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Showing posts from July 9, 2010

संजय जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई

हिन्दुस्तान का दर्द के संचालक संजय सेन सागर जी को उनके जन्मदिन पर हार्दिक बधाई,वो अपने जीवन में लगातार सफलता प्राप्त करें. हिन्दुस्तान का दर्द के सभी लेखक एवं पाठक परिवार उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है. .. हिन्दुस्तान का दर्द की शुरुआत संजय सेन सागर जी ने एक कैफे हाउस में बैठकर की थी,जहा से उन्होंने लोगों को जोड़ना चालू किया था आज हिन्दुस्तान का दर्द किसी परिचय का मोहताज नहीं है. तो इसी अवसर पर हम कुछ नए लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ने का प्रण करते है..

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लो क सं घ र्ष !: सेना अधिकारियो का चयन होता है या धोखेबाजों का

भारतीय सेना में काफी जांच और परख के पश्चात किसी भी नवजवान को अधिकारी रैंक में चुना जाता है और उसके पश्चात उनको कठिन प्रशिक्षण देने के बाद सेना में अधिकारी रैंक पर नियुक्त किया जाता है लेकिन इस कई दशकों से सेना के ही कार्यवाई से यह पता चलता है की उनके काफी अफसर घोटाले बाज व धोखा धडी में लिप्त रहने वाले व्यक्ति हैं कहीं न कहीं अधिकारियों के चयन में व प्रशिक्षण में कमी रह जाती है जिसके कारण भारतीय सेना विवादों के घेरे में आ जाती है । भारतीय सेना के एक कर्नल एच . एस. कोहली को नवम्बर 2004 में सेना से बर्खास्त कर दिया गया था । वह ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले नौटंकी में मुठभेड़ के सीन को दर्शा कर वीरता पदक प्राप्त करना चाहते थे । कर्नल कोहली ने असोम के सिलचर के पास बड़ा नागादुन में कुछ ग्रामीणों को टमाटर के रस से नहला कर मुठभेड़ दिखा कर वीरता पदक प्राप्त करने की कोशिश की । मामला खुल जाने पर उनको बर्खास्त कर दिया गया था और अब

महंगाई और मध्य वर्ग

हिंदुस्तान का मध्य वर्ग महंगाई के खिलाफ बंद में हिस्सा लेने के प्रति इतना उदासीन क्यों है? जिन मुंबईवासियों ने 26/11 के हमले के बाद अपना आक्रोश जाहिर किया था, वे महंगाई के खिलाफ भारत बंद में शामिल क्यों नहीं हुए? जो दिल्लीवासी न्याय व्यवस्था के पतन के खिलाफ मोमबत्तियां जलाकर प्रदर्शन करते हैं, उन्होंने मुद्रास्फीति के विरुद्ध रैली में शिरकत क्यों नहीं की? म मता बनर्जी से भी बहुत पहले एक मृणाल गोरे थीं। सलवटों वाली साड़ी और भिंची हुई मुट्ठियां। यह समाजवादी नेता सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने वाली सच्ची नेता थीं, जिन्होंने ७क् के दशक में मुंबई के मध्य वर्ग के बीच अपनी मजबूत छवि बनाई थी। उनका आंदोलन मुंबई के उपनगरों में स्वच्छ पेयजल के लिए था। आंदोलन के कारण उनका नाम ही ‘पानीवाली बाई’ पड़ गया। उनके मुद्दे मध्य वर्ग के मुद्दे थे - स्वच्छ जल, सस्ते किफायती मकान, कम कीमतें। जब उन्होंने एक रैली का आयोजन किया तो सब लोग तुरंत उनके समर्थन में खड़े हो गए। २क्१क् का भारत 1970 का भारत नहीं है। यही कारण है कि जब इस हफ्ते विपक्ष ने भारत बंद का आयोजन किया तो न तो हमें मृणाल गोरे जैसी कोई शख्सियत इस बंद
यूनिवर्सिटी के लिए जिलेभर में बढ़े कदम सीकर. शेखावाटी विश्वविद्यालय के लिए कदम आगे बढ़ने लगे हैं। विवि की मांग को लेकर गुरुवार को एबीवीपी ने मुख्यमंत्री का पुतला फूंककर विरोध दर्ज कराया तो शुक्रवार को छात्रों से संकल्प पत्र भरवाने का निर्णय लिया गया है। इधर, एसएफआई का विधायकों के आवास पर ढोल व पीपे बजाने का अभियान गुरुवार को भी जारी रहा। वहीं एनएसयूआई ने विवि की मांग को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। लोग कविता लिखकर भी लोगों को जागरूक करने लगे हैं। एक ही नारा सुनाई देने लगा कि शेखावाटी विवि हमारा हक, इसे लेकर रहेंगे। विधायक अमराराम ने दिया समर्थन शेखावाटी यूनिवर्सिटी की मांग को लेकर छात्र संगठन एसएफआई का विधायकों के आवास पर ढोल व पीपे बजाने का अभियान गुरुवार को भी जारी रहा। कार्यकर्ता रैली के रूप में माकपा विधायक अमराराम के सीकर स्थित निवास पर पहुंचे। विधायक अमरराम ने समर्थन पत्र देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी के आंदोलन में किसान सभा पूरा सहयोग करेगी। वहीं विधानसभा सत्र में भी इस मामले को लेकर सरकार को घेरा जाएगा। इस मौके पर झाबर राड़, बनवारी बाजिया, धर्मवीर कुड़ी, ओमप्रकाश, डालमास, भाग

