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Showing posts from January 7, 2009

मौत के इलेक्ट्रॉनिक सौदागर

सुबह से लेकर शाम तक , कौन कहां मरा, कितने वीभत्स तरीके से मरा, खुदकुशी की या बम फटने से मरा, किस- किस तरीके से लोग मर सकते हैं, दुनिया पलटने से या आतंकवाद से, असली लाशें, या हत्या करने का नाट्य रूपांतर, कहां आग लग गई, कहां कार पलट गई, कहां बाढ आ गई, कहां रेल दुर्घटना हो गई, कहां सास ने मार दिया, कहां बाघ खा गया, कहां जहर दे दिया, कहां गला काट दिया, एक मर गया, सौ मर गए, सड़क पर बम फटा, घर में फ्रिज फटा, मरा, मरा ,मरा…. एक शैतान “राम” का उल्टा “ मरा, मरा” जप कर साधु बन गया था। आजकल के इलेक्ट्रॉनिक साधु सुबह से लेकर रात तक हमारे- आपके घरों में “मरा- मरा” जप कर मानसिक भय और आतंक फैलाने का शैतानी कार्य कर रहे हैं। -->