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Showing posts from March 31, 2009

हमारे नेता

तन पर सफ़ेद कुरता मन पर ढेर सा मैला ऐसे है हमारे नेता कहते है जनसभा में चिल्लाकर वोट दो हमें वोट दो हमें हम दिख्लायेगे रास्ता तरक्की का विकास का ( अपनी ) वोट दो हमें हम दिलाएंगे आरक्षण ( और लड़ायेंगे तुम्हें ) वोट दो हमें और संसद भेजो हमको (हम भूल जायेंगे तुमको) ॥ ज्ञानेंद्र कुमार हिंदुस्तान, आगरा

हमारे नेता

तन पर सफ़ेद कुरता मन पर ढेर सा मैला ऐसे है हमारे नेता कहते है जनसभा में चिल्लाकर वोट दो हमें वोट दो हमें हम दिख्लायेगे रास्ता तरक्की का विकास का ( अपनी ) वोट दो हमें हम दिलाएंगे आरक्षण ( और लड़ायेंगे तुम्हें ) वोट दो हमें और संसद भेजो हमको (हम भूल जायेंगे तुमको) ॥ ज्ञानेंद्र कुमार हिंदुस्तान, आगरा

किलेबंदी के बजाये कांग्रेस की सेंधमारी पर ज्यादा विश्वाश - भाजपा

 विधानसभा के ठीक बाद लोकसभा चुनाव की गहमा गहमी जोर पकड़ने लगी लिहाजा हर राजनैतिक दल ने स्टार  प्रचारक से लेकर गीतों तक हर वो पतैरे अपनाने  में कही परहेज नहीं किया  जिससे जनता को लुभाया जा सके लेकिन चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने "भूली ताहि बिसार दे" का नारा देते हुए कुछ भूले भटको को राह में ला लोकसभा की अग्नि परीक्षा के लिए  खुद को तैयार  कर लिया है वहीं कांग्रेस रणनीतिकारोँ का मानना है की  शोरगुल  स्टार प्रचारको और जय हो के गीतों से लैस संगीत  के चलते जनता उनके  ख़राब राजनैतिक प्रदर्शन को भूल जायेगी.  उन्होंने चावल की महिमा  का कमाल  पिछले चुनाव में देख लिया सो अब वो  उसी  राह में चलने से भी  किसी तरह का कोई परहेज नहीं  कर रही है लेकिन दूसरी बार सिरमौर बने मुख्यमंत्री रामन सिंह ने गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी से  चुनाव् जीतने का गुर सीखा लिया है और फिर से एक रथ यात्रा  के लिए तैयार है                             छत्तीसगढ की बात  करे तो छत्तीसगढ में  दो सीट ही सबसे ज्यादा चर्चित है बिलासपुर और रायपुर  , बिलासपुर में दिलीप सिह जूदेव का सीधा मुकाबला श्रीमती रेणु जोगी से है गौरतलब है

बाबरी मस्जिद की शहादत: लिब्राहन कमिशन को 48वीं बार एक्सटेंशन

बाबरी मस्जिद के शहीद हुए १६ साल बीत चुके हैं, पर उसकी जांच आज भी चल रही है। बाबरी मस्जिद मामले की जांच कर रहे लिब्राहन आयोग को एक और एक्सटेंशन मिल गया है। आयोग के कार्यकाल को 48वीं बार बढ़ाया गया है। 3 महीने के इस एक्सटेंशन साथ अब आयोग को अपनी रिपोर्ट 30 जून तक सरकार को सौंपनी है। गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया था। इसके बाद देश भर में हुए दंगों में हजारों मुसलामानों की मौत हो गई थी। मुसलमान क्या हिन्दू भाई भी हताहत हुए थे |   48वीं बार एक्टेंशन पा चुके इस आयोग की स्थापना दिसंबर 1992 में की गई थी। 6 दिसंबर को हुए बाबरी मस्जिद के शहीद होने के 10 दिन के भीतर ही इस कमिशन की स्थापना की गई थी। यह कमिशन न सिर्फ सबसे लंबे जांच आयोगों में से एक है बल्कि सबसे खर्चीला जांच आयोग भी है। इस आयोग पर अब तक 9 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं | इस राशि का बड़ा हिस्सा सहयोगी कर्मचारियों की तनख्वाह पर खर्च किया गया है। बाबरी मस्जिद के शहीद होने के मामले की जांच कर रहे इस आयोग को 16 मार्च 1993 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी थी, पर यह हो नहीं सका। और आयोग एक्सटें

