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Showing posts from December 8, 2010

हिन्दुस्तान का दर्द के समर्थक ध्यान दें.

काफी समय से देखने में आ रहा है की ''हिन्दुस्तान का दर्द''पर प्रकाशित पोस्टों पर पाठक एवं सदस्य की जो पैनी नजर हुआ करती थी वो कही खो गयी है,क्योंकि जिस तरह की विषय सामग्री पर हम बहस करते थे एक नतीजे पर पहुँचते थे ,उस प्रकार के विषय पर पाठकों की प्रतिक्रिया बुझी बुझी सी नजर आ रही है जबकि अन्य हलकी पोस्टों पर बात की जा रही है... हमारा मकसद है चर्चा करना अपने विचार रखना तो अपने विचार जरुर दें वो सकारात्मक हो तो अच्छा और नकारात्मक हो तो उससे अच्छा कुछ भी नहीं हो सकता.आपके विचार नए एवं पुराने सभी लेखकों को होंसला देते है,जिनके होंसले से बनता है हिन्दुस्तान का दर्द..... जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान संजय सेन सागर हिन्दुस्तान का दर्द के समर्थक ध्यान दें

अंदाज़ अपना - अपना

                                          प्यारा सा एक एहसास हु मै                                            हर दम तुम्हारे  साथ हु मै ..........                                           मुझसे  दूर कहाँ तलक जाओगे                                       तुम्हारा साया हु मै मुझे कहाँ छोड़ पाओगे !                                                                                              अगर गोर  से देखा जाये तो जिंदगी बहुत तेज़ी से करवट लेती जा रही है हर पल कुच्छ नया सा दिख रहा है जिंदगी इतनी तेज़ी से बदलेगी शायद  किसी ने सोचा भी न होगा हर इन्सान हर पल कुच्छ नया करने मै जुटा है ! इंसा की सोच एक नई दिशा तय कर रही है हर तरफ भाग - दोड़ का शोर सा मचा हुआ है ! किसी को किसी के एहसास  बाँटने की फुर्सत ही कहाँ है बस दिल मै एक डर है की कही मेरा प्रदर्शन किसी और से कम न हो जाये और मै इस भागती हुई दुनिया के साथ चलने मै पिछड़ न जाऊ ! यहाँ तो हाल एसा हो गया है जेसे दोड़ मै हिस्सा  तो लेना ही है अंजाम फिर जो भी हो मजिल मिले  न मिले  कोई बात नहीं ! कोंन पिच्छे छुट गया किसे ख़ुशी मिली किसे दर्द .

यह केसा मानवाधिकार जो लागू नहीं हे

देश में मानवाधिकार असमंजस हमारे देश में अंतर्राष्ट्रीय संधि के बाद वर्ष १९९३ में राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून बना कर मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया फिर राज्यों में मानवाधिकार गठित किये गये लेकिन मानवाधिकार मामले आज भी जस के तस बढ़ रहे हें और हात यह हें के कानून में प्रथक से मानवाधिकार न्यायालयों के खोलने के स्पष्ट प्रावधान होने के बाद और इन न्यायालयों में मानवाधिकार सरकरी वकीलों की आवश्यक नियुक्ति के प्राव्धना होने के बाद भी कार्यवाही नहीं की गयी हे कल्पना कीजिये देश में ऐसा आयोग जिसके अध्यक्ष सुर्पिम कोर्ट के सेवानिव्रत्त न्यायधीश होते हें और अरबो रूपये इस आयोग पर खर्च होते हें कानून १७ वर्ष पहले बना दिया गया और आज तक भी इस कानून की पालना केंद्र सरकार करने में अक्षम रही हे । यह स्थिति तो इन हालात में हे जब भाजपा और कोंग्रेस ने राष्ट्रिय और राज्य स्तर पर मानवाधिकार प्र्कोष्टों का गठन कर इन पदों पर रिटायर्ड जजों को ही नियुक्त किया हे । राजस्थान में हाल ही में जस्टिस इसरानी जो राजस्थान कोंग्रेस के मानवाधिकार प्रकोष्ट के प्रदेश अध्यक्ष हें उनकी कोटा यात्रा के दोरान एक क

