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Showing posts from July 2, 2011

ब्रिज के ऊपर सौदा और नीचे अंधेरे में कामलीला

  सूरतः यहां के सरदार ब्रिज जैसे महत्वपूर्ण जगह पर बिंदास सेक्सरैकेट का धंधा फल-फूल रहा है। डीबी गोल्ड ने एक स्टिंग ऑपरेशन करके यह खुलासा किया कि किस तरह ब्रिज पर खड़ी कॉलगर्ल और दलाल नियम-कानून को धता बताकर ग्राहकों से सौदे को अमली-जामा पहनाते हैं। ग्राहक बिना किसी डर के ब्रिज पर न सिर्फ भाव-ताव करता है, उसके बाद ब्रिज के नीचे अंधेरे में कामलीला...। सबसे बड़ी बात इस ब्रिज से आने-जाने वाली सभ्य घरों की महिलाओं को भी कई बार ग्राहकों के गंदे जुबान से होकर गुजरना पड़ता है, इसके लिए स्थानीय लोगों ने कई बार पुलिस में शिकायत भी की लेकिन सेक्स रैकेट के खिलाफ कोई कुछ न कर सका। इस पूरे प्रकरण में उमरा पुलिस सिर्फ तमाशबीन का रोल अदा कर रही है। कहां चलता है रैकेट? कई सालों से शहर के मजुरागेट के पास सरेआम वेश्यालय चल रहा है। लेकिन अब दो महीने से ग्राहक सरदार ब्रिज पर कॉलगर्ल की तलाश में इधर-उधर भटकते हुए दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि मजुरागेट के साथ ब्रिज पर भी कॉलगर्ल का सौदा होता है। कौन है सूत्रधार मजुरागेट और सरदार ब्रिज के नीचे दो पुरुष और लगभग चार महिला दलाल यह सेक्स रैकेट चलाती हैं। इतना

संत निगमानंद के बलिदान को न्याय का इंतजार

Source:  मातृसदन संत निगमानंद सन् 1998 से ही गंगा में अवैध खनन व क्रशिंग गतिविधियों के विरुद्ध मातृसदन का संघर्ष जारी रहा है, जिसके परिणामस्वरूप हरिद्वार कुंभ क्षेत्र से अधिकांश स्टोन क्रेशर व खनन गतिविधियाँ प्रतिबंधित हुईं। सरकार, प्रशासन व खनन तंत्र को मातृसदन के सत्याग्रह के समक्ष निरुत्तर होना पड़ा, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय व स्थानीय शोध आख्या ने भी खनन को अनुचित व विनाशकारी करार देते हुए इसे बंद करने की सिफारिशें की थीं। हर तरफ से गिरते इस अवैध विनाशकारी व्यापार के पोषण हेतु तब खनन तंत्र ने न्यायपालिका को हथियार बनाना चाहा और सरकार व प्रशासन का न्यायालय में मौन साधना पुनः एक बार खनन तंत्र के लिए जीवनदायी साबित हुआ एवं 10 दिसंबर 2010 के खनन व क्रशिंग को प्रतिबंधित करने के सरकारी शासनादेश पर पुनः उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी। इस प्रकार लोकतंत्र के प्रत्येक स्तंभ को घोर तमस से आच्छादित करते जा रहे और अब न्यायपालिका तक पहुँच चुके इस भ्रष्ट अर्थतंत्र को विच्छिन्न करने व सत्य को उजागर करने हेतु प्रारंभ हुआ स्वामी निगमानंद जी का यह अंतिम निर्णायक सत्याग्रह, ज्ञात हो कि 28 जनवरी से