Skip to main content

Posts

Showing posts from January 31, 2011

डॉ श्याम गुप्त की कहानी...बारात कौन लाये .......

                 क्यों पापा ! वह स्वयं बारात ले कर क्यों नहीं जा सकती ? वह स्वयं यहाँ आकर क्यों नहीं रह सकता ? सोचिये , मेरे जाने के बाद आप लोगों का ख्याल कौन रखेगा ? शालू एक साँस में ही सबकुछ कह गयी। 'हाँ बेटा, यह हो सकता है। परन्तु यदि वह लड़का भी परिवार की इकलौती संतान हो तो ?' 'शाश्वत चले आ रहे मुद्दों पर यूंही भावावेश में, या कुछ नया करें , लीक पर क्यों चलें ? की भावना में बहकर , बिना सोचे समझे चलना ठीक नहीं होता; अपितु विशद- विवेचना, हानि-लाभ व दूरगामी प्रभावों,परिणामों पर विचार करके ही निर्णय लेना चाहिए। '                 " मुख्य मुद्दा यह नहीं है कि कौन किसके घर रहने जाए, कौन बरात लाये । यदि पति-पत्नी, सुहृद, युक्ति-युक्त विचार वाले, उचित-अनुचित ज्ञान वाले हैं तो दोनों ही स्थितियों में वे एक दूसरे के परिवार वालों , माँ -बाप का सम्मान करंगे और परिवार जुड़ेंगे। समस्याएं नहीं रहेंगीं । शाश्वत बात वही है कि व्यक्ति मात्र को अच्छा ,न्याय एवं सत्य कानिर्वाह करने वाला होना चाहिए। " शालू के पिता पुनः कह

महगाई और भ्रष्टाचार से देश जा सकता है...

मै आप सब को यह बताना चाहता हूँ की मै एक प्रोजेक्ट तैयार किया है ,जिसका नाम हमने चेतक रखा है या दुसरा नाम भी लिखे सकते है॥ हमारे प्रोजेक्ट के ११ सदस्य होगे॥ जिसका संचालन मै करूगा॥ सहयोग आप का रुपया आप का दिमाग आप आप चाहे तो खुद चलाये या सरकार से चलवाए॥ इससे हमारे देश से भ्रष्टाचार एक साल के अन्दर ३५% तो ख़त्म हो ही सकता ..हम उन बुरइयो और भ्रष्टाचार को दूर करने की कोशिस करूगा जो दिखाई देती है और नहीं दिखाई देती जो जनता के लिए हनी करक है... इसमे सरकार को ज्यादा फायदा हो सकता है॥ अगर आप के पास समय है तो हमें बताये मै इस प्रोजेक्ट के बारे साडी बाते तो नहीं बताये लेकिन आप को यह जरुर लगेगा की मै जो कह रहा हूँ॥ उससे देश ५०% भी भ्रस्ताचार ख़त्म हो सकता॥ शम्भू नाथ ९८७१०८९०२७
हम हार नहीं मानेंगे... महाराष्ट्र में अतिरिक्त जिला कलक्टर को जिन्दा जला देने की घटना हमारे पूरे देश की व्यवस्था पर जोरदार तमाचा है .अगर ईमानदार व्यक्ति के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जायेगा तो कौन ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य को अंजाम देगा? लेकिन एक बात जो माफियाओं को समझ लेनी चाहिए वो यह है क़ि ईमानदारी को तुम न तो जला सकते हो ;न काट सकते हो -तुम केवल एक व्यक्ति के शरीर को चोट पहुंचा सकते हो .आज हम सब के दिलों में आग लगी हुई है और ये तब तक नहीं बुझेगी जब तक ज़िम्मेदार अपराधी अपनी करनी क़ा फल नहीं पा लेते .ऐसी घटनाओं से हम सहम जाने वाले नहीं ;ये घटनाएँ तो हम में सोये हुए जज्बातों को और भी ज्यादा झकझोर      कर जगा देते है .भगत सिंह के देश में अब भी शहादत   देने वालों की कमी नहीं है .मुनाफाखोरी कर देश के साथ गद्दारी करने वाले देशद्रोहियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए .आजादी से पहले हम विदेशियों से टकराए थे पर अब हमे अपने ही देश में पल रहे इन साँपों क़ा सिर कुचलना होगा .हमारी इस चुनौती  को स्वीकार करने को तैयार हो जाओ -                 '' तुम जला सकते हो मुझको ;काट सकते हो