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Showing posts from February 10, 2009

सड़क

देखा है मैंने हर मंज़र हँसना, खेलना, इठलाना तुम नन्हे क़दमों से दौड़ते हुए बाहर आती थी तुम्हारा प्यारा सा चेहरा और वो मीठी शैतानियाँ खिलखिलाती मुस्कान कैसे भूल जाऊं मैं गवाह हूँ मैं तेरी खुशियों तेरी ग़मों की कैसे भूल जाऊं मैं कल ही की तो बात थी जैसे चलना सीखा था तुमने तो भागती थी मेरी ही तरफ़ वो नन्हे कदम बढ़ते थे मेरी ओर फिर घर की ओर कैसे भूल जाऊँ मैं गवाह हूँ मैं तेरी खुशियों तेरी ग़मों की वो पहली बार जब मुझ पर गिरी थी तुम साईकिल से अपनी नौ साल की उम्र में चोट लगी थी तुमको, दर्द महसूस किया मैंने आंसू देखे थे तुम्हारी आँखों से बहते मैंने कैसे भूल जाऊँ मैं गवाह हूँ मैं तेरी खुशियों तेरी ग़मों की वो खेलना, वो दौड़ना, वो खिलखिलाना तेरा ऊँगली छोड़ कर बाहर की ओर भागना तेरा वो अल्हड वो मासूम सी चाहत तेरी आइसक्रीम वाले को रोकना और घरवालों से झगड़ना तेरा कैसे भूल जाऊँ मैं गवाह हूँ मैं तेरी खुशियों तेरी ग़मों की तुम्हारे पिता का दुलार, माँ का वो लाड वो भाइयों से लड़ना तेरा फिर प्यार से मनाना भी तेरा चलती साईकिल से गिरकर मुझ पर चोट खाना तेरा वो खो-खो, वो कबड्डी, वो छुपाछुपी का खेल तेरा कैसे भूल

सिर्फ हाथ फूल, अक्षत चढ़ाता है और दिमाग जहां- तहां घूमता है

विनय बिहारी सिंह हममें से कई लोगों की पूजा बहुत मेकेनिकल यानी यांत्रिक होती है। जल चढ़ाया, फूल चढ़ाया, अक्षत अर्पण किया, अगरबत्ती दिखाई, घंटी बजाई और प्रणाम करके आफिस या कहीं और चलते बने। मन में यह पक्की धारणा बन गई कि हां, आज पूजा की। ज्यादातर लोग तो ऐसे ही करते हैं। कई लोग तो घड़ी भी देखते रहते हैं औऱ मंत्र वगैरह भी पढ़ते रहते हैं। मन में चलता रहता है कि अमुक अमुक काम करने हैं या यहां जाना है वहां जाना है वगैरह वगैरह। तो फिर यह पूजा कहां हुई? यह तो जैसे कोई औपचारिकता कर ली। भगवान तो तब भी खुश हो जाते हैं जब आप उन्हें प्यार से याद करते हैं। कथा है कि एक बार नारद मुनि ने भगवान से पूछा कि आपका सबसे बड़ा भक्त कौन है। भगवान ने कहा- तुम्हीं बताओ। नारद मुनि ने कहा- जंगल में एक साधु ४० वर्षों से साधना कर रहा है, वही होगा। भगवान ने कहा- नहीं। नारद मुनि ने पूछा तो फिर कौन है? उन्होंने बताया कि अमुक गांव में एक किसान है जो अभी हल जोत रहा है। वही मेरा सबसे बड़ा भक्त है। नारद मुनि हैरान रह गए। वे तत्काल धरती पर उस किसान के पास एक साधारण आदमी के वेश में पहुंचे। देखा वह हल जोत रहा है और नारायण, नार

एक अच्छा ब्लॉगर बनाने की दवा ईजाद,देश व विदेशों में मची धूम!!

दोस्तों और मेरे आदरणीयों आप लोग तो जानते ही है हम हमेशा कुछ अच्छा करने की फिराक में रहे है हालाँकि ऐसा हुआ नहीं! पर कोशिश एक बार फिर हाजिर है तो आज हम आपको बता रहे है की एक अच्छा ब्लॉग बनाने के लिए क्या क्या होना जरुरी है॥आप आपके एक अच्छे ब्लॉगर बनने की ''दवा'' ! हम दावा करते है की अगर आप इस दवा का नियमित उपयोग करते है तो आपका सक्रियता क्रमांक १ हो जायेगा! और आप नंबर १ ब्लॉगर बन जायेंगे! एक अच्छा ब्लॉग बनाने में सबसे अधिक योगदान होता है पोस्ट का तो पोस्ट लिखते समय पोस्ट में निम्नलिखित सामग्री का होना बहुत जरुरी है ! १. सच्चाई के फूल -५ ग्राम २.सब्दों की मिठास ३.ईमानदारी के पत्ते -३ तोला ४.परोपकार की जड़ ५.मिलान्सार्ता के आंवले -५०० ग्राम ६.सत्संग का पानी - आवश्यकतानुसार ७.संगठन का दूध -२ लीटर 8 .शांतिप्रियता की छाल- 5 tola 9. उदारता का अर्क -२ माशा १०। स्वदेशप्रेम का रस-आधा लीटर ! बनाने की बिधि- इन सभी दवाओं का अच्छी तरह से मिश्रण करके परमात्मा के तपेले में भक्ति का शुद्ध घी डालकर प्रेम के चूल्हे पर रखकर ध्यान की अग्नि जलाये , अच्छी तरह बन जाने पर नीचे उतार लें और ठंडा