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Showing posts from May 5, 2009

ग़ज़ल

जो समझते ही नही वक्त की कीमत क्या है उनको एहसास दिलाने की ज़रूरत क्या है तुम ही बतलाओ सरे राह ये चलते चलते नाजो अंदाज़ दिखाने की यह आदत क्या है बेचकर अपनी अना पूछ रहे हो हमसे शर्म क्या है यह हया क्या है नदामत क्या है भाई भाई का यहा हो गया दुश्मन कैसे कोई बतलाये तो आख़िर यह सियासत क्या है बाखुदा कोई नही पूछने वाला दिल से उसके हाथों में यह पैगामे मसर्रत क्या है

यह कैसी आस्था???

ह मारे भारत देश का इतिहास सदियौं पुराना है, यहाँ बहुत सी सभ्यताएं, संस्कृतियाँ और धर्म मौजूद हैं हमारे भारत का सबसे बड़ा धर्म है "हिंदू धर्म" । हिंदू धर्म मे लगभग तेंतीस हज़ार देवी - देवता है जिनकी पूजा की जाती है, इस संख्या मे देवी देवताओं के सब अवतार शामिल है लेकिन आज के भारत के जो हालात है उसे देख कर ऐसा नही लगता की यहाँ पर लोगो के मन मे आस्था उस हद तक मौजूद है, क्यूंकि जो रवैया है आज के लोगो उससे लगता नही है की उन्हें किसी चीज़ की परवाह है, हम लोग ख़ुद अपने हाथो से सब कुछ तबाह कर रहे है... मैं आप लोगो को कुछ उदाहरण दे रहा हूँ अपनी बात साबित करने के लिए हमारे देश गंगा नदी को "गंगा मैया" के नाम से पुकारा जाता है मैया का मतलब होता है "माँ" जन्म देनी वाली नही है लेकिन कुछ नहीं तो मुहँ बोली माँ तो है लेकिन हमने अपनी माँ का कितना ख़याल किया है आगे पढे...

Loksangharsha: मौन दिखा गई राधा

कोकिल कूकत झरन पै अस बौरत बाग़ वसंत के आए । फूलन फूलि जगावत प्रभु बजावत साज बसंत के आए । प्रेम पयोधि में डूबे हुए अलि गावत राग वसंत के आए । ऋतुराज आवत सुनी प्रिय ने तव आवत आज वसंत के आए ॥ बिखरी बिखरी अलको में सजी छवि सुन्दर मौन दिखा गई राधा । अभिराम हँसी अधरों पे लिए कछु ऐसा ही रंग जमा गई राधा । अंग प्रत्यंग रंगारस रंग कुछ ऐसा ही रंग जमा गई राधा । आखिन काजर , काजर कोर से प्रेमवियोग जता गई राधा । स्वारथ को परमारथ को वस श्याम से लागत लगी रहना है । चाहे सायानी अयानी कहो पर प्रेम के रंग रंगी रहना है । मान गुमान नही कुछ है वस मोहन की ही बनी रहना है । नैनन , वैनन , सेनन सो जो कहानी कही सो धरी रहना ॥ अलि जानो नही यह प्रेम है क्या हम यामैं डूबी की डूबी रहे । मिलने की कबो नहि चाह हमे रस रंग में भीगी रहे । मनमंहि वसे अइसे मोहन है जैसे सीपी के बीची मा मोती रहे । अखियाँ जब बंद हमारी भई हरी सो गर लागी की लागी रहे ॥ डॉक्टर

