लाम में मर्दों को बड़ी छुट मिली है और औरतों पर बड़ा ज़ुल्म होता है वगैरह वगैरह .... मैंने उनसे कहा भाई, आप एक मुसलमान होकर ऐसी बात कर रहें है? उन्होंने कहा "जो सच है, वो सच है|" मैंने कहा "नहीं भाई, सच ये नहीं है, आपको कम-अज़-कम पूरी बात जान लेना चाहिए तब ही इल्ज़ाम लगाना चाहिए, इस्लाम तो पूरी दुनिया के लिए मुक्ति का पैगाम और समाज के लिए सही ढंग से जीने का तरीका ही बताता है" उन्हें तैश आ गया और उन्होंने कहा "सलीम, तुम बहुत ज़्यादा जानकार समझते हो, एक बात बताओ अगर इस्लाम में एक मर्द को एक से अधिक बीवी रखने की इजाज़त है तो इसकी क्या वजह है कि इस्लाम औरत को एक से ज़्यादा शौहर (पति) रखने कि इजाज़त नहीं देता है? उस वक़्त जो मैंने उन्हें बताया और उसके बाद इस बाबत कुछ किताबों का मुताला भी किया, का सारांश यहाँ पर पोस्ट कर रहा हूँ|   इंशा अल्लाह मेरे उन रिश्तेदार की तरह आपको भी मुतमईन कर सकूँगा, इस आशा के साथ प्रस्तुत है कुछ तर्क और सत्य तथा इस्लामिक नियम | आप लोगो में से कुछ लोग, जिनमे मेरे उन रिश्ते