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Showing posts from June 29, 2012

सिनेमा क्‍या है? चलती हुई तस्‍वीरें या सपनों का कारखाना?

♦ तत्याना षुर्लेई भारतीय सिनेमा के सौ साल की अभी खूब चर्चाएं हैं। लेकिन यह सौ साल इसी साल क्यूं? जबकि यूरोप में तो यह 1995 में मनाया जा चुका है। इसके सैद्धांतिक आधार क्या रहे हैं, क्या हैं? हिंदी में इसकी चर्चा नहीं के बराबर है। सिनेमा यथार्थ है या कल्पना? दस्तावेज है या रूपक? इन्हीं सवालों को तत्याना बहुत ही बारीकी से इस संक्षिप्त से नोट में हमें बताने की कोशिश करती हैं :  उदय शंकर यह लेख मोहल्‍ला लाइव की सिने बहसतलब के लिए तैयार की जा रही स्‍मारिका से लिया गया है। स्‍मारिका का संपादन प्रकाश के रे कर रहे हैं :  मॉडरेटर … सि नेमा बहुत पुराना आविष्कार नहीं है। उसका जन्म 28 दिसंबर 1895 को हुआ, जब  लिमिएर (Lumière) बंधु  ने पेरिस में अपना नया मशीन दिखाया। एक दिलचस्प बात यह है कि पहला शो ग्रैंड होटल के ‘इंडियन रूम’ मे किया गया। शायद यह जगह एक संकेत था कि आगे चलकर भारत फिल्मों का सबसे बड़ा व्यावसायिक केंद्र बन गया। पहले शो के बाद लोगों को पता चला कि यह आविष्कार कितना अच्छा है और सारी दुनिया बंधुओं की चलती हुर्इ तस्वीरें देखना चाहती थी। आस्ट्रेलिया (Australia) जाते हुए लिमिए