प्यार की पाठशाला

घूमते-घूमते यूपी लाइव न्यूज़ पर पहुंची और एक अच्छी और बुरी दोनों खासियत वाली पोस्ट पर नजर पड़ गयी इसलिए यूपी लाइव न्यूज़ से साभार यहाँ प्रकाशित कर रही हूँ कुछ वर्ष पहले एक फिल्मी गाना सुना था कोलेज में होनी चाहिए प्यार की पढ़ाई ,हमें नही पता था की वो गाना आज के स्टुडेंट सच कर के ही रहेगे स्कूल ने प्यार को भले ही अपने सेलबुस में न रखा हो मगर विद्यार्थियों ने इस विषय को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है जिसे पढ़कर वो जीवन की परीक्षा पास करने का सपना दिन में और खुली आँखों से देख रहे है । माँ बाप के वो सपने जो उ न्होंने देखे,स्कूल में एक प्रेमी के बाहों में दम तोड़ दे रहे है ,प्यार करना ग़लत तो नही है लेकिन हर कम के लिए एक समय होता है लेकिन आज के बच्चो को भला सब्र कहा है । ये तस्वीरे साफ कह रही है की आज के स्टुडेंट kis तरह अपने पढ़ाई और अपने परिवार के प्रति बेईमानी कर रहे है और प्यार की ये पढ़ाई जब दुनियादारी की इम्तहान में फ़ैल कर देती है तो ये समाज को ही दोष देते फिरते है । इस तरह के लोग जो इसी तरह पढ़ा ई कर आए है और अब दर दर भटक रहे है महज एक नौकरी के लिए वो भी नही मिलती , भाई इस तरह

मार्क राय जी आपने सही कहा, यह वाकई ठीक नहीं है !

मैंने आज मार्क राय जी का पोस्ट पढ़ा, उन्होंने ब्लॉग में बढ़ रही अश्लीलता और पाश्चात्यकरण के बारे में अच्छा लेख लिखा और मैं उनका समर्थन करता हूँ, उन्होंने बिलकुल ठीक कहा! मैं देख रहा हूँ कि आजकल जो ब्लॉग है उनपर खूब अश्लीलता परोसी जा रही है हालाँकि इससे क्षणिक सफलता तो मिल जाती है मगर इस तरह के ब्लॉग लम्बी रेस में किसी भी गिनती में नहीं आते हैं ज़्यादातर चिट्ठाकार ब्लॉग में खूब सारी गलत बातें लिखते हैं, पहली बार तो पाठक या ब्लॉग का सदस्य इसे थोडा बहुत पढ़ लेता है मगर शीघ्र ही उसका असर उल्टा होने लगता है सफलता के शोर्टकट तो बहुत से हैं जो कामयाब भी हैं अर्थात उन कुछ शोर्टकट से ब्लॉग सफल तो हो जाता मगर वह सफलता क्षणिक होती है ईश्वर की कृपा से मनुष्य आज विज्ञानं में बहुत आगे बढ़ गया है इसी प्रगति में एक प्रगति ब्लॉग की भी है हमें इसका इस्तेमाल देश के हित में, समाज के हित में और ऐसे कम में लगाना चाहिए जिससे हम उन्नति करे या कम से कम अच्छा ज्ञान अर्जित करें ब्लॉग में वह हो जो अनोखा हो मगर समाज के दायरे में आता हों आप अपनी बात कह दे और ऐसे कहें कि किसी को ठेस ना लगे "मैंने अपना ब्लॉग 'स्व

