इक दर्द है दिल में किससे कहूँ ..... कब त लक यूँ ही मैं मरता रहूँ !! सोच रहा हूँ कि अब मैं क्या करूँ कुछ सोचता हुआ बस बैठा रहूँ !! कुछ बातें हैं जो चुभती रहती हैं रंगों के इस मौसम में क्या कहूँ !! हवा में इक खामोशी - सी कैसी है इस शोर में मैं किसे क्या कहूँ !! मुझसे लिपटी हुई है सारी खुदाई तू चाहे " गाफिल " तो कुछ कहूँ !! ००००००००००००००००००००००००० ०००००००००००००००००००००००० ० दूंढ़ रहा हूँ अपनी राधा , कहाँ हैं तू ... मुझको बुला ले ना वहाँ , जहाँ है तू !! मैं किसकी तन्हाई में पागल हुआ हूँ देखता हूँ जिधर भी मैं , वहाँ है तू !! हाय रब्बा मुझको तू नज़र ना आए जर्रे - जर्रे में तो है , पर कहाँ है तू !! मैं जिसकी धून में खोया रहता हूँ मुझमें गोया तू ही है , निहां है तू !! " गाफिल" काहे गुमसुम - सा रहता है मैं तुझमें ही हूँ , मुझमें ही छुपा है तू !!