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Showing posts from September 7, 2010

हिंदुस्तान का हौआ

अनिल धारकर पाकिस्तान हर लिहाज से विफल राज्य है और विफल राज्यों को हमेशा किसी न किसी हौए की दरकार होती है। भारत हमेशा से पाकिस्तान का हौआ रहा है। जब भी पाकिस्तान में कोई न कोई गड़बड़ होती है तो भारत का हौआ खड़ा कर दिया जाता है। अब जब पाकिस्तान का क्रिकेट तंत्र रंगे हाथों धरा गया है, उसका पर्दाफाश हो गया है, तब उसके पास इसके सिवा और क्या विकल्प रह जाता है? ---------- पाकिस्तान का क्रिकेट बोर्ड स्पॉट फिक्सिंग के ताजा आरोपों से लंबे समय तक इनकार नहीं कर सकता। उसे इस समस्या का हल भी करना होगा। पाकिस्तान यह नहीं कह सकता कि मामला पूरी तरह साफ है, सलमान बट्ट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर पूरी तरह बेकसूर हैं, मजहर मजीद की टेप फर्जी है और मैच/स्पॉट फिक्सिंग के आरोप भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ रचा गया अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है। क्या यह सब सुनने में किसी मजेदार ईमेल संदेश जैसा लग रहा है? हो सकता है, लेकिन यह कोई चुटकुला नहीं है। दरअसल ये वो बातें हैं, जो पाकिस्तान की सरकार, उसका क्रिकेट तंत्र और यहां तक कि उसका मीडिया भी इन दिनों कह रहा है। जल्द ही यह नौबत भी आ सकती है कि अभी पाकिस्तान में जो ल

सत्ता का बेमेल बंटवारा

आर जगन्नाथन  कश्मीर के हालिया संकट से हम अपने लिए कुछ सबक ले सकते हैं। यह हमारे लिए एक अवसर है कि हम केंद्र और राज्य के संबंधों पर पुनर्विचार करें। हमें राज्यों के समूह से आगे बढ़कर एक ‘भारतीय महासंघ’ (इंडियन फेडरेशन) बनाने की जरूरत है। घाटी में चल रहा संकट हमारे देश के सामने मुंह बाए खड़ी सबसे विकट चुनौतियों में से है। पुलिस और अर्धसैनिक बल घाटी के उग्र युवाओं के निशाने पर हैं। ‘आजादी’ की यह पुकार महज मुस्लिम अलगाववाद ही नहीं है। यह इससे कहीं ज्यादा ‘सशक्तीकरण’ की आवाज भी है। इसमें कोई दोराय नहीं कि हमने कश्मीर में स्थिति को संभालने के लिए सही कदम नहीं उठाए। इस तरह हमने घाटी के रहवासियों के असंतोष को इस सीमा तक जाने का मौका दिया कि वे राष्ट्रविरोधी तरीके अख्तियार करते हुए अपने गुस्से का इजहार करने लगे।   यह ऐसी स्थिति है, जिसे सामान्य नहीं कहा जा सकता, लिहाजा इससे निपटने के लिए भी सामान्य तरीके नाकाफी होंगे। महज थोड़ा बल प्रदर्शन कर और कुछ राहत पैकेज बांटकर हम इस समस्या से नहीं निपट सकते। कश्मीर की ‘स्वायत्तता’ के बारे में बात करने का भी कोई फायदा नहीं है, क्योंकि अलगाववादी उसे भ