बेरोज़गारी और मंदी

लोग कहते है , सुना है , देखा है , की जनसँख्या हमारे देश के लिए अभिशाप है बिल्कुल सत्य है इससे हमारी और देश की आर्थिक स्थिथि को कमज़ोर करने इस अभिशाप का बहुत बड़ा हाथ है लेकिन क्या करें हमारा अगर कोई विश्व में कोई रिकॉर्ड है तो हमारी बढती हुई जनसँख्या चलिए किसी चीज़ में हम पूरी दुनिया में जाने जाते है , यह सत्य है जहा जिस देश में ज़्यादा आबादी होगी उस देश में कई परकार के मसले उठ खड़े होंगे और यह हम आज भी महसूस कर रहे है जहा देखो वही भूखमरी , गरीबी, शोषण , जीवनयापन आदि के लाले पड़े हुए है , खैर इन सब से बढ़कर हमारे देश की सबसे बड़ी कोई कठिनाई है तो बढती हुई बेरोज़गारी , जी हाँ बेरोज़गारी । बेरोज़गारी यह एक ऐसा अभिशाप है जिसके मध्यम से यह सभी कठिनाई आती है जैसा हमने ऊपर कहा है , आज बेरोज़गारी दिन बा दिन अपने पैर जमाने में कामयाब होता जा रहा है हर कोई इस के गह्रीले भंवर में कसता वो फंसता चला जा रहा है , जहा भी सर उठाओ वह बेरोज़गारी की लाइन लगी हुई है यह तो पहले भी था की हमें नौकरी के लिए कितने जातां करने पड़ते थे , लेकिन आज उससे लाख कही बेरोज़गारी अपने पैर को और मज़बूत दिख रहा है कारन स्पष्ट ह

जनाब ये ठीक नही है ....

आज ब्लोगिंग में एक नया ट्रेंड चल पड़ा है । अपने ब्लॉग को हीट कराने के लिए अपशब्दों का प्रयोग करो । बहुत से ऐसे ब्लोगर है जिनको किसी ख़ास विषय पर पकड़ नही होती .... ऐसे लोग जल्दी प्रसिद्धी पाने के लिए गाली -गलौज पर भी उतर जाते है । एक दुसरे पर छीटाकशी करना , पर्सनल आरोप लगाना ऐसे लोगो का हथकंडा हो गया है । कुछ देर के लिए वे फेमस भी हो जाते है पर अंततः उन्हें विलीन ही होना पड़ता है । मै कई दिनों से गौर कर रहा हूँ की ऐसे लोगो की तादाद ब्लोगिंग की दुनिया में बड़ी तेजी से बढ़ रही है । यह चिंता का विषय है । किसी आदमी को गाली देना अभिवक्ति की स्वतंत्रता नही हो सकती । आलोचना मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए न की व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप लगाये जाने चाहिए । मुझे लगता है ऐसे लोगो के पास कोई योजना नही है और न ही कोई विचारधारा है । बस भेड़ की तरह ब्लॉग्गिंग करने आ गए है ....खैर यह उनका अधिकार है और उनसे कोई छीन भी नही सकता ...ऐसा होना भी नही चाहिए । पर अच्छा होगा की कुछ मर्यादा का ख्याल रखा जाए नही तो ब्लोगिंग की पहचान खतरे में पड़ सकती है । हमें यह संकल्प लेना चाहिए की ब्लोगिंग की दुनिया को साफ़ सुथरा बनाए

मेडिटेशन यानी ध्यान

विनय बिहारी सिंह इसे आप सभी लोग जानते हैं कि हमारे ऋषि मुनियों ने जिसे ध्यान कहा उसे आज मेडिटेशन कहते हैं। नई पीढ़ी का कहना है कि ध्यान शब्द उतना आकर्षक नहीं है जितना अंग्रेजी का मेडिटेशन। ठीक है, कोई बात नहीं। यह बहस का मुद्दा नहीं है। पुराने जमाने में ध्यान मुफ्त में सिखाया जाता था। आज भी कुछ गिनी- चुनी संस्थाएं मुफ्त में सिखाती हैं लेकिन ध्यान का भी व्यवसायीकरण हो गया है। ध्यान सिखाने की माहवारी फीस १००० रुपए है। हफ्ते में एक दिन यहां ध्यान सिखाया जाता है। सबसे सस्ता रेट है ५०० रुपए। लेकिन यहां भी हफ्ते में सिर्फ एक दिन क्लास होता है। ध्यान होता क्या है? आप अपना ध्यान ईश्वर पर केंद्रित करते हैं। ईश्वर ही आनंद और शांति का केंद्र है। दयालु है। हमारा माता- पिता है। यह सोचते हुए आपको ध्यान करना है। अपने मनपसंद देवता की छवि बंद आंखों में रखिए। ध्यान कहां करें? रामकृष्ण परमहंस ने कहा है- सबसे प्रसिद्ध स्थल है हृदय। दूसरा स्थल है दोनों भृकुटियों के बीच में। जहां हम लोग टीका लगाते हैं या स्त्रियां जहां बिंदी लगाती हैं- वहां ध्यान किया जाता है। अब यह आपके ऊपर है कि आप कहां ध्यान करना पसंद कर

किसी को भी PM क्यों बनाया जाए...

