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Showing posts from August 14, 2010

पहले आवाज फिर पत्थर

क. यतीश राजावत सरकार केवल जबानी जमा-खर्च करती है। वह कहती भर है कि हमें समाज के हर तबके को साथ लेकर चलना है, लेकिन लगता नहीं कि देश के आम लोगों के लिए काम करने में उसकी कोई दिलचस्पी है। छोटे-बड़े हर मोर्चे पर केंद्र सरकार देशवासियों से दूर होती जा रही है। अगर यही रुख रहा तो केवल श्रीनगर में ही पत्थर नहीं फेंके जाएंगे, पूरे देश में यह हालत हो जाएगी। उदाहरण के तौर पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय रिटेल (खुदरा) कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की योजना बना रहा है। मंत्रालय ने एक मसौदा प्रस्ताव तैयार किया है कि खुदरा उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होना चाहिए या नहीं? प्रस्ताव अंग्रेजी में है। अगर आपके पास इंटरनेट कनेक्शन है और आप इसे मंत्रालय की साइट पर जाकर देख सकते हैं तो आप इस पर ‘कमेंट’ दे सकते हैं। मंत्रालय भलीभांति जानता है कि इस नीति से समाज के जिस तबके के ऊपर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, वह अंग्रेजी नहीं जानता। चाहे वह खिलौने बेचने वाला लुधियाना का कोई छोटा कारोबारी हो या दिल्ली की खारी बावली का कोई किराना व्यापारी या लखनऊ के हबीबगंज बाजार का कोई कुर्ता विक्रेता। इन सब लोगों क