Skip to main content

Posts

Showing posts from May 14, 2012

मुस्कान में दबी चीखों और सिसकियों को समझे,उन्‍हें यातना से निकालें ।

♦ आमिर खान … ब च्चों के यौन शोषण की घटनाओं पर शोध के दौरान मुझे एक बड़ी सीख तब मिली, जब मैंने अपनी विशेषज्ञ डॉ अनुजा गुप्ता से पूछा कि यौन शोषण का शिकार होने के बाद भी बच्चे अपने मां-बाप से उसके बारे में बताने में कठिनाई महसूस क्यों करते हैं? उनका जवाब था, ‘क्या हम बच्चों की सुनते हैं? क्या हम उनकी बात सुनने के लायक हैं?’ और यह वास्तव में एक बड़ा सवाल है। मेरा अपने बच्चों के साथ क्या संबंध है? क्या मैं अपने बच्चों से उनकी परेशानियां पूछता हूं? क्या वास्तव में बच्चों की बात सुनता हूं? क्या मैं जानता हूं कि मेरे बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है? क्या मैं उसके भय, सपनों, उम्मीदों के बारे में जानता हूं? क्या वास्तव में मैं यह सब जानना भी चाहता हूं। क्या मैं अपने बच्चों का दोस्त हूं? हालांकि पहली पीढ़ी  की तुलना में हमारी पीढ़ी बच्चों के साथ अधिक बातचीत करती है। या कम से कम हम ऐसा मानना पसंद करते हैं… फिर भी हममें से कितने हैं जो अपने बच्चों के साथ मजबूती से जुड़े हैं? हममें से कितनों के पास एक स्वस्थ संबंध के लिए जरूरी समय और सोच है? सच्चाई यह है कि अगर आपका अपने बच्चों के साथ