सायना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी मुझे अमेरिका का सिस्टम बहुत पसंद है। वहां राष्ट्रपति पद के लिए सिर्फ दो लोग ही आमने-सामने होते हैं। इन्हें भी इनकी मैरिट के आधार पर चुना जाता है। ये दोनों अलग-अलग विचारधारा वाले समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन दोनों में से एक को जनता चुनती है और उसे राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने से पहले पूरा समय दिया जाता है ताकि वह चीजों को अच्छी तरह समझ सके और फिर पदभार संभाले। वहां सबकुछ बहुत पारदर्शी है। लेकिन भारत में तीसरा या चौथा व्यक्ति जो कि मौकापरस्त होता है उसे ही फायदा होता है। वह व्यक्ति जो समाज में अपनी ताकत, पैसे और जाति-धर्म के आधार पर जाना जाता है न कि अपने गुणों के आधार पर। जिन लोगों को हम जानते तक नहीं कई बार वे लोग हमारे देश को चलाने की बात करते नजर आते हैं। पहले दो को कोई बहुमत नहीं मिलता और तीसरा बाजी मार ले जाता है। मैं बहुत उलझी हुई हूं कि हमारे देश के नेता किस ढंग से हमारा देश चला रहे हैं। टीवी पर दिखाया गया कि कैसे संसद में घूस देकर कर लोगों को खरीदा जा रहा था। मुझे नहीं मालूम कौन सही है, वो जिसे कसूरवार ठहराया जा रहा है या वो जो कस

ग़ज़ल

तूफ़ान मेरे सर से गुज़रता क्यों नही जाता दरिया मेरी कश्ती में उतरता क्यो नही jaata सदियों से भी हालात के दलदल में फसा हूँ सूरज मेरे अन्दर का उभरता क्यों नही jaata ताबीर खंज़र से ज़ख्मी मेरी आंखें मई खवाब के मानिंद बिखर क्यों नही जाता धुप मिली छाओं मिला धुप से साया फिर रेत के सेहरा में शजर मिलने क्यों जाता। अलीम आज़मी.....

शोषितों के लिए प्रेरणा है लक्ष्मी ......

लगभग डेढ़ साल पहले गुवाहाटी में आदिवासियों की एक रैली के दौरान मीडिया की सुर्खियों में रहने वाली लक्ष्मी ओरांव आजकल फ़िर चर्चा में है । इस बार वजह है कि वो तेजपुर संसदीय क्षेत्र से यूडीएफ की उम्मीदवार हैं । साल भर पहले आसाम की राजधानी मे अपमानित की गई अबला आदिवासी महिला आज राजनीति मे आने के लिए कमर कस कर खड़ी है । एक तरफ़ इस देश में ऐसे लोग भी हैं जो सिस्टम की दुहाई देते हुए वोट देने से भी कतराते हैं तो वहीँ दूसरी ओर लक्ष्मी जैसी आत्मविश्वासी और हिम्मती महिला भी , जो तथाकथित सभ्य समाज को उसके घिनोने चेहरे का आइयाना दिखानेको तैयार है । लक्ष्मी कहती हैं -" चुनाव भले न जीते लेकिन मैदान में उतर कर वह शोषण के ख़िलाफ़ लोगों में संदेश देना चाहती है । " मार्टिन लूथर किंग को अपना आदर्श मानने वाली लक्ष्मी का यह एक कदम नारी को अबला बताने वालों को करा जवाब और लाखों शोषितों के लिए प्रेरणा का सबब बना हुआ है ।महिला उत्थान के लिए काम करने वाले समाजसेवी व अधिवक्ता सुकुमार चौधरी कहते हैं -" नारी विमर्श के इस ज़माने मे नारी की ऐसी दशा है कि जिसका जिक्र करते हुए ख़ुद पर शर्म आने लगती है । आज

इस देश को बचा लो ओ लोगों......!!

