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Showing posts from March 29, 2010

जरूरी है आपसी संवाद

अंतरराष्ट्रीय सीमा और विद्वेष का लंबा इतिहास साझा करने वाले दो परमाणु ऊर्जा संपन्न पड़ोसी देश यदि अपने द्विपक्षीय रिश्तों के तकरीबन टूटने की हद तक पहुंचने की स्थिति में भी संतुष्ट बैठे हों तो इसका मतलब कोई गंभीर गड़बड़ी है। भारत-पाक के बीच यही हो रहा है क्योंकि दिल्ली में द्विपक्षीय बातचीत बहाल करने की कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। दोनों देश भले यह दिखाने की कोशिश कर रहे हों कि उन्हें यथास्थिति से फर्क नहीं पड़ता, पर सच यह है कि दोनों ऐसे हालात गवारा नहीं कर सकते। पहले पाकिस्तान को लें। ऐसा लगता है कि इस्लामाबाद अपनी विदेश नीति में आए एक कठिन दौर से उबर चुका है। अमेरिका के साथ उसकी रणनीतिक बातचीत इस बात का संकेत है कि वैश्विक राजनीति में पाकिस्तान अचानक प्रासंगिक हो उठा है। जब से तालिबान और अन्य अफगानी लड़ाकों के साथ मेल-मिलाप का मुद्दा अफगानिस्तान की स्थिरता संबंधी विमर्श के केंद्र में आया है, अचानक इस समूचे खेल में पाकिस्तान की जबरदस्त वापसी हुई है। अकेले यही चीज पाकिस्तान के पक्ष में जाती है, हालांकि देश के सामने खड़ी तमाम चुनौतियों के संदर्भ में किसी भी लिहाज से यह अंतिम सम

लो क सं घ र्ष !: तूने जो मूँद ली आँखें

पलक झपकते ही तूने जो मूँद ली आँखें , किसे खबर थी कभी अब ये खुल न पाएंगी । मेरी सदाएँ , मेरी आहें , मेरी फरियादें , फ़लक को छूके भी नाकाम लौट आएँगी ॥ जवान बेटे की बेवक्त मौत ने तुझको , दिए वो जख्म जो ता़ज़ीश्त मुंदमिल न हुए । मैं जानता हूँ यही जाँ गुदाज़़ घाव तुझे , मा - आलेकार बहुत दूर ले गया मुझसे ॥ वह हम नवायी वाह राज़ो नियाज़़ की बातें , भली सी लगती थी फहमाइशें भी मुझको तेरी । एक - एक बात तेरी थी अजीज तर मुझको , हज़ार हैफ् ! वो सव छीन गयी मता - ए - मेरी ॥ हमारी जिंदगी थी यूँ तो खुशग़वार मगर , जरूर मैंने तुझे रंज भी दिए होंगे । तरसती रह गयी होंगी बहुत तम्मानाएँ , बहुत से वलवले पामाल भी हुए होंगे ॥ ये सूना - सूना सा घर रात का ये सन्नाटा , तुझी को ढूँढती है बार - बार मेरी नज़र । राहे - हयात का भटका हुआ मुसाफिर हूँ , तेरे बगैर हर एक राह बंद है मुझपर ॥ मगर यकीं है मुझे तुझको जब भी पा लूँगा , खतायें जितनी भी हैं सारी बक्

जब तक लौट न आऊ मै..................

जब तक लौट न आऊ मै.................. जब तक लौट न आऊ मै.................. छोड़ आई मै ,रूह को अपनी , पास तेरे छोड़ आई मै, निंदिया अपनी, दर पे तेरे तू रखना, रूह को मेरी सलामत जब तक वापिस न आऊ मै !!!! तू रखना, निंदिया को मेरी सलामत जब तक लौट न आऊ मै !!!! छोड़ आई मै, मुस्कान को अपनी, पास तेरे छोड़ आई मै, बेफिक्री अपनी, दर पे तेरे तू रखना, मुस्कान को मेरी सलामत जब तक लौट न आऊ मै !!!! तू रखना, बेफिक्री को मेरी सलामत जब तक लौट न आऊ मै !!!! छोड़ आई मै, कदमो को अपने , दर पर तेरे छोड़ आई मै, सपनो को अपने, नैनों में तेरे तू रखना, पहचान मेरी सलामत जब तक लौट न आऊ मै !!!! तू रखना, सपनो को मेरे सलामत जब तक लौट न आऊ मै !!!! मंजु चौधरी