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Showing posts from January 6, 2010

लो क सं घ र्ष !: लोकतंत्र का नया संस्करण

उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय के सदस्यों द्वारा विधान परिषद् सदस्य चुनाव हो रहा है सरकार की मशीनरी सत्ता रूढ़ दल के प्रत्याशियों के लिए मतदाता प्रधान , क्षेत्र पंचायत सदस्यों नगर परिषद्, टाउन एरिया आदि के सदस्यों को पकड़ - पकड़ कर पुलिस द्वारा थानों में ले जाया जा रहा है उनको कहा यह जा रहा है कि वह सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी को वोट दे दें जिसके लिए थानाध्यक्ष तरह - तरह के प्रलोभन दे रहे हैं । प्रलोभन से न मानने वाले मतदाताओं को डराने धमकाने का भी कार्य पुलिस द्वारा जारी है । इस तरह से चुने गए विधान परिषद् सदस्य क्या जनता के प्रति उत्तरदायी होंगे या सम्बंधित पुलिस अधिकारियों के एजेंट के रूप में कार्य करते हुए माननीय सदस्यगण दिखेंगे । यहीं से पुलिस और राजनेताओं का गठजोड़ शुरू होता है पुलिस अपना मूल कार्य अप्रध्नियंत्रण छोड़कर माननीय सदस्यों के दम पर अपराधियों को संरक्षण देने का कार्य शुरू कर देते हैं उनके पर्वेक्षण अधिकारी राजनेताओं के दर से उनके खिलाफ कोई कार्यवाई भी नहीं कर सकते हैं

बिजली न डीजल पानी खींचे हर पल

उज्जैन से 20 किमी दूर छोटे से गांव कांकरिया चीराखान में नए दशक की उम्मीदें आकार ले रही हैं। यहां एक छोटे से वर्कशॉप में सिर झुकाए, हाथों में ग्रीस लगाए राधेश्याम शर्मा एक ऐसी मशीन बनाने में जुटे हैं जो बिना बिजली या डीजल के 24 घंटे बोरवेल से पानी खींचेगी। इस प्रयोग के सफल होने पर न केवल बिजली की कमी से जूझ रहे लाखों किसानों को फायदा होगा, बल्कि प्रदूषण न होने के कारण पर्यावरण की सेहत भी सुधरेगी। शर्मा बताते हैं, यह मशीन न तो खराब होगी, न ही इसमें कोई अतिरिक्त खर्च होगा। यानी बिजली, डीजल, मोटरपंप की मरम्मत के बार-बार के खर्च से हमेशा के लिए छुटकारा। शर्मा की मानें तो हवा और पानी के दबाव से चलने वाली यह मशीन 24 घंटे पानी देती रहेगाी। इसकी लागत 50 हजार से एक लाख रुपए के बीच आने का अनुमान है। एक स्थानीय बैंक ने इसके लिए उन्हें आर्थिक मदद देने का भरोसा दिया है। महज हायर सेकंडरी तक पढ़े राधेश्याम को इंजीनियरिंग विरासत में मिली है। उनके पिता जगदीशचंद शर्मा मोटर मैकेनिक रह चुके हैं, ताऊ भी गांव में ही मशीनें सुधारने के लिए वर्कशॉप चलाते हैं। ग्रामीणों और किसानों की मशीनें ठीक करते-करते राधेश