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Showing posts from December 6, 2010

राजदीप सरदेसाई से एम जे अकबर तक- सब पर्दा डालने में जुटे हैं

मीडिया इन्डस्ट्री में सबसे कमजोर,लाचार और निरीह कोई है तो वो हैं राजदीप सरदेसाई। आपको जानकर ये हैरानी होगी कि सैलरी,शख्सीयत और शोहरत के लिहाज से जिस टेलीविजन पत्रकार को सबसे मजबूत माना जाता है,लोगों के बीच इसी तरह की इमेज है,वो अपने को पिछले एक साल से सबसे मजबूर और लाचार बताता आ रहा है। मौका चाहे जगह-जगह मीडिया सेमिनार के नाम पर स्यापा करने और छाती कूटने का हो या फिर 2G स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में दिग्गज मीडियाकर्मियों के नाम आने पर मीडिया की साख मिट्टी में मिल जाने पर सफाई के मकड़जाल बुनने के,राजदीप सरदेसाई सीधे तौर पर मानते हैं कि अब एडीटर मजबूर है,मीडिया के भीतर जिस तरह के ऑनरशिप का मॉडल बना है,उसमें एडीटर बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं है। मैं उनके मुख से मालिकों के आगे एडीटर के मजबूर हो जाने की बात पिछले छ महीने में चार बार सुन चुका हूं। उदयन शर्मा की याद में पहली बार कन्स्टीच्युशन क्लब में सुना तो एकबारगी तो उनकी इस ईमानदारी पर फिदा हो गया। लगा कि इस शख्स को इस बात का मलाल है कि जैसे-जैसे गाड़ी और फ्लैट की लंबाई बढ़ती जाती है,पत्रकार होने का कद छोटा होता जाता है। फिर दूसरी बार

