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Showing posts from April 4, 2010

व्यू जैन ब्लोगर परिवार एग्रीगेटर

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ जैन चिठाकारो का एग्रीगेटर वास्तव में बहुत ही उपयोगी लग रहा है. . हम सभी देश विदेश में बसे जैन ब्लॉगरो से एक ही साथ रूबरू हो पाते है उनके लेखन कों पढ़कर  ... शायद इससे आगे भी हमे जैन ब्लोगरो के अंतरराष्ट्र्य बैठको एवं सम्मेलनों कों   आयोजन करने का मोका मिले तब हम सभी एक दुसरो से मिल भी पाएगे. .. सैकड़ो जैन लेखक विचारक है जो विभिन्न विषयों / भाषाओं कों नियमित लिखते है पर हमे पता नही होता है कि कब उन्होंने क्या लिखा है ? या कहा से किस विषयों पर वे लिखते है ? . कोई जरूरी नही है कि जैन लेखक, जैन धर्म पर ही लिखे. वे विबिन्न विषयों पर लिखते होगे जैसे राजनीति/ फिल्म ./ सामाजिक/ गैर सामाजिक / या अपने व्यक्तिगत अनुभव ही लिखते होगे----ऐसे सभी लेखको का हम संकलन करना चाहते है. इस जैन ब्लॉगर परिवार  एग्रीगेटर  के माध्यम से ताकि हमारे पास वो सभी के पत्ते, मेल आई डी, अथवा सम्पर्क सूत्र सुरक्षित हो सके और भविष्य क़ी योजनाओं कों हम साकार रूप दे सके. अति शीघ्र ही इस कार्य कों सम्पन्न करना है ताकि हम शीघ्र ही एक मंच का गठन कर सके.  अत: सभी देशी विदेशी जैनी ब्लोगरो से नि

लो क सं घ र्ष !: बजट 2010-11: गहराते सामाजिक असमानता के खतरनाक आयाम

किसी भी साल के बजट को दो स्तरों या तत्वों के रूप में देखा जा सकता है, कम से कम उसे समझने के प्रयास की शुरूआत के रूप में। एक तो उसमें राजकीय आय और व्यय के पुराने, नये और प्रस्तावित आंकड़े या संख्या होती है जिनका सिलसिलेवार पूरा ब्यौरा विभिन्न मदों में बजट के दस्तावेजों में दर्शाया जाता है। दूसरे कुछ गुणात्मक पहलू होते हैं जो विशेष रूप से चुने हुए जुमलों, वाक्यांशों और सिद्धांतों की दुहाई देते हैं। ये एक ओर तो सरकार के कामकाज और चरित्र को जन-हितैषी साबित करने के मकसद से चुने या गढ़े जाते हैं। दूसरे, उन्हें इस तरह बहु अथवा द्विअर्थी रखा जाता है कि हमारे गैर-बराबरीमय समाज में सत्ता और शक्ति के असली ध्रुवों को भी अपनी सरकार की नीयत, नीतियों, निर्णयों और कार्यों पर भरोसा बना रह सके। वैसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बजट तथा नीति निर्माण में इन तबकों की दखल और सीधी भागीदारी पिछले दो दशकों से लगातार बढ़ी है। जैसे-जैसे आम आदमी का जीवन दूभर होता जाता है, उसे अधिकाधिक हाशिये पर डाल दिया जाता है। उसी के साथ-साथ यह आकर्षक जुमलों, मोटी संख्याओं या नम्बरों का खेल भी नटवरलाली रूप ग्रहण क