जब मै ५ वि क्लास में था तब मैंने भी पढ़ा था की " सूर्य ग्र हण " क्या होता है और साथ ही मास्टर जी ने उसे याद भी करवाया था समय बदला मेरी उम्र भी बदली और मै जैसे जैसे बड़ा हुआ " सूर्य ग्रहण " के और भी अन्य मायने मेरे सामने आते चले गए . जैसे किसी ने इसे तंत्र साधना से जोड़ के दिख या तो किसी ने इसे छूत अछूत से जैसा की पुराने ख्यालो के लोग कहते थे की " सूर्य ग्रहण " या किसी भी " ग्रहण " में भोजन नहीं करना चाहिए और " ग्रहण " समाप्ति के पश्चात् नहाकर शुद्ध हो ना चाहिए और घर को भी शुद्ध करना चाहिए वगैरा - वगैरा ऐसा मै सुनते आ रहा हु पर अब उसके भी माय ने लोगो ने बदल डाले. कैसे भला आप मुझसे क्यों पूछ रहे है खुद याद कीजि ये जी हा हमारे न्यूज़ चनैल दिन भर भरपूर दुकानदारी में लगे है अब मै तो इ से दुकानदारी ही कहुगा वो इस लिए भी की अब खगोलीय संरचना पर आधारित घटना चक्र को हमें तंत्र , राशिः औ र पंडित के माध्यम से समझाने में लगे हमारे "राष्ट्रीय न्यूज़ चनैल " इसके बल बूत