भाई ललित शर्मा का राम राम कोटा के लियें

श्मशान और कब्रिस्तान तक, लगे हैं जिन्दगी के मेले ---- ललित शर्मा ललित शर्मा, सोमवार, ६ दिसम्बर २०१० जहां से हम चलते हैं वहीं फ़िर पहुंच जाते हैं घूम घाम कर, धरती गोल है। ईश्वर की सारी सृष्टि ही गोल है, कहीं भी चौकोर नही हैं। चौरास्ते नहीं है, भटकने का जो खतरा होता है। भूल भूलैया से निकल कर सीधा वहीं आना पड़ता है जहां कोई आना नहीं चाहेगा। लेकिन मुझे सुकून वहीं मिलता है जहां आने से लोग डरते हैं। घर से बैठ कर ही जलती चिताओं को देखता हूँ। उसकी लपटें धीरे धीरे बढते हुए एका एक गगन चूमने लगती हैं। फ़िर मद्धम होकर शांत हो जाती हैं। फ़िर अंगारे धधकते रहते हैं कितना गर्व और गुमान भरा है इस देह में। जिसकी अकड़ भस्म होने पर ही निकलती है। शायद श्मशान ही वह जगह जहाँ मनुष्य को अपने किए की याद आती है, भले बुरे कर्मों का चिंतन करता है और वापस आकर पुन: उसी प्रक्रिया में लग जाता है। इसीलिए श्मशान बैराग कहा गया है। वकील साहब कोर्ट से आ जाते हैं तब तक मैं एक पोस्ट लिख देता हूँ। उनका वाहन अस्पताल में जनरल चेकअप के लिए भर्ती है। तभी अख्तर खान अकेला जी याद आती है वकील साहब उन्हे फ़ोन लगा कर बु
राजस्थान में कोंग्रेस सरकार की असफलता के दो साल राजस्थान में कोंग्रेस के शासन के १३ दिसम्बर को दो साल हो जायेंगे में एक कोंग्रेसी और कट्टर कोंग्रेसी वोटर हूँ आप जानते हें और को ठोर नहीं तो में और मेरे भये कोंग्रेस से जायेंगे भी कहां लेकिन भाइयों में कोंग्रेसी के साथ एक आज़ाद पंछी और एक सच बोलने सच लिखने वाला प्राणी हूँ और इसीलियें मुझे देश के सवा अर्ब लोग नापसंद करते हें , में एक सच राजस्थान सरकार के दो साल के बारे में भी बयान कर रहा हूँ आप जानते हें सी पी जोप्शी एक वोट से हरने के बाद भी मुख्यमंत्री की दोड में थे लेकिन अशोक गहलोत ने किरोड़ी मीना के दम पर जोशी को पटकनी दी और राजस्थान में ही नहीं बलके पुरे देश और विश्व में पहली बार गोलमा जेसे लोगों को बहुमत के लियें मंत्री बनाना मजबूरी बनी ,गोलमा जिनके पति डोक्टर किरोड़ी रोज़ कोंग्रेस के लियें मुसीबत पैदा करते हें और फिर सरकार में बेठी मंत्री गोलमा सरकार के खिलाफ उनकी मदद करती हे जनता हंसती हे गोलमा इस्तीफा देती हे लेकिन लंगड़ी सरकार उन इस्तीफा भी स्वीकार नहीं कर सकती ऐसे ही कई विरोधाभासी विचारधारा वाले लोग कोंग्रेस की
नहीं सुधरे तो जनता दोड़ा दोड़ा कर मारेगी देश में लगातार हो रहे भ्रस्ताचार कारण और निवारण के मामले में अब जब जनता,नेताओं और अधिकारीयों ने उम्मीद छोड़ दी हे तो बस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने इसे देश से खत्म करने के लिए संकल्प लिया हे , सुप्रीम कोर्ट हो चाहे हाई कोर्ट हो अब तो भ्रस्ताचार के कारण और निवारण मामले में हथियार डाल बेठी हे और चीख चीख कर सार्वजनिक तोर पर यह कहने को मजबूर होना पढ़ा हे के अगर देश से भ्रस्ताचार दूर नहीं हुआ तो जनता भ्र्स्ताचारियों को दोड़ा दोड़ा कर मारेगी बस लगातार हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट मिलकर चारो घोटाले से लेकर गेहूं घोटाले से लेकर संचार घोटाले में पत्रावलियों की गंदगी और भ्रस्ताचार में सरकार के सहयोग को देख कर अब ऐसी ही टिप्पणी करने को मजबूर हो रही हे इधर अदालतों के मामले में बी जब सुप्रीम कोर्ट ने दबी छुपी टिप्पणी की तो ब्सिलाह्बाद हाईकोर्ट नाराज़ हो गयीउ और एक सच जो सुप्रीम कोर्ट ने देखा और जनता से कहा उसे हटाने के लियें इलाहाबाद हाईकोर्ट खुद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी भ्रष्टाचार होना कोई नई बात नहीं हे लेकिन इसके उजागर होने पर अगर सुधार की जगह इस
मीडिया ने कराया देश का टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला देश में डंके की चोट पर किया गया टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला अकेले प्रधानमन्त्री या फिरपूर्व संचार मंत्री ऐ राजा ने नहीं किया हे इसमें देश का मिडिया भी बराबर का हिस्सेदार हे और देश के मिडिया का नाम इस मामले में प्रमुखता से उजागर होने पर देश के मीडिया की नंगी तस्वीर जनता के सामने खुल गयी हे । भरत में पत्रकार आज तक सम्मान के काम करने के लियें याद किया जाता रहा हे लेकिन उद्योगपतियों के इस पत्रकारिता में आजाने से इन लोगों ने पत्रकारिता को मिशन से हटा कर व्यवसाय बना दिया हे हालात यह हें के खबरें छापने नहीं छापने के रूपये खुले आम लिए जा रहे हें विज्ञापनों के नाम पर खुली ब्लेकमेलिंग हे जनता का आधे से ज्यादा रुपया भ्रष्ट सरकार द्वारा विज्ञापनों के नाम पर रिश्वत देकर बांटा जा रहा हे टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ४५ मिनट में इस भ्रस्ताचार की जो कहानी जो सच देनिक भास्कर ने उजागर किया हे उससे तो लगता हे के जो मिडिया भ्रस्ताचार उजागर करने के लियें अपनी पहचान बनाये हुए हे वही मिडिया आज देश के सबसे बढ़े संचार घोटाले का मददगार बना हे और दे
मीडिया ने कराया देश का टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला देश में डंके की चोट पर किया गया टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला अकेले प्रधानमन्त्री या फिरपूर्व संचार मंत्री ऐ राजा ने नहीं किया हे इसमें देश का मिडिया भी बराबर का हिस्सेदार हे और देश के मिडिया का नाम इस मामले में प्रमुखता से उजागर होने पर देश के मीडिया की नंगी तस्वीर जनता के सामने खुल गयी हे । भरत में पत्रकार आज तक सम्मान के काम करने के लियें याद किया जाता रहा हे लेकिन उद्योगपतियों के इस पत्रकारिता में आजाने से इन लोगों ने पत्रकारिता को मिशन से हटा कर व्यवसाय बना दिया हे हालात यह हें के खबरें छापने नहीं छापने के रूपये खुले आम लिए जा रहे हें विज्ञापनों के नाम पर खुली ब्लेकमेलिंग हे जनता का आधे से ज्यादा रुपया भ्रष्ट सरकार द्वारा विज्ञापनों के नाम पर रिश्वत देकर बांटा जा रहा हे टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ४५ मिनट में इस भ्रस्ताचार की जो कहानी जो सच देनिक भास्कर ने उजागर किया हे उससे तो लगता हे के जो मिडिया भ्रस्ताचार उजागर करने के लियें अपनी पहचान बनाये हुए हे वही मिडिया आज देश के सबसे बढ़े संचार घोटाले का मददगार बना हे और दे
मां अब भी रोती हे ........ मां पहले भी रोती थी आज भी रोती हे पहले बच्चा जब खाना नहीं खाता था तब मां बच्चे को भूखा देख कर रोती थी आज बच्चे जब बढ़े हुए हें घर में बहु आई हे मां तब भी रोती हे फर्क इतना हे जब बच्चे के रोती नहीं खाने पर रोती थी आज बहु बेटे उसे रोती नहीं देते इसलियें मां रोती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान