एक समय में वनों को बचाए रखने के लिए वन सम्पदा को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित किया गया । वन सम्पदा को बनाये रखने के लिए विभिन्न तरह के विधियों का निर्माण किया गया । जिसका असर यह हुआ कि सरकार , उद्योगपति विभिन्न योजनाओ के नाम पर जमकर वन सम्पदा को नष्ट करने के अधिकारी हो गए । वन सम्पदा से जनता वंचित हो गयी । वन विभाग ने विभिन्न योजनाओ के तहत कागज पर ही पेड़ लगाये । जनता ने अपनी जमीनों के ऊपर पेड़ लगाकर पर्यावरण से लेकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाही । जिसका हश्र यह हुआ कि पेड़ मालिक को जब अपने उपयोग के लिए अथवा व्यावासिक उपयोग के लिए उनको कटवाने की जरूरत होती है तो नियमो और उपनियमों का सहारा लेकर पुलिस कुल बिक्री मूल्य का 60 प्रतिशत रुपया ले लेती है । 10 प्रतिशत वन विभाग ले लेता है पेड़ मालिक को बिक्री मूल्य का 30 प्रतिशत ही मिलता है उसी तरह से इजारेदार कम्पनियां उद्योगपति जल को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित करने के लिए काफी दिनों से प