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Showing posts from June 26, 2010

कहिए, क्या खबर है?

अजित वडनेरकर जी का ब्लॉग शब्दों का सफ़र हमेशा से ही कुछ ख़ास तरह की विषयवस्तु के लिए चर्चित है,आज हम उनके ब्लॉग से उधार लेकर एक लेख हिन्दुस्तान का दर्द पर प्रकाशित कर रहे है,पसंद आये तो अपनी बधाई  प्रेषित करें...     staurday, JUNE 26, 2009 अगर किसी बात में सूचना बनने लायक तत्व नहीं है तो उसका भी कोई महत्व नहीं है। आ ज का युग सूचनाओं का है जिनके बीच हम जीते हैं। सूचनाओं की भीड़ में सूचना बनने का दबाव इतना अधिक है कि हमारे इर्द-गिर्द जो कुछ होना चाहिए, उसे इस अंदाज में किया जाता है कि वह  सूचना  में तब्दील हो जाता है।  हिन्दी में सूचना से जुड़े कई शब्द प्रचलित हैं जैसे संवाद, समाचार, खबर वार्ता आदि। सू चना-संसार में सूचना देने वाले को  संवाददाता  कहा जाता है जिसका अर्थ हुआ संवाद देना। संवाद अर्थात सूचना। संवाद बना है सम+वद्  से।  सम्  यानी समान रूप से और  वद्  यानी कहना। अर्थ हुआ बोलना, बतियाना, कहना-सुनना। संस्कृत धातु  वद्  के व्यापक अर्थ हैं। संवाद में निहित अर्थों में कहना, बोलना के साथ सम्प्रेषित करना और अभिव्यक्त करना जैसी बातें शामिल हैं। इस तरह संवाददाता का अर्थ हुआ समाचार देने

लो क सं घ र्ष !: मेहनत रंग लायी एक पिता की

बरेली जनपद के सीबीगंज इलाके में तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक जे रविन्द्र गौड़ के दिशा निर्देशन में मुकुल गुप्ता नाम के नौजवान को पुलिस ने पकड़ कर हत्या कर दी थी। मुकुल गुप्ता के पिता ब्रजेन्द्र गुप्ता ने न्यायलय की शरण लेकर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसकी विवेचना स्थानीय पुलिस को ही दी गयी थी जिसपर ब्रजेन्द्र गुप्ता ने माननीय उच्च न्यायलय इलाहाबाद में याचिका दायर कर सी . बी . आई जांच कराने की मांग की थी । कानूनी दांव पेच के बाद 20 फरवरी 2010 को न्यायलय ने सी . बी . आई जांच के आदेश दिए। जांच के उपरांत सी . बी . आई ने अब वर्तमान में पुलिस अधीक्षक बलरामपुर जे रविन्द्र गौड़ समेत 11 पुलिस कर्मियों के ऊपर हत्या व हत्या के सबूत मिटाने का वाद दर्ज कराया है। कानून के रक्षकों द्वारा वह - वाही व इनाम प्राप्त करने के लिए नवजवानों को पकड़ कर हत्या का सिलसिला बहुत पुराना हो रहा है। पीड़ित पक्ष द्वारा आवाज उठाने पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है

तितली रानी बड़ी सयानी..

तितली रानी तितली रानी ॥ बड़ी सयानी लगती हो॥ मै तो तेरे पास हूँ आती॥ तुम तो दूर को भगती हो॥ पूर्व दिशा से आई हो॥ पश्चिम दिशा को जाओ गी॥ बहुत दिनों से भूखी लगती॥ लगता है कुछ खाओगी॥ तेरे पंख तो बड़े सुनहरे॥ सोलह सिंगार से सजती हो॥ मै तो तेरे पास हूँ आती॥ तुम तो दूर को भगती हो॥ हर मौसम में आती रहना॥ बागो में ख़ुशी जगा देना॥ मेरे फूलो को गमका कर॥ मन सुगन्धित कर देना॥ मै तो तुमको पकड़न दौडू॥ तुमतो दूर उछलती हो॥ मै तो तेरे पास हूँ आती॥ तुम तो दूर को भगती हो॥

कुल्फी के सहारे जिंदगी

Source: खुशवंत सिंह   |            इससे पहले दूरदर्शन को सोखकर रसूखदार हुए रजत लो क सं घ र्ष !: बटाला हाउस इन्काउन्टर - 2 अब भी अधूरी है शहीद बिरसा मुंडा का सपना   उम्र के तकाजे के चलते मुझे अपनी खुराक में खासी कटौती करनी पड़ी। लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि मैं हर समय लजीज व्यंजनों के बारे में सोचने लगा। मेरी सबसे पसंदीदा खब्त है खाने की किसी ऐसी चीज के बारे में सोचना, जिसके सहारे मैं खुशी-खुशी अपनी जिंदगी के बचे-खुचे दिन गुजार सकूं। सबसे पहले मैंने चावल के बारे में सोचा। लेकिन चूंकि चावल को अकेले नहीं खाया जा सकता, उसके साथ खाने के लिए किसी और चीज की भी दरकार होती है, लिहाजा मैंने उसके ख्याल को अलविदा कह दिया। रोटी का ख्याल भी मुझे इसी वजह से छोड़ना पड़ा, क्योंकि उसे भी अकेले नहीं खाया जा सकता। फिर मैं दालों के बारे में सोचने लगा। मेरे सामने कई तरह की दालें थीं और वे सभी मुझे भाती थीं, लेकिन मैं इसे लेकर निश्चित नहीं था कि मैं उन्हें दिन में दो दफे खा सकूंगा। फिर मुझे आलू और मटर का ख्याल आया। ये दोनों भी मेरी पसंदीदा चीजों में से हैं। लेकिन अगर मैं आलुओं पर ही अपना गुजारा करने

तोता मैना..

तोता से बोली मैना, एक बात पूछती हूँ॥ सच सच जबाब देना जो बात पूछती हूँ॥ भारत की महगाई तो आसमान छू रही है॥ प्यारे गरीब जनता को हानि हो रही है॥ तोता बेचारा बोला खोदो न जख्मे घाव को॥ वेदना हमारी अब प्रबल हो रही है॥ मैना जब पीछे पद गयी तोते ने हार मानी॥ सुनाने लगा मैना को अचरज भरी कहानी॥ भ्रष्टा चार का अत्याचार बढ़ गया चारो ओउर॥ भूखे प्यासे लोग है चोरी करत किशोर॥ चोरी करत किशोर कितने ज़िंदा मारे जाते॥ कितने इन्साफ के खाती गली गली चिल्लाते॥ जब तक अंत न होगा भ्रष्टाचार की लय॥ तब तक भारत में भीषण होगी प्रलय॥ तभी प्रभू आयेगे भारत को बचायेगे॥ मेरी प्रिये बातो को कही तुम न बिसार दोगे॥