एक चोराहा जिसने देखी भ्रस्ताचार और तोड़ फोड़ की सियासत

कोटा एरोड्रम चोराहे के नाम पर करोड़ों का गेम दोस्तों कोटा में बेस्ट ब्लोगर जनाब ललित जी शर्मा जब आये और में मेरे एक साथी दिनेश राय जी द्विवेदी जी ललित जी को लेकर कोटा शहर के भ्रमण पर ले जा रहे थे तब यहाँ एरोड्रम चोराहे पर चार खम्बे और हाथी देख कर ललित जी ने पूंछ ही लिया के यह कोनसा चोराहा हे , इस चोराहे के बारे में कोई पूंछे और कोटा के फिजुलखर्ची और सियासत का खेल किसी को नहीं बताया जाए ऐसा तो हो हीं नहीं सकता बस में ललित जी को इस चोराहे की बदनसीबी बताने लेगा लेकिन जनाब कोटा के इस एरोड्रम की कहानी करोड़ दो करोड़ की फ़िज़ूल खर्चे पर खत्म नहीं हुई हे अब नये सिरे से फिर आठ करोड़ रूपये इसी चोराहे के नाम पर बर्बाद होंगे और इस बार फिर पहला करोड़ों रूपये से किया गया निर्माण कार्य तोड़ा जायेगा फिर आठ करोड़ रूपये की लागत से इण्डिया मेरिज चोराहा बनाया जाएगा तो जनाब इस चोराहे की बर्बादी ,बदनसीबी और फिजुलखर्ची की सियासत की कहानी आपके सामने भी पेश हे क्या कहीं ऐसा भी हो सकता हे । जनाब कोटा के राष्ट्रिय राजमार्ग के बीच शहरी रास्ते में स्थित इस चोराहे की एक सडक उद्योग नगर तो दूसरी चम्

इस्लामिक नया साल पुरे देश और विश्व को मुबारक हो

मुबारक हो मोहर्रम का इस्लामिक नया साल ब्लोगर दोस्तों भाइयों बुजुर्गों माताओं और बहनों साथ ही थोड़े बहुत दुश्मनों सभी को इस्लामिक नये साल का नमस्कार , नये साल की मुबारकबाद । दोस्तों इस्लाम की तारीख चाँद उगने से यानि सांय काल जिसे मगरिब कहा जाता हे से शुरू होती हे जबकि सनातन और अंग्रेजी पद्धति में सुबह सूरज उगने से दिन की शुरुआत होती हे और इस हिसाब से कल मगरिब को बाद ही इस्लामिक हिजरी सन १४३२ की शुरुआत हो गयी हे दोस्तों कहने को तो यह महीना मुसलमानों के लियें गम और गुस्से का होता हे इस माह में इस्लाम के अलम बरदारों ने अपनी जान की बजी लगाकर इस्लामिक मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा की थी , वेसे तो यह इस्लामिक साल का पहला महीना हे लेकिन मैदाने कर्बला के इतिहास ने इसे क़ुरबानी का महिना बना दिया और दस दिन बाद यानि १७ दिसम्बर को मोहर्रम मनाये जायेगे इस दिन यज़ीद नामक शासक ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के वंशजों और इस्लाम के अलमबरदारों को धोखे से बुला आकर घेर लिया और उन पर गुलामी की पेश कश की जिसे स्वीकार नहीं किया गया और विश्व की सबसे खतरनाक यातना का दोर चलाया गया जिसमें एक एक को गि

हाय केसा हे यह आतंकवाद

पवित्र गंगा किनारे अपवित्र आतंक का खेल दोस्तों देश में आस्थाओं की गंगा और गंगा के पवित्र किनारे जब श्रद्धालु स्नान कर अपने पाप और पुन्य का हिसाब कर रहे हों और राक्षसों का राक्षसी कृत्य इस सुख शांति को हा हां कार में बदल दे तो सोचो क्या विहंगम और द्र्नाक द्रश्य होगा जी हाँ दोस्तों हमारे देश ने कल रात यह दर्द भोगा हे यहाँ शेतानी ताकतों ने केवल एक घटना का बहाना बनाकर निर्दोष लोगों को एक बार फिर गेर इस्लामिक तरीके से अपना निशाना बनाया हे वोह तो शुक्र हे खुदा का के बढा हादसा होने से बच गया दूध के डिब्बे में रखे बम के विस्फोट से इस गंगा किनारे दो लोंगों की म़ोत और २७ लोगों का घायल होना कोई मामूली बात नहीं हे देश की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर अपनी करतूतें दिखाने वाले बड़ी बेशर्मी से इस अपराध का कुबुल्नमा पेश कर रहें हें छुप कर पर्दे में रहकर धोके से निर्दोष मासूमों की हत्या करना किसी भी धर्म का हिस्सा नहीं हे और जिस इस्लाम धर्म की वोह बात करते हें उसका तो एलान हे के तुम किसी भी निर्दोष का अगर खून बहाते हो तो तुम मुसलमान नहीं हो ऐसे राक्षस जिसका कोई धर्म ईमान नहीं हे उनकी