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Showing posts from June 16, 2014

chhand salila: marhatha chhand, sanjiv

छंद सलिला: मरहठा छंद   संजीव * छंद लक्षण:  जाति महायौगिक, प्रति पद २९  मात्रा,  यति १०-८-११, पदांत गुरु लघु  ।  लक्षण छंद:     मरहठा छंद रच, असत न- कह सच, पिंगल की है आन       दस-आठ-सुग्यारह, यति-गति रख बह, काव्य सलिल रस-खान       गुरु-लघु रख आखर, हर पद आखिर, पा शारद-वरदान      लें नमन नाग प्रभु, सदय रहें विभु, छंद बने गुणवान   उदाहरण: १. ले बिदा निशा से, संग उषा के, दिनकर करता रास        वसुधा पर डोरे, डाले अनथक, धरा न डाले घास      थक भरी दुपहरी, श्रांत-क्लांत सं/ध्या को चाहे फाँस      कर सके रास- खुल, गई पोल जा, छिपा निशा के पास        २. कलकलकल बहती, सुख-दुःख सहती, नेह नर्मदा मौन         चंचल जल लहरें, तनिक न ठहरें, क्यों बतलाये कौन?     माया की भँवरें, मोह चक्र में, घुमा रहीं दिन-रात    ...