उत्तर प्रदेश मेँ निष्प्राण पडी काँग्रेस मेँ प्रत्यक्ष या परोक्ष कब्जेदारी को लेकर अभी भी घात प्रतिघात जारी हैँ और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष फिलहाल इन चालोँ मेँ फँसते दिखाई दे रहे हैँ । ऊपरी तौर पर अभी उत्तर प्रदेश काँग्रेस मेँ भले अभी सब ठीक ठाक दिखाई दे रहा हो लेकिन पर्दे के पीछे तलवारेँ भाँजे जाने की शुरूआत हो चुकी है , वजह है काँग्रेस हाईकमान की निगाह मेँ काफी दिनोँ से सँदिग्ध और अपनी सीट बचाने के लिए काँग्रेस की दर्जनोँ सीटेँ समाजवादी पार्टी के हाथ गिरवीँ रखने वाला एक चर्चित मठाधीश बाकी क्षत्रपोँ को प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को अपने प्यादोँ के जरिए अपनी घेरेबन्दी मेँ कामयाब होता दिखाई दे रहा है । दर असल वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश मेँ खुद से जुडे कार्यकर्ताओँ की सँख्या के लिहाज से निप्स अकेले हैँ । उनके साथ केवल एक कार्यकर्ता है जो कानपुर का युवा व्यवसाई और साधनसम्पन्न व्यक्ति है लेकिन राजनीतिक समझ और जमीनी पकड के लिहाज से शून्य है , चर्चा है कि राजबब्बर को सँसाधन वही उपलब्ध करवा रहा है और राजबब्बर की राजनीतिक हैसियत का उसी अनुपात मेँ लाभ उठा रहा है । उसकी यह कार्यशैली आमतौर