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Showing posts from June 7, 2010

लो क सं घ र्ष !: नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा- अंतिम भाग

भीतर और बाहरः चैकस और मजबूत जो चीज हमने 20वीं सदी के इतिहास में देखी और जिससे हम कुछ सीख सकते हैं वे शोषण और अत्याचारों के खिलाफ हुईं क्रान्तियाँ तो थीं ही, पर साथ ही ये भी कि क्रान्ति कर लेने के बाद उसे सँभालना, उसे वक्त के कीचड़ में धँसने से रोकना और भी बड़ी, और भी कठिन जिम्मेदारी होती है। यह जिम्मेदारी क्यूबा ने निभाई, वहाँ के लोगों ने और करिश्माई क्रान्तिकारी नेताओं ने निभाई। इंकलाब को नाकाम करने वाली ताकतों को खदेड़ना और बाकी रहे लोगों के साथ उत्पादन के समाजवादी ढाँचे का निर्माण करना, लोगों के बीच संपत्ति के सामूहिक सामाजिक स्वामित्व की समझदारी पैदा करना और इस रास्ते पर चलते हुए भी दुनिया की रफ्तार के साथ पीछे न होना, अदब में, तहजीब में, विज्ञान में, नये-नये कारनामे अंजाम देना और इस सब को इंकलाब के दायरे के भीतर इस तरह समेटना कि न किसी को दम घुटता महसूस हो और साथ ही इंकलाब का दायरा भी बगैर शोरगुल के अपना कद बढ़ाता जाए-ये सब क्यूबा ने खुद सीखा और दुनिया में इंकलाब की ख्वाहिश रखने वालों को सिखाया। यह सब तो लम्बी तैयारी वाले रोज-रोज, इंच-इंच बढ़ने वाले काम हैं लेकिन लोगों की ऐसी हर

भोपाल गैस त्रासदीः दर्दनाक तस्वीरें

Bhaskar.Com भोपाल.  मौत का खौफनाक मंजर झेल चुके फरियादी शहर ने इंसाफ के लिए 25 साल इंतजार में गुजार दिए। इसके जख्म पर समय की परत चढ़ चुकी है, लेकिन घाव अंदर कहीं जिंदा हैं। प्रस्तुत है भोपाल गैस त्रासदी की कुछ दर्दनाक तस्वीरें..

लो क सं घ र्ष !: न उनकी दोस्ती अच्छी, न उनकी दुश्मनी अच्छी

( हतोयामा) आप नें देखा अभी जापान में क्या हुआ ? आम तौर पर लोग यही समझते हैं कि अमेरिका व जापान के बीम गाढ़ी- छनती है। अब यह राज़ खुलता नज़र आता है कि सरकारी स्तर पर चाहे यह सत्य हो परन्तु जनता के स्तर पर ऐसा विचार सही नही है। आप जानते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के अवसर पर उक्त दोनो देश एक दूसरे क प्रबल विरोधी थे। यही कारण था कि अमेरिका नें जापान के दो शहरों हीरोशिमा एँव नागासाकी पर परमाणु बम बरसा कर दोनो को बर्बाद कर दिया था। बाद में दोनो देश मित्र बने यह मित्रता इतनी बढ़ी कि जापान के दक्षिणी द्वीप ओकिनावा में अमेरिका नें अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर लिया । अब स्थिति यह है कि अमेरिकी फौज का वहाँ आधा हिस्सा मौजूद है। अमेरिका तो दुनिया भर में दादागीरी भी करता है और स्वार्थ पूर्ति भी। जापानी जनता को भी इस बात का एहसास हुआ उसने इस अड्डे को हटवाने के लिये आवाज़ उठाई। पिछले साल सितम्बर में वहाँ प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले हतोयामा नें अपने चुनावी वादों नें अमेरिका सैन्य अड्डे फुतेन्वा को स्थानातरिक करने का वादा किया था, लेकिन बाद में वाशिंगटन को खुश रखने के लिये वह अपने वादे से मुकर गये। इस