छंद सलिला: गीता छंद संजीव * छंद-लक्षण: जाति महाभागवत, प्रति पद - मात्रा २६ मात्रा, यति १४ - १२, पदांत गुरु लघु. लक्षण छंद: चौदह भुवन विख्यात है , कुरु क्षेत्र गीता-ज्ञान आदित्य बारह मास नित , निष्काम करे विहान अर्जुन सदृश जो करेगा , हरी पर अटल विश्वास गुरु-लघु न व्यापे अंत हो , हरि-हस्त का आभास संकेत: आदित्य = बारह उदाहरण: १. जीवन भवन की नीव है , विश्वास- श्रम दीवार दृढ़ छत लगन की डालिये , रख हौसलों का द्वार ख्वाबों की रखें खिड़कियाँ , नव कोशिशों का फर्श सहयोग की हो छपाई , चिर उमंगों का अर्श २. अपने वतन में हो रहा , परदेश का आभास अपनी विरासत खो रहे , किंचित नहीं अहसास होटल अधिक क्यों भा रहा? , घर से हुई क्यों ऊब? सोचिए! बदलाव करिए , सुहाये घर फिर खूब ३. है क्या नियति के गर्भ में , यह कौन सकता बोल? काल पृष्ठों पर लिखा क्या , कब कौन सकता तौल? भाग्य में किसके बदा क्या , पढ़ कौन पाया खोल? कर नियति की अवमानना , चुप झेल अब भूडोल। ४. है क्षितिज के उस ओर भी , सम्भावना-विस्