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Showing posts from February 28, 2009

फोटोग्राफी क्लास - ज़ूम लेंस का परिचय

सबसे पहले तो इस अध्याय की कई दिनों से प्रतीक्षा कर रहे मित्रों से क्षमा याचना करना चाहूंगा। कुछ व्यस्ततायें घेरे रहीं , जिनके कारण कुछ लिख नहीं पा रहा था।    आपको पिछले आलेख में मैने बताया था कि कैमरे के दो कार्य हैं -  १ ) किसी दृश्य को व्यू फाइंडर पर दिखाना  २ ) उस दृश्य को , यदि हम चाहें तो स्थाई रूप से किसी न किसी मीडिया पर अंकित कर देना ।     कैमरा किसी दृश्य को अच्छी प्रकार से व्यू फाइंडर में दिखा पाये , यह मूलतः कैमरे की लेंस की क्वालिटी पर निर्भर करता है।  लेंस के डायमीटर का सीधा संबंध लेन्स की क्वालिटी से है - यह आप जान चुके हैं । अब आगे ...   आगे पढ़ें http:\\www.sushantsinghal.blogspot.com     Sushant K. Singhal website : www.sushantsinghal.com Blog :   www.sushantsinghal.blogspot.com email :  singhal.sushant@gmail.com  

..गुरु के साथ,गुरु से बड़ी प्रतिमा लगाने का गुरुर .........

" मन में उठते है कई सवाल सोचता हूँ की बोल दूँ शायद मन हल्का हो जाए पर मन में लदा बोझ हलका नही होगा | " - अम्बरीष मिश्रा दोस्तों !अगर आप इस फोटो से सम्बन्धी पार्टी से जुड़े हुए है तो मुझे बुरा न समझे बस मन की बात है तो कहरहा हूँ | सुनो सुनो ध्यान से सुनो क्या आप ने कभी जिन्दा के पुतले चौराहों पर देखे है या नही अगर नही देखे है तो देखिये , और आख खोल कर देखिये क्योकि ये कारनामा कर दिखाया है हमारे देश की भावी प्रधानमंत्री और वर्तमान की मन्न्यीमुख्यमंत्री मायावती जी ने , आप सही कहरहे है की ख़बर पुरानी है पर सही समय पर कही जाई तो असर सही होता है क्या आज तक किसी ने गुरु के सामने, गुरु के साथ, और गुरु से बड़ी प्रतिमा लगाने का गुरुर किया है जी हाँ ये है माया सभ्यता और आप इससे रूबरू हो जाओ मना है अच्छा कामकिया है पर आय से अधिक का मामला तो है इन पर भी ये भी उसी कतार में है जिसमे सुखराम को आराम मिला है बस कुछ सालो का तो सालो का क्या जाता है जैसे तैसे कट जायेंगे इन्ही सालो में इस जनता को नए नेता मिल जायेंगे जनता शांत है क्यकी कहने की ताक़त बिक गयी है चढ़गयी है भेट, रुपये

अंगद और लोकसभ चुनाव

लोकसभ चुनाव की अधिसुचना के लिए अब कुछ ही दिन शेष है और सभी राजनैतिक दल राष्ट्रीय महापर्व के फाइनल तैयारी में जुट गए है अगर हम छतीसगढ और [रायपुर] की बात करे तो किसी अखबार ने वर्त्तमान सांसद को अंगद से परिभाषित करते हुये लोकसभा चुनाव में उनके पैर उखाड़ने वाले की तलाश है से समांचार प्रकाशीत किया है अंगद से आप सभी परिचित है रामायण काल का यह पात्र किसी परिचय का मोहताज नहीं पर हम उस अंगद की नहीं भाजपाई अंगद की बात कर रहे है अविभाजित मध्य प्रदेश में कभी कांग्रेस का गढ रहा छत्तीसगढ अब अपने ही कांग्रेसी कर्णधारो से परेशान है नाटकिय तोर तरीके से मंचो और पार्टी बैठक में कांग्रेस को आगे लेजाने और प्रदेश में सत्तासीन होने की बात करते और कहते नहीं थकने वाले कांग्रेसीयो का सपना छतीसगढ विधान सभा चुनाव में अधुरा रहा गया यहाँ पर गोरतलब बात यह है की जिस तरह एक से अधिक बुधिमान एक साथ नहीं रह सकते और न किसी दुसरे बुधिमान का प्रतिनिधित्व स्वीकार कर सकते ठीक उसी तरह छत्तीसगढ में भी कांग्रेसीयो ने खुद को बुधिमान मानने की गलती कर ली जो की सच नहीं था और यह बात उनको जनता ने विधानसभा चुनाव में दिखा दिया . लेकिन

