इस युग के युगपुरुष महात्मा मोहनदास करमचंद गाँधी वास्तव में केवल युगपुरुष ही नहीं बल्कि युग अवतार भी थे, यह बात हाल ही में एक विवादित प्रकाशन से साबित हो गयी, बीती सदी में बापू ही थे जिनके जीवन में सोलहों कलाएं थी, जीवन संघर्ष था, विश्व विजयी विलेन था, लोगों की श्रद्धा थी, अनुगमन था, समकालीन सारी महान विभूतियों का निर्विरोध समर्थन था, और सबकुछ असामान्य होने के बाद भी दिखने में जन-समान और स्वीकार्य था। जनता लाठी वाले संत को अपने जैसा मानती थी। उनके एक इशारे पर लाखो लोग निर्विकार भाव से अपने प्राणों की आहुति दे देते थे। ऐसे ही हजारों अन्य लक्षण महात्मा के अवतारी होने की पुष्टि करते हैं। जहाँ तक मेरी संसारी दृष्टि देख पाती है, उससे तो लगता है कि, बापू श्रीकृष्ण के आधुनिक संस्करण थे, एक कालजयी फ़िल्मी गीत के अनुसार उन्होंने लीलाएं भी की थीं। भगवान् श्रीकृष्ण के परिवार और शुभचिंतकों की तरह बापू के परिवार का जीवन भी कष्टप्रद रहा हाँ सुदामा की तरह छुपकर खाने वालों को उन्होने अपना सारा राजपाट दे दिया। अपुष्ट इतिहास के अनुसार बापू की बा के बाद कई समर्पित गॊप और गोपियाँ थी जिन्हें