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Showing posts from May 28, 2009

हिन्दुस्तान का दर्द के पोस्ट का ग्राफ

हिन्दुस्तान का दर्द को नंबर एक ब्लॉग बनाना है. जय यंगिस्तान, जय हिंदुस्तान

लोकसंघर्ष !: छद्म पूँजी बनाम वास्तविक पूँजी -3

वर्तमान विश्व संकट : कारण और स्वरूप पिछले लगभग एक सदी में ओद्योगिक अर्थव्यवस्था में भारी परिवर्तन हो गए है । वित्त पूँजी उत्पादक पूँजी से अलग होकर स्वतन्त्र स्वरूप धारण कर चुकी है । विश्व दो महायुद्धो से गुजर चुका है । और उसका बहुत बड़ा आर्थिक कारण वित्त पूँजी है । 19 वी सदी के अंत तथा 20 वी के आरंभ में पश्चिम में विशाल इजारे दारियो एवं एकाधिकारियो का विकास हुआ । कार्टेल , ट्रस्ट , कारपोरेशन इत्यादि ने अर्थतंत्र को अपने हित में इस्तेमाल करना शुरू किया । अर्थात आर्थिक साम्राज्यवाद का जन्म हुआ । ऐसी ही कंपनिया आगे चलकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों ( ऍम . एन . सी ) में रूपांतरित हो हो गई । इजारेदारी और साम्राज्यवाद का एक महत्वपूर्ण आधार है 'वित्त पूँजी' इस शब्द का प्रयोग अक्सर ही लोग बिना सोचे समझे कहते है। लेकिन यह एक वैज्ञानिक सिद्धांत है। पश्चिम में हॉब्सन ,हिल्फर्डिंग ,लेनिन ,रोजा , लाक्सेम्बर्ग ,कार्ल कॉउस्की ने वित्त पूँजी और साम्राज्यवाद की अवधारणाएं विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिक

जनरल बोगी का नज़ारा....!

मैं आज सुबह लखनऊ - कानपूर से वापस आया हूँ, वहां काम के सिलसिले मे अक्सर जाना होता है । मैं मंगलवार की रात को आगरा से मथुरा - पटना एक्सप्रेस से चला था अचानक जाना पड़ा इसीलिए रिज़र्वेशन नही था तो जनरल बोगी मे सफर किया । जनरल बोगी की हालत बहुत ख़राब है उसमे बैठने के लिए ९० सीट होती हैं, ऊपर की तरफ़ एक बर्थ होती है जिस पर लोग सो जाते हैं या फिर अपना सामान रख लेते है जब भीड़ ज्यादा होती है तो वहां पर लोग बैठ जाते है, आमतौर पर लेटने की जगह नही मिलती है बैठकर ही जाना पड़ता है । परसों भीड़ कुछ कम थी इसलिए चार लोगो की एक सीट पर छह लोग बैठे थे, ऊपर की बर्थ पर तीन लोग बैठे थे, और बाकी जो बचे थे वो सब ज़मीन पर लेट गए । आगे पढे....