दर्द का अहसास अल्फाजों में पिरोकर जीवंत ब्लोगिंग कर रही हैं हरकीरत हीर इक दर्द था सीने में , जिसे लफ्जों में पिरोती रही दिल के दहकते अंगारे लिए में , जिंदगी की सीडियां चढ़ती रही कुछ माज़ियों की कतरनें थीं , कुछ रातों की बेकसी जख्मों के ताकों में में रातों को सोती रही ..................जी हाँ दोस्तों यह चंद लाइनें हकीक़त हैं हरक