हथेलियों मै पानी सी कभी ठहरती ही नहीं , मुठ्ठी मै रेत बन के फिसल जाती है ! पकड़ना तो कई बार चाहा है मैने उसे , बंद आँखों के खुलते ही खो जाती है ! मस्त पवन सी झूमती सी आती है , आंधी की तरह सब कुच्छ उड़ा ले जाती है ! कडकती धूप मै जब पांव मेरे जलते हैं , झट से बदलों की छाँव वो बन जाती है ! ख़ुशी मिले मुझे तो वो दूर मुझसे होती है गम के आते ही वो मरहम का काम करती है ! हर राह मै वो साथ मेरे चलती है , सुख - दुःख का लेखा - जोखा रखती है ! मेरे दुःख मै बिन बादल ये बरसती है , ख़ुशी मिले तो ये धूप बनके खिलती है ! जब एक हसीन ख्वाब मै बुनती हु , तुझको तो मै साथ लेके चलती हु ! हर ख्वाब सच भी तो नहीं होता ........... उस वक्त बढकर तेरा हाथ थाम लेती हु ! तेरी हिम्मत से नया ख्वाब में बुनती हु ! फिर बेखोफ आगे का सफ़र तय करती हु !