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Showing posts from September 12, 2009

अगर आपके पास इस छाया चित्र के लिए शब्द है तो हमें भेजिये

यह छाया चित्र स्थानीय अख़बार दैनिक छत्तीसगढ़ से लिया गया है लेकिन इस चित्र को देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मै तारीफ करता हु उस फोटो ग्राफर की जिनकी निगाहे काबिले तारीफ है जिन्होंने इसे अपने कैमरे में कैद किया अगर आपके पास इस छाया चित्र के लिए शब्द है तो हमें भेजिये Cg4भड़ास . काँम सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

पी करके जीता हूँ॥

अब तपन सताती है॥ मै आंसू पीता हूँ॥ तेरी याद में हरदम जानू॥ मै मर के जीता हूँ॥ क्या टूट गए वे बंधन॥ जो बांधा था मन्दिर में॥ क्या याद नही आती॥ जो स्वप्न सजाया था दिल में॥ लोगो के ताना सुन कर ॥ मै रोज़ पीता हूँ॥ तभी तो तेरी याद में पी करके जीता हूँ॥

sanskaar

घ्णा करना हमारी सभ्यता में नही आता॥ घ्रणित व्यक्ति का निरादर करना॥ हमारे संस्कार की निशानी है॥ सही बात हमेशा सीधे बोली जाती है॥ बुरी बात बोलने के लिए समय रूक जाता है॥ पर सच्चाई कदुई लगाती है॥ पर बुरी बात कलयुग की है॥ चमचागिरी से स्टार ऊंचा हो सकता है। पर चमत्कारी नही ॥ चमचागिरी चन्द दिनों की होती है... कर्ताव्यनिष्ट उससे बलवान होता है...

लो क सं घ र्ष !: स्मृति शेष: घुपती हृदय में बल्लम सी जिसकी बात, उसे गपला ले गयी कलमुँही रात -02

प्रमोद उपाध्याय इस तथाकथित लोकतंत्र के बारे में भी ख़ूब सोचते और बातें करते थे। उनके पास बैंठे तो वे लोकतंत्र की ऐसी-ऐसी पोल खोलते थे कि मन दुखी हो जाता और देश के राजनेताओं को जूते मारने की इच्छा होने लगती। प्रमोद जी बार-बार लोकतंत्र में जनता और सत्ता के बीच फैलती खाई की तरफ इशारा करते। उन्हीं के शब्दों में कहें तो-लोकतंत्र की बानगी देते हैं हुक्काम/टेबुल पर रख हड्डियाँ दीवारों पर चाम। ख़ुद मास्टर थे, लेकिन शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी कुछ यो करते- नई-नई तालीम में, सींचे गये बबूल बस्तों में ठूसे गये, मंदिर या स्कूल जब 1992 में बाबरी को ढहाया गया। प्रमोद जी ऐसे बिलख रहे थे जैसे किसी ने उनका झोपड़ा तोड़ दिया, जबकि प्रमोद जी न मंदिर जाते, न मस्जिद। प्रमोद जी ने साम्प्रदायिकता फैलाने वालों को मौखिक रूप से जितनी गालियाँ बकीं, वो तो बकीं ही, पर साम्प्रदायिक राजनीति पर अपनी रचनाओं में जी भर कटाक्ष भी किया। देखिए एक बानगी- रामलला ओ बाबरी, अल्ला ओ भगवान भूखे जन से पूछिये, इनमें से कौन महान दीवारों पर टाँगना, ईसा सा इंसान यही सोचकर रह गईं, दीवारें सुनसान और एक शेर है कि- ख़ुदगर्जों का बढ़ा काफिला, क़ौम ध

उसमे प्यार की ज्योति जलाना पडेगा..

रूठ कर के अगर तुम चले भी गए॥ बाद में तुमको वापस आना पडेगा॥ है सच्चाई गर यूं मेरे प्यार में॥ बाद में तुमको मुझको मनाना पडेगा॥ हमने अपना बनाया तुम्हे जान के॥ प्यार दिल ने जगाया तुम्हे मान के॥ मेरा पल्लू गिरा है किनारे पे जा॥ अपने हाथो से साजन उठाना पडेगा॥ मैंने थाली सजायी प्रिये प्रेम की॥ उसमे मोती जडी है स्नेह की॥ usame प्यार की ज्योति जलाना पडेगा॥

सच्चे vachan

निष्ठुर निर्दयी कपटी बन कर॥ धरती पर करते पाप क्यो इतना॥ मानव जीवन सरल नही है॥ इसको खीचो बाधे उतना॥ उपकार करोगे उत्तम जीवन की॥ लय तुम्हे मिल जायेगी॥ तेरी करनी धरनी की गाथा॥ उत्तम प्राकृत गाये गी॥ असहाय और निर्दोष व्यक्ति पर॥ कभी न अत्याचार करो॥ हो सके तो मोटा छोटा॥ थोडा बहुत उपकार करो॥

--हिन्दी -हिन्दुस्तान का एक दर्द , हमारा अंग्रेजी प्रेम ---

हमारा अंग्रेजी प्रेम-- <- -चित्र १ चित्र २---> अब देखिये बात या कार्य-क्रम शोक जताने,बच्चों को नैतिक शिक्षा की हो जिसमें एक बड़े जिम्मेदार स्कूल( वैसे इस स्कूल में सब कुछ अंग्रेजी में ही होता है) के संस्थापक हों ;या शोषण के ख़िलाफ़ अभिभावकों के मंच की हो जिसमें न्यायाधीश , पुलिश महानिदेशक व हिन्दी के विद्वान् साहित्य-भूषण सम्मानित गण हों ; कार्य-क्रम के पट (बैनर ) आदि अंग्रेजी में होंगे । जब मूल भावना ही अंग्रेजियत की होगी तो बच्चों व नागरिकों पर भारतीय प्रभाव कैसे पड़े ? हम कब सोचेंगे , कब बदलेगा यह सब ? हम कबतक हिन्दी में सोचने , समझने , लिखने लायक होंगे ? चित्र १ -अभिभावक गोष्ठी में डॉ रामावतार सविता 'साहित्य-भूषण ' व अन्य। चित्र २-सिटी मांट,स्कूल के संस्थापक श्री गांधी -नेतिक- शिक्षा देते हुए।

निर्बलता दूर करने के उपाय : डॉ. कृष्णमोहन निगम, जबलपुर

निर्बलता दूर करने के उपाय : डॉ. कृष्णमोहन निगम, जबलपुर -- बिदारीकंद को पीस-छान कर समान भर खांड (शक्कर) मिलाकर रख लें. एक-एक चम्मच गौ-दुग्ध के साथ सेवन करने से निर्बलता दूर होगी. -- दो-दो अंजीर सुबह-शाम गौ-दुग्ध में औंटाकर सेवन करें तो यौन निर्बलता घटेगी. -- पाँच मुनक्के गौ-दुग्ध में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने स एशारिरिक निर्बलता दूर होगी. -- पुनर्नवा कि जड़ तथा छाल को मिलाकर प्रातःकाल निहारे पेट दुग्ध के साथ सेवन करें तो शारीरिक निर्बलता दूर होकर स्मरण शक्ति बढेगी.