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Showing posts from June 7, 2014

chhand salila: geeta chhand -sanjiv

छंद सलिला: गीता  छंद  संजीव * छंद-लक्षण: जाति महाभागवत, प्रति पद - मात्रा २६ मात्रा, यति १४ - १२, पदांत गुरु लघु. लक्षण छंद:     चौदह भुवन विख्यात है , कुरु क्षेत्र गीता-ज्ञान     आदित्य बारह मास नित , निष्काम करे विहान       अर्जुन सदृश जो करेगा , हरी पर अटल विश्वास       गुरु-लघु न व्यापे अंत हो , हरि-हस्त का आभास             संकेत: आदित्य = बारह   उदाहरण: १. जीवन भवन की नीव है , विश्वास- श्रम दीवार    दृढ़ छत लगन की डालिये , रख हौसलों का द्वार       ख्वाबों की रखें खिड़कियाँ , नव कोशिशों का फर्श       सहयोग की हो छपाई , चिर उमंगों का अर्श  २. अपने वतन में हो रहा , परदेश का आभास              अपनी विरासत खो रहे , किंचित नहीं अहसास     होटल अधिक क्यों भा रहा? , घर से हुई क्यों ऊब?     सोचिए! बदलाव करिए , सुहाये घर फिर खूब  ३. है क्या नियति के गर्भ में , यह कौन सकता बोल?     काल पृष्ठों पर लिखा क्या , कब कौन सकता तौल?     भाग्य में किसके बदा क्या , पढ़ कौन पाया खोल?     कर नियति की अवमानना , चुप झेल अब भूडोल। ४. है क्षितिज के उस ओर भी , सम्भावना-विस्