Tuesday, March 31, 2009 इस देश को बचा लो ओ लोगों......!! चुनाव के दिन लच्छेदार बातें !! नेताओं के द्वारा शब्दों की टट्टी !! जिनका कोई नहीं अर्थ वो ढपोरशंखी शब्द !! दिलासा देते सबको कुछ वाहियात लोग !! जो माँ को बेच दे , ऐसे लोग भारत माँ के तारणहार !! खा - पीकर जुगाली करते ये मनचले - मनहूस लोग !! इनको यहाँ से बाहर निकालो लोगों इन सबको पटखनी दे दो ओ लोगों !! इन माँ के बलात्कारियों ने चुतिया बनाया बनाया तुम्हे साथ साल ....... इन सड़क पर पीट कर अधमरा करो लोगों !! तुम सबके साथ रो रहा हूँ मैं भी ..... इन सालों को दफन कर दो ओ लोगों !! अपराधियों को कतई वोट मत दे देना उनके साथ तुम ना रेपिस्ट बन जाना !! भारत मांग रहा है आज बलिदान कम - से - कम इतना तो दो प्रतिदान !! एक वोट जरूर से जाकर दे आना वरना इस देश को अपना ना कहना !! तुम्हारा एक वोट संविधान के माथे पर एक बहुमूल्य तिलक है ओ लोगों !! इसे वाजिब उम्मीदवार को देकर इसकी पवित्रता बचा लो ओ लोगों !! इस देश ने द

भड़ास फॉर यूपी

भड़ास फॉर यूपी (हिन्दोस्तान की आवाज़) यहाँ नीचे तिरंगे चूहे पर चटका लगा कर तुंरत सदस्य बन अपनी भड़ास निकलना शुरू करें धन्यवाद! सलीम खान भड़ास फॉर यूपी और स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़ लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश

पानी बचाएं: स्वच्छ सन्देश की तरफ से एक गुजारिश

जल की सुरक्षा हमारी ज़िम्मेदारी हम हिन्दुस्तानियों का ये फ़र्ज़ है कि हम पानी को बेजाँ खर्च न करें और न ही नदियों वगैरह को गन्दा करें. पानी बहुत अनमोल है. इसी पानी से हम जिंदा है और मैं, सन् 2005 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति जनाब ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा तैयार करी गई एक प्रेजेंटेशन यहाँ हाज़िर कर रहा हूँ. आप इस प्रेजेंटेशन को बड़े इत्मिनान से और दिल और दिमाग दोनों से देखिये और उसके बाद ख़ुद अपने मन से पूछिये.....आप अपने लिए क्या कर चुके है और क्या कर रहें हैं? अगर ये ना दिखाई दे तो यहाँ क्लीक करें हर प्रकार की प्रसंशा उस ईश्वर के लिए है जिसमे उसने अपने अन्तिम ग्रन्थ कुरान में फ़रमाया- "हमने पानी से हर जीवित वस्तु को जीवन प्रदान किया" (अल-अम्बिया 30) वास्तव में मानवों पर ईश्वर के उपकारों में से एक महान उपकार पानी है जैसा की पवित्र ग्रन्थ कुरान में ईश्वर का कथन है- "फ़िर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो? क्या उसे बादलों से तुमने बरसाया अथवा बरसाने वाले हम हैं? यदि हम चाहें तो उसे अत्यंत खारा बना कर रख दें फ़िर तुम कृतज्ञता (शुक्र) क्यूँ नही करते"

इतने लोग और लाचारी का रोना ..........

संजय जी के पोस्ट और तमाम प्रतिक्रियाओं को पढने के बाद प्रतिक्रिया देनी चाही पर वहां पेस्ट नही हो पाया । अतः यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ । यह मेरी टिप्पणी है उन प्रतिक्रियाओं के ऊपर ................ वाह भाई वाह ! .......... इतने लोग और लाचारी का रोना !.................. संजय जिन बाप और माँओं की बात कर रहे हैं वो कौन हैं? क्या वो हमारे समाज से अलग किसी दुसरे ग्रह से आए हैं ? कहीं न कही हम सब के मन में ऐसा एक शैतान किसी अंधेरे कोने में छुपा होता है । जिसने उन कुछ लोगों पर काबू पाकर ये कुकर्म करवाया ........................कबीर ने कहा था "बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिल्या कोई , जो दिल ढूंडा आपना मुझसे बुरा न कोई "..................................तो मित्रो लाचारी को गोली मारो, ख़ुद को और अपने आस -पड़ोस , सगे-सम्बन्धी , दोस्त आदि को इस शैतान से बचने के लिए तैयार करो। दिक्कत तो आएगी ...... कुछ पाश्चात्य प्रेमी आपको संस्कृति के ठेकेदार और भारतीय तालिबान भी कह सकते हैं तो कोई कट्टरपंथी होने का आरोप लगा सकते हैं । अब आप ही सोचो . या तो आरोप सह कर भी इस पतन को रोकिये या फ़िर इसी तरह लाचारी

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई