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Showing posts from March 10, 2009

मैं तो यहीं हूँ ना.....तुम कहाँ हो.....!!

इक दर्द है दिल में किससे कहूँ ..... कब त लक यूँ ही मैं मरता रहूँ !! सोच रहा हूँ कि अब मैं क्या करूँ कुछ सोचता हुआ बस बैठा रहूँ !! कुछ बातें हैं जो चुभती रहती हैं रंगों के इस मौसम में क्या कहूँ !! हवा में इक खामोशी - सी कैसी है इस शोर में मैं किसे क्या कहूँ !! मुझसे लिपटी हुई है सारी खुदाई तू चाहे " गाफिल " तो कुछ कहूँ !! ००००००००००००००००००००००००० ०००००००००००००००००००००००० ० दूंढ़ रहा हूँ अपनी राधा , कहाँ हैं तू ... मुझको बुला ले ना वहाँ , जहाँ है तू !! मैं किसकी तन्हाई में पागल हुआ हूँ देखता हूँ जिधर भी मैं , वहाँ है तू !! हाय रब्बा मुझको तू नज़र ना आए जर्रे - जर्रे में तो है , पर कहाँ है तू !! मैं जिसकी धून में खोया रहता हूँ मुझमें गोया तू ही है , निहां है तू !! " गाफिल" काहे गुमसुम - सा रहता है मैं तुझमें ही हूँ , मुझमें ही छुपा है तू !!

लक्ष्मीनिवास मित्तल पर भारत क्यों गर्व करे?

हम भारतीयों की दो बुरी आदतें हैं। एक तो हम अपने यहां किसी प्रतिभाशाली व्यक्ति को आगे बढ़ने नहीं देते, और दूसरी; जब वह विदेश जा कर सफल हो जाता है तो हम उसे “अपना आदमी” बताने और उसकी शान में कसीदे काढ़ने में ज़मीन-आसमान एक कर देते हैं। यही हमने किया कल्पना चावला के साथ और यही हम अब कर रहे हैं इस्पात के व्यापारी लक्ष्मीनिवास मित्तल के साथ। कल्पना चावला को अंतरिक्ष यात्री बनने देने का सारा श्रेय अमेरिका को है और इसीलिये कल्पना ने वहां की नागरिकता ग्रहण कर ली थी। लेकिन जब वे “नासा” की तरफ से अंतरिक्ष यात्रा पर गयीं तो भारतीय लोग ऎसे सीना फुलाने लगे जैसे कल्पना भारत के किसी अंतरिक्ष कार्यक्रम की बदौलत अंतरिक्ष में गयीं थीं। लक्ष्मीनिवास मित्तल ब्रिटेन के निवसी हैं, यूरोप की बड़ी इस्पात कंपनी आर्सेलर पर नियंत्रण हासिल कर दुनिया भर में नाम कमा रहे हैं तो भारत में उनकी जीत “एक भारतीय” की जीत बतायी जा रही है। क्यों भई, जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है उसके किसी अच्छे- बुरे काम का श्रेय भारत को कैसे जायेगा? सोनिया गांधी के कॉंग्रेस अध्यक्ष बनने पर इटली में तो खुशियां नहीं मनायी जातीं, लेकिन अमेरिका

घड़ी कमर में लटकाऊंगा.. मैं गांधी बन जाऊं..

बचपन में पाठ्य पुस्तक में एक कविता पढ़ी थी, “मां खादी की चादर दे दे , मैं गांधी बन जाऊं।” कविता में एक बच्चा मां से गांधी जी के जैसी वस्तुएं दिलवाने की मनुहार करता है ताकि वह भी उन्हें लेकर गांधी जी जैसा दिख सके। उसमें गांधी जी की मशहूर घड़ी का जिक्र था। गांधी जी घड़ी हाथ में नहीं बांधते थे, कमर में लटकाते थे। “घड़ी कमर में लटकाऊंगा…” तब बाल मन के लिए गांधी जी आदर्श थे, उनकी तरह कमर में घड़ी बांधने की उत्सुकता होती थी। आज वही घड़ी तस्वीर में देखने को मिल रही है क्योंकि उसकी अमेरिका में नीलामी हुई है। क्या आपको वह पूरी कविता और लेखक का नाम याद है?कविता कुछ इस प्रकार थी:- मां खादी की चादर दे दे, मैं गांधी बन जाऊंसब मित्रों के बीच बैठ कर रघुपति राघव गांऊ घड़ी कमर में लटकाऊंगा सैर सवेरे कर आऊंगा मुझे रुई की पोनी दे दे तकली खूब चलाऊं मां खादी की चादर दे दे, मैं गांधी बन जाऊं आगे पढ़ें के आगे यहाँ

