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Showing posts from June 2, 2009

कहीं आप प्यार में तो नहीं.....???

कई बार आप खुद समझ नहीं पाते कि आपको प्यार हुआ भी है कि नहीं..आइए हम करते हैं आपकी मदद...ये 12 बातें साबित कर देंगी कि आप प्यार में है कि नहीं....... 12 जब आप रात को उससे फोन पर बात कर देते हैं और फोन रख देते हैं, तो फोन रखने के दो मिनट बाद भी आपको उनकी याद आती है.... 11 जब आप उनके साथ होते है तो खुद ही धीरे चलने लगते हैं.... 10 उनके आसपास होने से खुद आपको शर्म आने लगती है..... 9 उनकी आवाज सुनते ही आपके चेहरे पर हंसी खिल जाती है...... 8 जब उनकी तरफ आप देखते हैं तो आसपास खड़ा कोई और नजर नहीं आता, बस वही नजर आता है.... 6 वहीं है बस जिसके बारे में आप सोचते हैं....... 5 आप को यह एहसास है कि जब भी आप उन्हें देखते हैं तो हमेशा हंसते रहते है..... 4 उन्हें देखने के लिए आप कुछ भी कर सकते हैं...... 3 यह सब पढ़ते समय आपके दिमाग में किसी एक इंसान की सूरत घूम रही है...... 2 यह पढ़ते समय आप उस इंसान के बारे में पढ़ने में इतने मशगूल थे कि आपको ध्यान ही नहीं रहा कि सातवें नंबर का पाइंट तो है ही नहीं....... 1 अब आप ऊपर जा कर ७ वां नंबर ढूंढेगे, और नीचे आकर खुद पर ही हंसेंगे। आगे पढ़ें के आगे यहाँ
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

ग़ज़ल

तारीफों को ओढ़ने वाले ऊँची ऊँची छोड़ने वाले लाख ख़ुद को बढ़ा चढ़कर अब फूलों में तोले लेकिन दुनिया कुछ भी बोले दर्पण झूट न बोले........... सच्चाई बिन चाह न होती तन्हाई बिन राह न होती प्यार की प्यास का अर्क अलग है अंगडाई बिन आह न होती लाख तू मेरे नाम लिखे तकियों को खूब भिगो ले लेकिन कजरारी आँखों का सावन न बोले तारीफों को ओढ़ने वाले ऊँची ऊँची ..................... लाख ख़ुद को बढ़ा ................................. की गज़लों के है अपने मौसम गीतों के है अपने सरगम पुरवा पचुवां सब बेमानी लहराते है प्यार के परचम लाख तू अपने खुली हवा में तनहा तनहा डोले लेकिन ये सर्दी से ठिठुरता तन मन झूट न बोले तारीफों को ओढ़ने वाले............................ की मन सीनों तक आजाता है तन बांहों तक आजाता है चाहे कितना कोई छुपा ले दिल होंठों तक आजाता है लाख तू अपने तर्कों के शब्दों को रंग से धो ले पर चेहरे के पल पल का परिवर्तन झूट न बोले तारीफों को ओढ़ने वाल्व ऊँची ऊँची छोड़ने वाले लाक ख़ुद को बढ़ा चढाकर अब फूलों में तोले लेकिन दुनिया कुछ भी बोले दर्पण झूट न बोले

लोकसंघर्ष !: कांग्रेस का हाथ- साम्राज़्यवादियो के साथ

संसदीय चुनाव के पश्चात देश में साम्राज्यवादी शक्तियों व इजारादार उद्योगपतियों की समर्थितसरकार बन चुकी है । इन्ही शक्तियों की बी टीम राजग पराजित हुई ,जिससे अति सांप्रदायिक शक्तियाँ हल्का सा नरम हुई है। अमेरिकन सरकार के राजदूत चुनाव प्रचार से पूर्व और मतदान संपन्न होने तक विभिन्न क्षेत्रीय दलों से लेकर छोटी-छोटी पार्टियों के प्रमुखों से बातचीत करते हुए अमेरिकन साम्राज्यवाद के प्रति वफादार सरकार बनवाने का प्रयास कर रहे थे। मतगणना के पश्चात् स्वत : उनकी समर्थक सरकार बन गई है। नवगठित सरकार का शीर्ष एजेंडा यह है की आर्थिक सुधारो के नाम पर बैंक,बीमा सहित सभी सार्वजनिक क्षेत्रो का निजीकरण करना है । गौरतलब बात यह है की चुनाव से पूर्व संप्रंग सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तारीफे कर रही थी कि आर्थिक मंदी का सबसे कम प्रभाव पड़ा और अब संप्रग सरकार ने कहा कि आर्थिक सुधारो को शीघ्रता से लागू किया जाएगा। आने वाले दिनों में और अधिक महंगाई,बेरोजगारी , भुखमरी , शोषण व अत्याचार जनता को तोहफे के रूप में मिलने वाले है । चुनाव के समय प्रधानमन्त्री जी जी-20 देशो के सम्मलेन में अमेरिकन साम्राज्यवाद और उसके मित्र म

लोकसंघर्ष ब्लॉग का नया रूप

प्रिय पाठको , लोकसंघर्ष ब्लॉग के लुक को कई बार customize किया गया और कई टेम्पलेट्स बदली गई लेकिन वे सफल नही रही । इसलिए लोकसंघर्ष ब्लॉग को अन्तिम एवं नया रूप दिया गया है । ॥ ब्लॉग देखें और उसके नए रूप पर कमेंट्स करें ॥ loksangharsha . blogspot . com

लोकसंघर्ष !: तुम्हारे बिना जिंदगी....

तुम्हारे बिना जिंदगी यू कटी- कि जैसे दिया ज्योति के बिन जले। स्वप्न साकार दर्शन से होने लगे- निमंत्रण मौन अधर देने लगे, मन के दर्पण में मूरत बसी इस तरह, कोरे सपनो में भी रंग भरने लगे, छोड़ मझधार में ख़ुद किनारे लगे बोझ सांसो तले रात दिन यूँ चले जैसे मंजिल बिना कोई राही चले- । साँस की राह पर प्यार चलता रहा, रूप की चांदिनी में वो बढ़ता रहा। नैन की नैन से बात होती रही , प्रेम व्यापार में मन ये बिकता रहा। आंसुओं के तले पीर दुल्हन बनी वो सुहगिनि मिली यू मिलन के बिन- जैसे मोती के बिना सीप कोई मिले -डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '

लोक सभा चुनाव 2009

अडवाणी ने मनमोहन सिंह को कमज़ोर प्रधानमंत्री कहा

न राम याद, न सीता

मन्दिर चुनाव का समय, निकट आया परिषद् को राम नाम भाया कुछ भी हो वह राम नाम जाप करायेगी वोट बैंक बढ़ायेगी राष्ट्र रहे न रहे मन्दिर वहीं बनायेगी। चुनाव का वक्त बीता, न राम याद, न सीता शान्ति के साथ बैठकर, पढ़ने लगे गीता।