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Showing posts from January 12, 2011

antar

चिलचिलाती धूप भी कितनी शीतल लगती है जब एयर- कंडिशनर कमरे की बंद खिड़की के शीशे से बाहर देखो. जनवरी की रात भी कितनी गरम लगती है जब कमरों में हीटर लगाकर लिहाफ में let जाओ गद्दों के पलंग पर . antar

अप्राकृतिक सेक्‍स की देन वाइफ स्‍वैपिंग

जैसे जैसे समाज बोल्‍ड होता जा रहा है रिश्‍तों के कई नए नए रूप सामने आ रहे हैं। इन दिनों समाज में वाइफ स्‍वैपिंग का कांसेप्‍ट चर्चा का विषय बना हुआ है क्‍योंकि भारतीय समाज अभी इतना बोल्‍ड नहीं हुआ है जो इस तरह के रिश्‍तों को समाज में जगह दे। शहर के बड़े बड़े होटलों में यह खेल खुले आम खेला जाता है कभी चाबी बदलकर,तो कभी अंकों के मायाजाल से,लेकिन हैरत की बात यह है की आज मर्दों के साथ साथ औरतें भी इस खेल में रूचि ले रही है,अपने मर्द की गैरमौजूदगी में भी औरत को यह खेल खेलने में ऐतराज़ नहीं है. कई बार खबरों की सुर्खियों में रहा यह मामला लोगों के लिए जिज्ञासा बना हुआ है कि आखिर लोग ऐसा क्‍यों करते हैं? इसके पीछे उनकी क्‍या मानसिकता होती है?क्या कुछ दिनों में यह खेल देश के हर कोने में पैर पसार लेगा? क्‍या है वाइफ स्‍वैपिंग इसके तहत लोग अपनी पत्‍नी को दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने की छूट देते हैं। इसमें पति पत्‍नी दोनों की सहमती रहती है। दो पुरुष आपस में पत्‍नी बदलते हैं लेकिन कई बार यह दायरा बढ़कर 4 या 6 भी हो सकता है। अप्राकृतिक सेक्‍स की प्रवृति मनोवैज्ञानिक विनय मिस्रा का कहना है कि भल

जिंदगी

हथेलियों मै पानी सी कभी ठहरती ही नहीं ,  मुठ्ठी मै रेत बन के फिसल जाती है !  पकड़ना तो कई बार चाहा है मैने उसे ,  बंद आँखों के खुलते ही खो जाती है !  मस्त पवन सी  झूमती सी आती है ,  आंधी की तरह सब कुच्छ उड़ा ले जाती है !   कडकती धूप मै जब पांव मेरे जलते हैं ,  झट से  बदलों की छाँव वो  बन जाती है !    ख़ुशी मिले मुझे तो वो दूर मुझसे होती है   गम के आते ही वो मरहम का काम करती है !  हर राह मै वो  साथ मेरे चलती है ,  सुख - दुःख का लेखा - जोखा रखती है !  मेरे दुःख मै बिन बादल ये बरसती है ,  ख़ुशी मिले तो ये  धूप बनके खिलती है !  जब एक हसीन ख्वाब मै बुनती हु ,  तुझको तो मै साथ लेके   चलती हु !  हर ख्वाब सच भी तो नहीं होता ........... उस वक्त बढकर तेरा हाथ थाम लेती हु ! तेरी हिम्मत से नया ख्वाब में बुनती  हु ! फिर बेखोफ आगे का सफ़र तय  करती  हु !