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Showing posts from June 25, 2010

लो क सं घ र्ष !: कितने मुनासिब हैं विशेष पुलिसिया दस्ते- अंतिम भाग

विशेष बलों के जरिए होने वाली फर्जी गिरफ्तारियों का सिलसिला उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी मनगढ़ंत कहानी पर फर्जी गिरफ्तारी करने के मामले में अदालत में मुँह की खा चुकी है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की करतूत तब सामने आईं, जब अदालत ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किए गए कथित आतंकियों को रिहा कर दिया। इन कथित आतंकियों को स्पेशल सेल ने 2005 में मुठभेड़ के बाद दिल्ली से गिरफ्तार किया था। इन पर भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून पर हमले की साजिश का आरोप था। जिसे स्पेशल सेल ने एक बड़ी कामयाबी के तौर पर प्रचारित किया था। जबकि गिरफ्तार किए गए सभी चारो लोग पुलिस की तरफ से पेश की गई चार्जशीट के विरोधाभासी ब्यौरों के आधार पर निचली अदालत द्वारा बरी कर दिए गए हैं। अदालत ने स्पेशल सेल के कामकाज से असंतोष व्यक्त करते हुए बार-बार टिप्पणी की है कि स्पेशल सेल ने अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल किया है। दिल्ली पुलिस ने मार्च 2005 में जिन चार लोगों को आतंकी बताकर गिरफ्तार किया था, पाँच साल बाद जब वे छूटे तो उनके पास न तो वह उल्लास था और न वे सपने, जो उन्होंने पुलिसिया साजिश का शिकार होने से

कैसी घटा निहार रही है..

कैसी घटा निहार रही है॥ अबतो अम्बर टूटेगा॥ धरती के इस मल मूत्र को॥ वर्षा ऋतू अब लूटेगा॥ पग पग पर हरियाली होगी॥ बाग़ में कोयल बोलेगी॥ हर खेतो में धान की कलियाँ॥ पहन के घुघरू डोलेगी ॥ हर किसान के मन के अन्दर॥ खुशिया नहीं समाएगी॥ अब सुहागिन घर मंदिर में॥ बारिश के गीत सुनाएगी॥ जब बुराई को समय का बौडर॥ चलती राह घसीटेगा॥ धरती के इस मल मूत्र को॥ वर्षा ऋतू अब लूटेगा॥ प्यास बुझेगी पशु प्राणी की॥ हर गड्ढो में जल का वास॥ कोई भूखा नहीं मरेगा॥ न डालेगा गले में फांस॥ हर जंगल में मंगल होगा॥ लोरी नानी सुनाएगी॥ घटी कहानी जो रिम-झिम में॥ उसको हमें बताएगी॥ अब दुखियो का दुःख जाएगा॥ ख़ुशी न कोई लूटेगा॥ धरती के इस मल मूत्र को॥ वर्षा ऋतू अब लूटेगा॥

मामा मेरी मामी जी नादानी कर गयी..

मामा मेरी मामी जी नादानी कर गयी॥ १२ साल के बच्चे संग बचकानी कर गयी॥ पास ओ आयी थी मुझको सहलाई थी॥ हंस करके गले मुझको लगाईं थी॥ प्यारे प्यारे होठो की निशानी दे गयी॥ १२ साल के बच्चे संग बचकानी कर गयी॥ हाथ से उठा करके खात पे गिरा के। मुझको दबा के तेल लगा के॥ भीनी खुशबू की निशानी दे गयी॥ १२ साल के बच्चे संग बचकानी कर गयी॥ अंचरा गिरा के नैना झुका के॥ हाथो से अपने गाल को मिला के॥ प्यारी प्यारी आँखों की सलामी दे गयी॥