क्या भारतीय टीवी चैनल ऎसा नहीं कर सकते?

बात उस समय की है, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी एक आत्मघाती हमले में मारे गए थे। प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका “ टाइम” ने उस हादसे की तस्वीर प्रकाशित नहीं की। लेकिन अपने इस फैसले के बारे में एक संपादकीय जरूर प्रकाशित किया। “टाइम” ने लिखा, बावजूद इसके, कि यह हादसा दुनिया पर असर डालने वाली घटनाओं में से एक था, बावजूद इसके, कि राजीव गांधी विश्व के एक प्रमुख नेता थे, उन्होंने संपादकीय मंडल के विचार-विमर्श के बाद उनकी मृत्यु की तस्वीर प्रकाशित नहीं करने का फैसला किया। “टाइम” के संपादकीय में लिखा गया था, कि “वे तस्वीरें प्रकाशित नहीं करने का फैसला इसलिए किया गया कि मौत ने उन्हें वह गरिमा नहीं बख्शी जिसके वह हकदार थे। हम वे तस्वीरें नहीं प्रकाशित कर उनकी गरिमा की रक्षा करना चाहते थे।“ बात हम भारतीय समाचार टीवी चैनलों को याद दिला कर एक अनुरोध करना चाहते हैं, कम से कम लाशों की तसवीरें तो प्रसारित नहीं करिए। बम विस्फोट हो, या चामुंडा मंदिर में भगदड़, या लखनऊ फ्लाईओवर के धंसने से उसके नीचे दबे मृत शरीर- उनकी तस्वीरें दिखा कर क्या आप किसी मृतक की गरिमा का अनादर नहीं कर रहे? क्या उनके शोकग्रस्त परिवा

इतिहास या झूठ का पूलिन्दा

इतिहास क्या होता है,कौन लिखता है ये बहुत बड़ा प्रश्न है। कल मै पूरू व सिकन्दर की लडा़ई के बारे में पढ़ रहा था जो कि हालीवुड की फिल्म से कम रोमांचक नहीं था। पूरु के पास हजारों बडे़-बडे़ हाथी थे,लाखों सैनिक थे लेकिन फिर भी वे सिकन्दर के सिर्फ सैकडो़ सिपाहियों से हार जाता है। यानि की सिकन्दर के एक सैनिक पुरू के हजारों सैनिकों को मार गिराते हैं।यह विचाराधीन है(हालीवुड की फिल्मों में ही ऐसा होता है)। अच्छा आज जो हो रहा है वही कल का इतिहास होगा और उसे अर्जुन सिंघ जैसे लोग ही लिखेंगे तो आइये मै पचास साल बाद का इतिहास क्या लिखा जायेगा मै वो आपको बताता हूँ। १-भारत इटली के हाथों संचालित है क्योंकि इटली वासी सोनिया गाधी भारत के प्रधानमंत्री को अपने इसारों पर नचाती थी। २-अफजल गुरू भारत का इतना महान हसति था कि उसे फाँसी चढा़ने कि हैसियत किसी में नहीं थी। ३-भारतीय लोग स्ल्म डाग होते हैं क्योंकि आस्कर जैसा प्रतिष्ठित पुरसकार उसे ही मिलता है। ४-नेहरू ,इन्दिरा,राहुल ,सोनिया ,प्रियन्का इत्यादि के नाम पर लाखों स्कुल कालेज ,पार्क इत्यादि बताते है भारत गाँधी परिवार का गुलाम था।