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Showing posts from March 18, 2009

कविता:

जीवन का सत्य आचार्य संजीव 'सलिल' मुझे 'मैं' ने, तुझे 'तू' ने, हमेशा ही दिया झाँसा। खुदी ने खुद को मकडी की तरह जाले में है फांसा। । निकलना चाहते हैं हम नहीं, बस बात करते हैं। खुदी को दे रहे शह फिर खुदी की मात करते हैं। चहकते जो, महकते जो वही तो जिन्दगी जीते। बहकते जो 'सलिल' निज स्वार्थ में वे रह गए रीते। भरेगा उतना जीवन घट करोगे जितना तुम खाली। सिखाती सत्य जीवन का हमेशा खिलती शेफाली। ******************************************

मौत का एक दिन मुअयन्न है......!!

जिन्दगी किसके साथ किस प्रकार का खेल खेलती है...यह किसी को भी नहीं पता...अलबत्ता खेल पूरा हो चुकने के बाद हमारा काम उसपर रोना-पीटना या हंसना-खिलखिलाना होता है...किस बात का क्या कारण है...हमारे जिन्दा रहने या अकाल ही मर जाने का रहस्य क्या है....यह भी हम कभी नहीं जान सकते....हम सिर्फ चीज़ों को देख सकते हैं...गर सचमुच ही हम चीज़ों को गहराई से देख पाते हों....तो किसी की भी....किसी भी प्रकार की मौत हमारे इंसान होने के महत्त्व को रेखांकित कर सकती है....क्या हम सच में इस बात समझ सकने के लिए तैयार हैं......????? .........जेड गुडी ही क्यों....किसी भी कोई भी इंसान किसी भी दुसरे इंसान की तरह ही उतना ही महत्वपूर्ण है....अपनी अर्थवत्ता और अपने महत्त्व को इतना सभ्य.... ..इतना शिक्षित....इतना विवेकशील कहलाने वाला इंसान भी नहीं समझता और तमाम तरह के दुर्गुणों....लालचों.....व्यसनों....और अन्य बुराईयों में जानबूझकर जकडा हुआ रहता है.... हर वक्त किसी से भी झगड़ने को तैयार रहता है....और तरह-तरह के नामों के खांचे में खुद को सीमित कर तरह-तरह की लडाईयाँ लड़ता रहता है....!!

मुस्लिम वोटर राजनैतिक दलों के लिए भेड़ की तरह !

आज एक लेख पड़ा तो लगा राजनीति के नाम पर हिन्दू लगातार मुस्लिमो का शोषण कर रहे है,याकि नहीं आता तो आपका यह लेख पद लेना ही बेहतर है,जिसमे मुस्लिमों की सिसकियाँ भरी हुई है!हिन्दुओं कब तक चलेगा तुम्हारा यह अत्याचार.. चुनाव का मौसम आते ही मुस्लिम वोटों के लिए मारामारी शुरू हो जाती है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनैतिक दल अपने आपको मुसलमानों का सच्चा हितैषी और हमदर्द बताने लगते हैं। मुस्लिम वोटर इस देश की लोकसभा की कम से कम सौ सीटों पर निर्णायक सिद्ध होते हैं। मुस्लिम वोटों की महत्ता को इसी बात से समझा जा सकता है कि भाजपा भी अक्सर मुसलमानों को रिझाने में जुट जाती है। अपने आपको सेकुलर कहने वाले राजनैतिक दल मुसलमानों को भाजपा का भय दिखाकर उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश करते हैं। लेकिन कड़वा सच यह है कि सभी दलों ने मुसलमानों को केवल सब्जबाग दिखाकर छला है। मुसलमानों की आर्थिक व शैक्षिक तरक्की के लिए कोई ईमानदार और ठोस पहल आज तक नहीं हुई है। मुस्लिम वोटर राजनैतिक दलों के लिए भेड़ की तरह हैं, जिसके बाल उतारकर फिर से जंगलों में चरने के लिए छोड़ दिया जाता है। सच्चर समिति की रिपोर्ट आयी लेकिन वह केव

आवश्यकता है ५४२ नालायकों की !

देश को ५४२ नालायकों की तुरंत आवश्यकता है।   चयन होते ही आने वाली सात पीढ़ियों तक का जुगाड़ होने की पूरी गारंटी है। वेतन पर कोई आयकर नहीं ,  जब मर्ज़ी , जितना मरज़ी वेतन स्वयं बढ़ा लेने की सुविधा उपलब्ध है। काम की कोई जिम्मेदारी नहीं है।   ऑफिस में आओ , या न आओ , आपकी इच्छा पर निर्भर करेगा।   शिक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है , अंगूठा छाप भी चलेगा।   रिश्वत लेने देने की पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी इस बारे में विशेषाधिकार आपकी रक्षा करेगा ।   एकमात्र अनिवार्य अर्हता है - जनता को अपनी लच्छेदार बातों से , धन बल से , बाहु बल से - येन - केन प्रकारेण बहला कर , फुसला कर , आतंकित करके , प्रताड़ित करके , बूथ लूट कर , घपलेबाजी करके -  यानि किसी भी प्रकार से वोट हासिल करने होंगे।   यदि आप हत्या , बलात्कार आदि - आदि किसी जुर्म में जेल की सज़ा काट रहे हैं तो भी कोई विशेष दिक्कत नहीं है - आप अपने गुर्गों की सहायता से चयन प्रकिया में भाग ले सकेंगे।     चयनित व्यक्ति का मुख्य कार्य भाषण देना , सार्वजनिक अभिनंदन कराना , मालायें पहनना , जब तब विदेश यात्रा करना , लोगों के अंट - शंट काम निपटाने में उनकी

