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Showing posts from December 8, 2008

उमा की नौटंकी वाली राजनीति का अंत

यही कुछ पांच साल पहेले की बात है तब भाजपा की राजनीति मे एक साध्वी का सिक्का चलता था ,जिनका नाम श्री उमा भारती है! जिनके नाम से लाखों जनता अपना काम धाम छोड़कर आ जाती थी !! लेकिन यह उमा की ग़लतफ़हमी थी बह जनता उमा के लिए न होकर भाजपा के लिए हुआ करती थी ,इसी ग़लतफ़हमी के नशे मे चूर उमा ने भाजपा के लाल कृष्ण आडवानी जी का अपमान कर डाला और खुद को उनसे बड़ा बात दिया जिसके कारण उन्हें पार्टी से बेदखल कर दिया गया !!उमा नादाँ है वो समझती थी की भाजपा उनसे है इसलिए उन्होंने अपनी नयी पार्टी खड़ी कर दी !! उन्हें लगता था की उनकी पार्टी का नगाडा बजेगा लेकिन नगाडा तो नहीं बजा उनकी बैंड जरुर बज गयी ! इस बार फिर अच्छाई की जीत हुई जनता की जीत हुई जनता जो चाहती थी बही हुआ !!उमा भारती की राजनीति का भविष्य कुछ नहीं है तब तक तो और भी नहीं जब तक की बही बह दूसरों को समझना और सम्मान देना नहीं सीख जाती ! उनकी जनशक्ति पार्टी की हालत ये हो गयी की उस मुहफट ढोंगी नारी को जनता ने ठुकरा दिया उसे अर्श से फर्स पर पटक दिया जनता ने बात दिया की जो किसी और को नहीं समझता उसे भी कोई नहीं समझता !!खुद को साध्वी कहने वाली उमा के

मप्र : शिवराज के राज को जनता ने दिया समर्थन

मप्र : शिवराज के राज को जनता ने दिया समर्थन मध्यप्रदेश से आ रहे शुरुआती रुझानों में यह साफ हो गया है कि भाजपा एक बार फिर सत्ता में वापसी कर रही है और शिवराज सिंह के शासन को जनता ने अपना पूरा समर्थन दिया है। मध्यप्रदेश चुनाव 2008 में भारतीय जनता पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अभी तक 32 सीटें जीत ली है तथा १क्२ सीटों पर बढ़त बना ली है। इस तरह से शिवराज के शासन को मध्यप्रदेश की जनता ने पसंद किया है और एक बड़ी जीत की तरफ भाजपा बढ़ रही है। मप्र विधानसभा चुनाव 2008 : ताजा स्थिति कांग्रेस : 8 सीटें जीती , 53 सीटों पर बढ़त भाजपा : 32सीटें जीती 102 सीटों पर बढ़त अन्य : 4 जीते 25सीटों पर बढ़त इसलिए दिया जनता ने शिवराज को दोबारा मौका >> शिवराज सिंह चौहान के बेहतरीन शासन की सबसे बड़ी भूमिका, विकास कार्यों ने जनता का दिल जीता । >> गुजरात की तर्ज पर विधायकों का टिकट काटना भाजपा के लिए जीत का सबसे बड़ा कारण बना। क्यों हारी कांग्रेस... >> कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी। >> सिंधिया, कमलनाथ , सुरेश पचौरी, और दिग्गी राजा ने परदे के पीछे गुटबाजी पार्टी को ले डूबी।