होलिका दहन कथा

विनय बिहारी सिंह वैसे तो आप सभी यह पुराण कथा जानते ही हैं। लेकिन होली के मौके पर इसे फिर से याद करना, बुराई पर अच्छाई की जीत को व्याख्यातित करता है। कथा है-दानव राजा हिरण्यकश्यप को अहंकार था कि वही ईश्वर है। उसकी इच्छा के मुताबिक उसके राज्य में सभी उसी के नाम का जाप करते थे। लेकिन उसका बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का अटल भक्त था। पहले तो हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बहुत समझाया। तरह- तरह के प्रलोभन दिए। कहा कि मैं ही तुम्हारा ईश्वर हूं। ईश्वर- फिश्वर कुछ नहीं होता। जो दिखाई नहीं देता, उसकी परवाह क्या करना। जब भगवान को किसी ने देखा ही नहीं है तो तुम क्यों उसके भक्त बने हो। हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के अस्तित्व को ही नकार दिया। लेकिन प्रह्लाद तो अटल भक्त था। उसे इस बात की चिंता नहीं थी उसके पिता क्रोध से उबल रहे हैं। वह तो नारायण, नारायण जपता रहता था और अकेले में ध्यान में मग्न रहता था। जब हिरण्यकश्यप ने देखा कि उसका बेटा उसकी बात नहीं सुनने वाला तो उसने उसकी हत्या की ठान ली। उसने तरह- तरह से उसे मारने की कोशिश की। लेकिन हर बार प्रह्लाद बच जाता था। तब उसने एक अनोखा उपाय सोचा। उसकी बहन को व

आचार्य संजीव 'सलिल' जी की नयी लघुकथा

लघुकथा स्वजन तंत्र राजनीति विज्ञान के शिक्षक ने जनतंत्र की परिभाषा तथा विशेषताएँ बताने के बाद भारत को विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र बताया तो एक छात्र से रहा नहीं गया. उसने अपनी असहमति दर्ज करते हुए कहा- ' गुरु जी! भारत में जनतंत्र नहीं स्वजन तंत्र है.' ' किताब में एसे किसी तंत्र का नाम नहीं है.' - गुरु जी बोले. ' कैसे होगा? यह हमारी अपनी खोज है और भारत में की गयी खोज को किताबों में इतनी जल्दी जगह मिल ही नहीं सकती. यह हमारे शिक्षा के पाठ्य क्रम में भी नहीं है लेकिन हमारी ज़िन्दगी के पाठ्य क्रम का पहला अध्याय यही है जिसे पढ़े बिना आगे का कोई पाठ नहीं पढ़ा जा सकता.' छात्र ने कहा. ' यह स्वजन तंत्र होता क्या है? यह तो बताओ.' -सहपाठियों ने पूछा.

सहारनपुर में पुष्प प्रदर्शनी

होली की मस्ती

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प्लीज़ ! मुझसे भी रंग लगवालो न !

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होली है भई होली है !

सभी मित्रों को होली की रंग - बिरंगी शुभकामनायें !                         रूठों को गले लगाने को ,             बिछुड़ों को पास बुलाने को ,             गुंझिया और भुजिया खाने को ,             आती घर - घर होली है !   आपका ही ,   सुशान्त सिंहल   Sushant K. Singhal website : www.sushantsinghal.com Blog :   www.sushantsinghal.blogspot.com email :  singhal.sushant@gmail.com  

शंक्रच्र्ये का बयान इस्लाम के सम्बन्ध मे !!

दोस्तों , पिछली पोस्ट मे मैंने आपको एक शख्स के बारे मे बताया था , जिसकी सोच मुसलमानों और इस्लाम के बारे मे कितनी ग़लत थी , अब मैं आप लोगो के सामने एक विडियो पेश कर रहा हूँ इसमे एक शंकराचार्ये एक सभा को संबोदित कर रहे हैं, अब आप लोग इनके विचार सुनिए, इस्लाम और मुसलमानों के बारे मे ! कृपया इस विडियो को देखने के बाद अपनी बहुमूल्य टिप्पणी ज़रूर दीजियेगा, धन्यवाद.