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Showing posts from July 15, 2010

महगाई की मार पड़ी जब...यार बहुत मै रोया था..

आफ सेंचुरी पूरी कर गया॥ कभी नहीं कुछ खोया था॥ महगाई की मार पड़ी तो॥ यार बहुत मै रोया था॥ प्यारा पोता हाथ कर बैठा॥ बाबा काजू खाना है॥ आज हमें सारंगी लाओ॥ आज ही हमें बजाना है॥ सारा खाता छान डाला॥ पेटी संदूक टटोला था॥ मेरी हालत देख के पोता॥ मन में बहुत मसोसा॥ क्यों इतनी महगाई आयी॥ टूटे शब्द में बोला॥ सुख सुविधा से दूर रहोगे॥ मै रो के पोते से बोला था॥ शम्भू नाथ