शेरे बाजारों में लौटी रौनक

आलमी बाजारों में आई तेज़ी और गैर मुल्की वो घरेलु सरमाया कारों ओबार के दरमियान घरेलु शेरे बाजारों में आज लगातार नवी हफ्ता तेज़ी रखते हुए ज़बरदस्त दौड़ लगायी इससे बी एस इ का सेंसेक्स १२,००० तक पहुँच गया कुल ७३१.५० पॉइंट्स के साथ १२१३४.७५ की सतह पर बाँध हुआ , एन एस इ का निफ्टी १८० पॉइंट्स की तेज़ी के साथ ३५,०० की सतह को पार करते हुए ३६५४ पॉइंट्स पर बाँध हुआ, लिहाजा ७ माह में शेरे बाज़ार की यह सबसे ऊंची उड़ान है इ टी , बैंकिंग, मेटल , ऍफ़, एम् ,की, जी और तेल और गैस के SHERE में मजबूती से बाज़ार को बुन्याद मिली और उनमे तेज़ी का रुख देखा गया कारोबार की शुरुवात में बाज़ार मजबूती के साथ खिले ,, इस परकार शेरे बाज़ार में जैसे कोई रौनक आगई हो .....आगे का हाल लेकर फिर रूबरू हूँगा ...शुक्रिया आपका दोस्त अलीम

गुजरात की यूनिवर्सिटी में गाली देते चित्र

यहां एम.एस.यूनिवर्सिटी में रविवार को एक छात्र द्वारा अश्लील उच्चरण की मुखाकृति वाले व अभद्र शब्द लिखे चित्रों ( फूहड़)की प्रदर्शनी से हड़कंप मच गया है। फाइन आर्टस फैकल्टी में सोमवार से विद्यार्थियों द्वारा निर्मित चित्रों ,स्कल्पचर व मॉडल की प्रदर्शनी आरंभ हो रही है। इस प्रदर्शनी को देख कर विद्यार्थियों को अंक दिए जाते हैं और बाद में इसे आम जनता के लिए खोल दिया जाता है। इससे एक दिन पहले ही आपत्तिजनक चित्रों को लेकर विवाद गहरा गया है। पिछले तीन सालों से फूहड़ चित्रों की प्रदर्शनी के कारण यह विश्वविद्यालय सुर्खियों में रहता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीए अंतिम वर्ष के छात्र कुणाल सिंह ने इस प्रकार के भद्दे चित्रों को प्रदर्शनी में रख दिए। इन चित्रों को प्रदर्शनी में लगाने के साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में हड़कंप मच गया । छात्र से मांगा जाएगा खुलासा फाइन आर्टस संकाय के अधीक्षक दीपक कन्नल को इसकी भनक लगते ही इन विवादित चित्रों को तुरंत हटा लिया गया । लगातार तीन सालों से विवादित चित्रों को बनाए जाने से यूनिवर्सिटी प्रशासन में सनसनी फैल गई है। कन्नल ने बताया कि फाइन आर्टस के विद्यार्थिय

भूतनी का भोग..

बहुत दिनों में बाद मई शहर से गाँव गया क्यो की मेरे दादा जी का निधन हो गया था ..जब उनका क्रिया कर्म ख़त्म हुआ तो मई अपनी मौसी के घर गया ,मई वहा शाम को पहुचा था सब लोगो के साथ खाना खाया ओउर सो गया , जब सुबह उठा तो नित्य क्रिया कर्म से फुर्सत होने के बाद ,नदी में स्नान किया और मौसी के पर आ गया वहा देखा तो सब लोग काम मतलब साफ़ सफाई में लगे थे तो मैंने सोचा की चाय पीना जरुरुई तो मैंने एक लडके से कहा की यहाँ कही पर दूकान है, तो वह बोला की यहाँ पर दूकान नही है ,और बाज़ार बहुत दूर पर है, तब उसने बताया की १२ बह्जे के बाद ही चाय और खाना मिलेगा। वह आज १२ व्यंजन बनेगा तो मैंने पूछा क्या आज कोई त्यौहार है क्या? नही नही त्यौहार नही आज हमारे घर से भूटानी को खाना जायेगा। ये बात हमें अटपटी लगी, मैंने सोचा चलो देखा जाएगा। आगे क्या होता , कौन है भूतनी ..वह समय भी आ गया सारे घर के लोग सज बज के गाजे बाजे के साथ उस जंगल की और चल दिए । मई भी उनके साथ चल दिया , जंगल में पहुचने के बाद एक मोटा पेड़ था उसके नीचे गोबर कई लेप किया ओउर सारा खाना सजाया गया ओउर वही पर समस्त खाना रख लोग आने लगे। मेरी उत्सुकता बढ़ गई मैंन