मनु "बे-तक्ख्ल्लुस"जी की अनमोल नज्म

नाम - मनु "बे-तक्ख्ल्लुस" जन्म - २ मार्च १९६७ पता - उत्तम नगर, नई दिल्ली लेखन - जाने कब से भाषा - हिन्दवी संगीत - भारतीय शास्त्रीय संगीत ग़ज़लें - मेंहदी हसन, गुलाम अली, बेगम अख्तर रूचि- पेंटिंग, लेखन, संगीत सुनना ब्लॉग - manu-uvaach.blogspot.com ई-मेल - manu2367@gmail.com खाली प्याले, निचुड नीम्बू, टूटे बुत सा अपना हाल कब सुलगी दोबारा सिगरेट ,होकर जूते से पामाल रैली,परचम और नारों से कर डाला बदरंग शहर वोटर को फिर ठगने निकले, नेता बनकर नटवरलाल चन्दा पर या मंगल पर बसने की जल्दी फिक्र करो बढती जाती भीड़, सिमटती जाती धरती सालों साल गांधी-गर्दी ठीक है लेकिन ऐसी भी नाचारी क्या झापड़ खाकर एक पे आगे कर देते हो दूजा गाल यार, बना कर मुझको सीढी, तू बेशक सूरज हो जा देख कभी मेरी भी जानिब,मुझको भी कुछ बख्श जलाल उनके चांदी के प्यालों में गुमसुम देखी लालपरी अपने कांच के प्याले में क्या रहती थी खुशरंग-जमाल आगे पढ़ें के आगे यहाँ

मुझे अपने घर का आँगन व सामने की गली याद आती है ...

मुझे अपने घर का आँगन व सामने की गली याद आती है , जहाँ कभी , किसी जमाने में मेले लगते थे । वो खिलौने याद आते है ,जो कभी बिका करते थे । छोटा सा घर , पर बहुत खुबसूरत , शाम का समय और छत पर टहलना , सबकुछ याद है । कुछ मिटटी और कुछ ईंट की वो इमारत , वो रास्ते जिनपर कभी दौडा करते थे , सबकुछ याद है । गंवई गाँव के लोग कितने भले लगते थे , सीधा सपाट जीवन , कही मिलावट नही , दूर - दूर तक खेत , जिनमे गाय -भैसों को चराना , वो गोबर की गंध व भैसों को चारा डालना , सबकुछ याद है । गाय की दही न सही , मट्ठे से ही काम चलाना , मटर की छीमी को गोहरे की आग में पकाना , सबकुछ याद है । वो सुबह सबेरे का अंदाज , गायों का रम्भाना , भागते हुए नहर पर जाना और पूरब में लालिमा छाना , सबकुछ याद है । बैलों की खनकती हुई घंटियाँ , दूर - दूर तक फैली हरियाली , वो पीपल का पेड़ और छुपकर जामुन पर चढ़ जाना , सबकुछ याद है । पाठशाला में किताबें खोलना और छुपकर भाग जाना , दोस्तों के साथ बागीचों में दिन बिताना , सबकुछ याद है । नानी से कहानी की जिद करना ,मामा से डांट खाना , नाना का खूब समझाना , मीठे की भेली को चुराना और चुपके से निकल

छोटे वस्त्र: दुर्व्यवहार करने का न्योता !

आजकल फिल्मों में तो लड़कियां (Actresses) उधम करे ही हुए हैं मगर हमारे लोकल समाज में भी अब छोटे कपडे आम होते जा रहे हैं, मुझे तो ऐसा लगता है कि हर गर्मी में लड़कियां पश्चिमी सभ्यता के नज़दीक और करीब आती जा रही हैं और उनके वस्त्रों में अमेरिका और यूरोप की झलक हर गर्मी में बढती ही जा रही है यानि कम के कमतर और कमेस्ट ! हमें नहीं लगता कि यह बीमारी किसी तरह जल्दी ठीक हो पाए लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अगर हम अपनी ओरिजनल सभ्यता और चलन को अपनाने लगे तो कुछ फायेदा हो सकता है | उन चलन में से एक चलन है- पर्दा !!! वैसे मैं आपको एक उदहारण से यह बताने की कोशिश करूँगा कि पर्दा करने वाली लड़की और छोटे वस्त्र वाली लड़की में से कौन दुर्व्यवहार को न्योता देगी !!!  "मान लीजिये समान रूप से सुन्दर दो जुड़वां बहाने सड़क पर चल रही हैं| एक केवल कलाई और चेहरे को छोड़ कर परदे में पूरी तरह ढकी हों दूसरी पश्चिमी वस्त्र मिनी स्कर्ट (छोटा लहंगा) और ब्लाउज पहने हो | एक लफंगा किसी लड़की को छेड़ने के लिए किनारे खडा हो ऐसी स्थिति में वह किस लड़की से छेड़ छाड़ करेगा ? उस लड़की से जो परदे में है या उससे जो मिनी स्क