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Showing posts from November 1, 2011

.बात त्यौहार और खासकर इस्लाम से जुड़े क़ुरबानी के त्यौहार ईदुज्जुहा की है दोस्तों छोटा मुंह बढ़ी बात है ..बात त्यौहार और खासकर इस्लाम से जुड़े क़ुरबानी के

दोस्तों छोटा मुंह बढ़ी बात है ..बात त्यौहार और खासकर इस्लाम से जुड़े क़ुरबानी के त्यौहार ईदुज्जुहा की है जिसमे हज के अरकान के साथ ही खुदा बंदे से क़ुरबानी मांगता है और मुसलमान जो बहेसियत है वोह एक दुम्बा बकरा या पाड़ा कुर्बान करके सवाब कमाने के बारे में सोचता है ..इस्लाम का हुक्म है के इस दिन कोई भी मुसलमान खुद को जो सबसे ज्यादा पसंद हो उसे खुदा की राह में कुर्बान करे और उसके बाद इसकी रस्म एक जानवर की कुर्बानी के रूप में मनायी जाने लगी ..इस्लामिक रिवायत के तहत खुद बकरा या दुम्बा या कोई भी जानवर पालता था उसे प्यार और दुलार से रख कर बढ़ा करता था और फिर साल भर का कमसे कम होने पर उसे खुदा की रह में कुर्बान करता था इस पर यह पाबंदी थी की वोह जानवर कहीं घायल नहीं हो या उसका कोई अंग भंग नहीं हो ..यह सब इसलियें था के उसे अपने साथ एक परिवार के सदस्य के रूम में रख कर क़ुरबानी के वक्त खुदा की राह में अपनी प्रिय चीज़ के बिछड़ने के गम का एहसास होता था .... खुद जानवर को हलाल करता था फिर खाल उतारता था और फिर उसके तीन हिस्से रख कर एक हिस्सा खुद रखता था दो हिस्से गरीबों और मिलने वालो