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Showing posts from April 5, 2011

पुरस्कार के नाम पर मोदी ने किया खिलाड़ियों का अपमान

वर्ल्ड कप जीतने पर भारतीय खिलाडियों को बीसीसीआई और राज्य करोडों रु. देने की घोषणा कर रहें है वहीं दूसरी और गुजरात के मुख्यमंत्री ने गुजरात में एकलव्य पुरस्कार देने की घोषणा से राज्य में विवाद उठ खडा हुआ है. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकारें जहां पुरस्कार के रूप में खिलाड़ियों को करोडों रु. देने की घोषणा कर रहें हैं वहीं मोदी सरकार ने राज्य के मुनाफ पटेल और यूसूफ खान पठान को एकलव्य पुरुस्कार में महज एक-एक ट्रॉफी और एक एक लाख रु. की राशि दी जाएगी. इस एक लाख की राशि को लेकर मोदी पर आरोप लगाया है कि वे इस मुद्दे पर अल्पसंख्यकों के साथ भेद-भाव कर रहें है यही कारण है कि मुनाफ़ पटेल और यूसूफ खान आज सुबह ही मंबई से लौटे और यूसूफ खान अपने बडोदरा निवास स्थान और मुनाफ भ्ररुच पहुंच गए.इस बात पर इसीलिए हंगामा बरप रहा है क्योंकि मोदी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं.गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के भूतपूर्व अध्यक्ष नरहरि अमीन का कहना है कि यह क्रिकेटर का अपमान नहीं परंतु देश का अपमान है. दूसरी और क्रिकेट प्रेमियों का कहना है कि यह वाईब्रेट गुजरात है और गुजरात इतना समृद्धशील गुजरात है कि 1 करोड नहीं तो

टेलीविजन पर कचरा फैलाते हैं स्पीड न्यूज

विनीत कुमार  स्टार न्यूज़  के कार्यक्रम 24 घंटे 24 रिपोर्टर की नकल करते हुए बाकी के न्यूज़ चैनलों ने भी बीस मिनट में बीस खबरें, खबरें सुपरफास्ट या खबर शतक जैसे कार्यक्रम की शुरुआत की। खबरों पर आधारित ये कार्यक्रम मीडिया से कम आइपीएल की संस्कृति से ज्यादा प्रभावित रहे। कुछ चैनलों पर तो ये कार्यक्रम आइपीएल के दौरान ही शुरु हुए। लेकिन तमाम चैनलों ने स्टार न्यूज़ की नकल तो जरुर कर ली, लेकिन जिस समझ के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी, वे उससे न केवल अलग हो गए बल्कि खबरों की दुनिया में बेवजह की हड़बड़ी पैदा कर दी। इस हड़बड़ी से चैनलों पर खबर के नाम पर जो शोर पैदा हुआ है,वो ऑडिएंस को परेशान करनेवाला है। न्यूज़ शतक 24 घंटे 24 रिपोर्टर  में आम तौर 24 अलग-अलग खबरें हुआ करती थी जो कि आज भी उसी तरह से है। जब तक एक ही इलाके की कोई बड़ी खबर न हो जाए,उसे दो या तीन खबर नहीं बनाया जाता। इससे इतना जरुर होता कि आधे घंटे में हम न्यूज चैनल के माध्यम से देश और दुनिया की 24 अलग-अलग खबरें जान पाते हैं। स्टार न्यूज का ये कार्यक्रम टीआरपी की चार्ट में चोटी के दस कार्यक्रमों में अक्सर शामिल होता। लिहाजा ब