महा काल पगलायेगा..

जब चोर सिपाही संग संग घूमे॥ नेता वेश्या संग नाचे॥ महा दरिद्र रोटी को तरसे॥ पंडित जी मदिरालय ताके॥ तब देश की आन मान पर ख़तरा॥ धीरे धीरे मंडराए गा॥ baap beti masti me लोटे॥ ससुर पतोह संग पत्ता खेले॥ भाई बहिन संग रास रचाए॥ भतीज चाची के आँख चटोले॥ तब जवान लैरका मरिहै रास्ता म॥ tab महा काल पगलायेगा॥

गाँव की निति..

चक्रौली पुर में २० लोगो का गाँव था । उस गाँव में सारे दबंग थे और एक ही जाति के ही थे॥ उसी गाँव के एक संपन्न किस्म का आदमी रहता था जिसका नाम था धीरज बहुत ही शान्ति प्रिये आदमी थे उनके अन्दर भक्ति भाव के अंश थे॥ और तो लोग बड़े अदाबंगे थे उस गाँव के ..लेकिन धीरज उन लोगो के से कम धनवान था फिर भी घर की रोज़ी रोटी चलती थी किसी के यहाँ भीख नहीं मांगना पड़ता था । धीरेअज़ अपने किसानी खेती में मस्त रहता था॥ धीरज के पांच बेटे पैदा हुए और धीरज ने नामकरण के अनुसार पहले का नाम पंचम दुसरे दूजे तीसरे का तीजे चौथे का चरुवा और पांचवे का पंचम रखा॥ बच्चे धीरे बड़ा होने लगा पंचम ने बच्चो को गाँव के रहन सहन से दूर रखा क्यों की पंचम का गांव से थोड़ा हट के था ॥ बच्चे पढ़ने में मस्त थे और वह दिन भी गया नौकरी करने लगे अब पंचम ने बहुत ही सुन्दर घर बनवाया जिसमे उसकी पांच बहुए रहेगी ,, पंचम यही बात सब से कहता था । अब गाँव के जो दबंग लोग थे॥ पंचम से जलने लगे ॥ पंचम का एक पडोसी था गाँव के दबंग लोग उसके कान भरने लगे की एबे पंचम तोहरा तो जमीनिया हड़प लहे है ॥ ओहमा आधा हिसा ली ले हम लोग तोहरे साथे है॥ आखिकार पंचम और पंचम