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Showing posts from January 5, 2011

बेबसी

लोग रूठ जाते हैं मुझसे ,                  और मुझे मनाना नहीं आता ! मैं चाहती  हूँ क्या ?                      मुझे जताना नहीं आता ! आँसुओं को पीना पुरानी आदत है ,                    .मुझे  आंसू बहाना नहीं आता ! लोग कहते हैं मेरा दिल है पत्थर का ,             इसलिए इसको पिघलाना नहीं आता ! अब क्या कहूँ मैं............                  क्या आता है, क्या नहीं आता ! बस मुझे मौसम की तरह ,            बार - बार बदल जाना नहीं आता !   अब क्या करे कीससे कहें हम ,          हमे तो किसी भी तरह मनाना नहीं आता !

जैसे को तैसा

बहुत खुश होते हैं मुझसे जलने वाले     मेरा थोडा दुःख देखकर, बहुत मित्र बनते हैं मुझसे जलने वाले    मेरा कोई शत्रु देखकर, हैं नादाँ वे सब,हैं अंजान वे सब, नहीं जानते अब तक कुछ भी यहाँ किसी के भी सुख से ,किसी के भी दुःख से किसी को भी मिलता है सुख-दुःख कहाँ, क्या मैंने जो खोया,क्या उनको मिल पाया, क्या मैंने जो पाया,क्या उनका छिन पाया, यही सब वे सोचें,   यही सब वे जानें, क्यों खुश हो रहे हैं वे मेरे बहाने, क्यों ना इन क्षणों को कुछ करके बिताएँ क्यों देते खुश होकर    मुझे तुम दुआएँ नहीं चाहती मैं अब कुछ भी तुमसे, भले मनाओ खुशियाँ भले करलो जलसे, तुम सबकी असलियत जानी मैं जबसे , है दिल में तो चाहत मेरी यही तबसे, जैसा तुमने किया है वैसा ही तुम सब पाओ, इसलिए करती जाओ ऐसा ताकि ऐसा फल भी खाओ. इंसानी फितरत ने इतना दुखी किया कि ये दर्द कविता के रूप में उभर आया और आपके सामने रख दिया.

जिनके हवाले थी जान वो ही बन बैठे हैवान

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर की मंगलवार को उनके ही सुरक्षाकर्मी ने हत्या कर दी। हमलावर ने गवर्नर सलमान तासीर के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें उनकी मौत हो गई। सुरक्षाकर्मी मुमताज हुसैन कादरी को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद समूचे पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है।सुरक्षाकर्मी द्वारा अति विशिष्ट और विशिष्ट लोगों की हत्या करने का यह पहला मामला नहीं था। इससे पहले भी अन्य देशों मसलन बंगलादेश, नेपाल भारत और पाकिस्तान में ऐसे कई मामले सामने आए है। आइए नज़र डालें ऐसे ही कुछ हाई प्रोफाइल मर्डर केसेस पर जिन्होनें देशों को अन्दर तक झकझोर दिया .... महात्मा गांधी (जनवरी 30,1948 ) 30 जनवरी, 1948, गांधी की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वे नई दिल्ली के बिड़ला भवन (बिरला हाउस) के मैदान में चहलकदमी कर रहे थे। गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी। गांधी का हत्यारा नाथूराम गौड़से उन्हें पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे को लेकर भारत को कमजोर बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।गोड़से को 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई। इंदिरा गांधी अक्टूबर (31, 1984) भारत की प्रधानमंत्र

अतुल जी का जाना,एक अपूर्णीय क्षति

अमर उजाला प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अतुल कुमार महेश्वरी का आकस्मिक निधन पत्रकारिता जगत की बहुत बड़ी क्षति है.पत्रकारिता जगत जो कि लोकतंत्र का एक स्तम्भ है और इस स्तम्भ को अमर उजाला का बहुत मजबूत हाथ थामे हुए है और ये हाथ अतुल जी के प्रयासों से आज इतनी मजबूती से खड़ा है .आज देश की वर्तमान स्थिति में अमर उजाला बहुत जागरूकता के साथ जनता को जागरूक कर रहा है और उसको इस कार्य के लिए तैयार  करने वाले अतुल जी का ऐसी विषम परिस्थितयों में इतनी कम उम्र में अकेले छोड़ जाना बर्दाश्त के बाहर है ऐसे में सिवाय उन्हें श्रद्धांजलि देने के हम कुछ नहीं कर सकते बस यही कह सकते हैं की ईश्वर इस दुःख की घडी में अतुल जी के परिजनों और साथियों को  दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करे.उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मैं एक शायर की चंद पंक्तियाँ लिखते हुए अपनी लेखनी को यहीं विराम दे रही हूँ: कुछ लोग थे जो वक़्त के सांचे में ढल गए, कुछ लोग थे जो वक़्त का ढांचा बदल गए.                 और अतुल जी ऐसे ही थे....