टेलीविजन पर कचरा फैलाते हैं स्पीड न्यूज

  विनीत  कुमार एक मिनट एक खबर स्टार न्यूज़  के कार्यक्रम 24 घंटे 24 रिपोर्टर की नकल करते हुए बाकी के न्यूज़ चैनलों ने भी बीस मिनट में बीस खबरें, खबरें सुपरफास्ट या खबर शतक जैसे कार्यक्रम की शुरुआत की। खबरों पर आधारित ये कार्यक्रम मीडिया से कम आइपीएल की संस्कृति से ज्यादा प्रभावित रहे। कुछ चैनलों पर तो ये कार्यक्रम आइपीएल के दौरान ही शुरु हुए। लेकिन तमाम चैनलों ने स्टार न्यूज़ की नकल तो जरुर कर ली, लेकिन जिस समझ के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी, वे उससे न केवल अलग हो गए बल्कि खबरों की दुनिया में बेवजह की हड़बड़ी पैदा कर दी। इस हड़बड़ी से चैनलों पर खबर के नाम पर जो शोर पैदा हुआ है,वो ऑडिएंस को परेशान करनेवाला है। न्यूज़ शतक 24 घंटे 24 रिपोर्टर  में आम तौर 24 अलग-अलग खबरें हुआ करती थी जो कि आज भी उसी तरह से है। जब तक एक ही इलाके की कोई बड़ी खबर न हो जाए,उसे दो या तीन खबर नहीं बनाया जाता। इससे इतना जरुर होता कि आधे घंटे में हम न्यूज चैनल के माध्यम से देश और दुनिया की 24 अलग-अलग खबरें जान पाते हैं। स्टार न्यूज का ये कार्यक्रम टीआरपी की चार्ट में चोटी के दस कार्यक्रमों में अक्सर शा

क्रिकेट की कूटनीति

ऑपरेशन ब्रासटैक्स के समय भारत-पाकिस्तान में युद्ध की तेज हुई चर्चाओं के बीच 1987 में पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह जनरल जिया-उल हक ने क्रिकेट के बहाने कूटनीतिक बढ़त हासिल करने की चाल चली, जिसे क्रिकेट कूटनीति के रूप में जाना जाता है। वो शीत युद्ध का जमाना था और आतंकवाद की आड़ में भारत का खून बहाने की पाकिस्तानी नीति पुरजोर ढंग से जारी थी। तभी भारत ने नवंबर 1986 से मार्च 1987 के बीच राजस्थान में अभ्यास के लिए अपनी फौज का सबसे बड़ा जमावड़ा किया। उसी पृष्ठभूमि में जनरल जिया अपनी पहल पर भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट टेस्ट देखने जयपुर आए। कोशिश खुद को शांतिदूत और भारत को आक्रामक दिखाने की थी। लेकिन 2005 में जब पाकिस्तान के अगले तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ वन डे मैच देखने दिल्ली आए, तो वह यात्रा सिर्फ एक रणनीति नहीं थी। तब भारत और पाकिस्तान के बीच अहम मुद्दों पर समझौते की जमीन तैयार हो गई थी और एक ऐतिहासिक सफलता का इंतजार था। लेकिन पाकिस्तान की अंदरूनी उथल-पुथल ने उस संभावना पर पानी फेर दिया। तब से दोनों देशों के रिश्तों में उतार-चढ़ाव का लंबा दौर चला है। मगर थिम्पू में सार्क शिखर सम्मेलन के साथ पिछ

किताब का जवाब किताब है

यदि वॉल स्ट्रीट जर्नल के बुक्स एडिटर न्यूयॉर्क टाइम्स के बुक्स एडिटर जितने ही विवेकशील होते तो संभव है कि नरेंद्र मोदी जोसेफ लेलीवेल्ड की किताब द ग्रेट सोल पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाते। मैनहट्टन के दैनिक अखबारों ने उसी सप्ताहांत इस किताब की समीक्षाएं प्रकाशित की थीं, लेकिन वे शैली या विषयवस्तु के स्तर पर जर्नल से बहुत अलग थीं। टाइम्स के समीक्षक, जो स्वयं भारत पर बहुत अच्छी किताबें लिख चुके हैं, ने लेलीवेल्ड के रवैये की खूबियों और खामियों का तर्कसंगत आकलन किया है, गांधी की ऐतिहासिक स्थिति की पड़ताल की है और महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने हरमन कालेनबाख का कतई जिक्र नहीं किया है। दूसरी तरफ जर्नल ने यह किताब एक ऐसे ब्रिटिश समीक्षक के हाथों में सौंप दी, जिनकी विवेकशीलता का यह आलम है कि एक दफे उन्होंने टोनी ब्लेयर को भविष्य का विंस्टन चर्चिल बता दिया था। बोअर नस्लवादियों से एकात्मता व्यक्त करने वाले इन समीक्षक ने इस अवसर का उपयोग ब्रिटिश साम्राज्य के महान शत्रु की चरित्र हत्या करने के लिए किया। संदर्भ से हटकर उद्धरण देते हुए उन्होंने गांधी के व्यक्तित्व की एक अलग ही व्याख्या की। उन्होंने ग