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Showing posts from January 30, 2009

यौन शिक्षा - यानि क्या ?

       जब भी हम किसी अपरिचित व्यक्ति से मिलते हैं तो या तो हम उसके प्रति उदासीन रहते हैं या फिर उसके प्रति आकर्षण अथवा विरक्ति की भावना हमारे अंदर जन्म लेती है।  विरक्ति अथवा उदासीनता का भाव आया तब तो मामला यहीं समाप्त हो जाता है पर यदि हमें उस व्यक्ति के प्रति कुछ आकर्षण अनुभव होता है तो हम यह चाहते हैं कि वह व्यक्ति भी हमें पसन्द करे।  हमें कोई अपरिचित व्यक्ति क्यों अच्छा या बुरा लगने लगता है यह हम तुरन्त समझ पायें , यह आवश्यक नहीं है।   हमारी पांचों ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से सामने वाले व्यक्ति के बारे में जो जानकारी हमारे जाग्रत व अद्र्धजाग्रत मस्तिष्क तक पहुंचती हैं , उनके आधार पर हमारे भीतर बैठे थर्ड अंपायर  का निर्णय आता है - 'आउट' या 'नॉट आउट' !   स्वाभाविक ही है कि अंपायर कुछ कायदे-कानूनों के आधार पर निर्णय लेता है और इस मामले में  ये कायदे - कानून बनते हैं -- हमारी शिक्षा-दीक्षा , हमारे संस्कार , हमारे आदर्श , नैतिक मूल्य ,  हमारी अभिरुचियॉं और हमारे सौन्दर्यबोध आदि के आधार पर ।  हमारे मस्तिष्क रूपी थर्ड अंपायर को निर्णय लेने में अक्सर पलक झपकने जितना
क्या गाँधी के विचारों के नाम पर निठारी के नर-पिशाचों को छोड़ने की भूल से हजारों कोहली और पंधेर को जन्म नही देंगे ?????? पिछले साल इसी दिन "गाँधी के विचारों की प्रासंगिकता " विषय पर एक गोष्ठी में गया था । चर्चा में मूल उद्येश्य से भटके वक्तागण वही पुरानी घिसी-पिटी बातें को लेकर गाँधी गुणगान में लगे थे । बात होनी चाहिए थी किआज २१ वीं सदी में गांधीवाद कितना प्रासंगिक है ? लेकिन पुरी चर्चा से ये मुद्दा ही गायब था । क्या कीजियेगा हमारे यहाँ शुरू से इस महिमामंडन कि परम्परा रही है! जीवन पर्यंत इश्वर में अविश्वास रखने वाले बुद्ध की प्रतिमा आज उतने ही आडम्बर के साथ पूजी जाती है! गाँधी जो ख़ुद जीवन भर ऐसी चीजों का विरोध करते रहे आज उनके चेले उनके विचारों पर गोबर डाल रहे हैं ! गाँधी जिस राम का नाम लेते-लेते जहाँ से चले गए आज उसी राम का नाम लेने से उनके चेले घबराते हैं! विडंबना ही है साहब !आजीवन गाँधी स्वदेशी - स्वदेशी रटते रहे आज उनके छद्म अनुयायी विदेशी कंपनियों को भारत को लुटने का लाइसेंस दोनों हाथों से बाँट रहे हैं! अब कितनी बात बताऊँ इन गांधीवादियों की सुन-सुन कर पक जायेंगे आप । तो

ब्लोगेरिया से बचने की दवा की खोज,सब ब्लॉगर मे जश्न का माहोल

सारा देश आज ब्लोगेरिया की चपेट मे है यह रिपोर्ट हम तक पहुंची है हे प्रभु तेरा पंथ के हवाले से !जब इस बिकट मनोरंजक और ज्ञानवर्धक विपदा के बारे मे विस्तारपूर्बक जांच की गयी तो हुम्हे जो ज्ञात हुआ वह काफी चौकाने वाला है, ब्लोगेरिया रोग देखादेखी वाला रोग है ! और इस रोग से पीड़ित ब्लॉगर को यदि पाठकों की टिप्पणियाँ न मिले तो इसका सीधा प्रभाव ब्लॉगर के हिर्दय पर पड़ता है !! हे प्रभु तेरा पंथ जी हमारे सामने एक बहुत विकट समस्या रख दी है जिसका हल खोजना हमारा फ़र्ज़ है इसी दिशा मे एक दवाई आप लोगों तक पहुंचा रहा हूँ!! हिन्दुस्तान चिट्टा सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए एक विशेष प्रकार की टीम का गठन किया था ,जिसके ये बागडोर दी गयी थी की बह इस रोग के लिए दवा इजाद करे !इसके लिए हिन्दुस्तान का दर्द ने एक दवा इजाद की है जो काफी हद तक ब्लोगेरिया से निपटने मे सक्षम है! मानसिक हलचल जैसे मरीज तो बहुत है पर गंभीर अवस्था मे है जो उन्हें हम सब जानते है जरा देखिये ! 1. हे प्रभु तेरा पंथ 2. फुरसतिया 3. उडन तश्तरी .... 4. मोहल्ला 5. हिन्द-युग्म 6. सारथी 7. अज़दक 8. भड़ास blog 9. एक हिंदुस्तानी की डायरी 10. म

गांधी..........और हम उंचा सोचने वाले............!!

गांधी...........और हम उंचा सोचने वाले..........!! बरसों से गांधी के बारे में बहुत सारे विचार पढता चला आ रहा हूँ.....!!अनेक लोगों के विचार तो गाँधी को एक घटिया और निकृष्ट प्राणी मानते हुए उनसे घृणा तक करते हैं....!!गांधीजी ने भातर के स्वाधीनता आन्दोलन के लिए कोई तैंतीस सालों तक संघर्ष किया....उनके अफ्रीका से भारत लौटने के पूर्व भारत की राजनीतिक,सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां क्या थीं,भारत एक देश के रूप में पिरोया हुआ था भी की नहीं,इक्का-दुक्का छुट-पुट आन्दोलन को छोड़कर (एकमात्र १८५७ का ग़दर बड़ा ग़दर हुआ था तब तक)कोई भी संघर्ष या उसकी भावना क्या भारत के नागरिक में थी,या की उस वक्त भारत का निवासी भारत शब्द को वृहत्तर सन्दर्भों में देखता भी था अथवा नहीं,या की उस वक्त भारत नाम के इस सामाजिक देश में राजनीतिक चेतना थी भी की नहीं,या कि इस देश में देश होने की भावना जन-जन में थी भी कि नहीं............!!इक बनी-बनाई चीज़ में तो आलोचना के तमाम पहलु खोजे जा सकते हैं.....चीज़ बनाना दुष्कर होता है....महान लोग यही दुष्कर कार्य करने का बीडा लेते हैं..........और बाकी के लोग उस कार्य क

Is it Ind Vs pak????

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