हर्ष मंदर एक समय उड़ीसा के बोलांगिर जिले में रहने वाले एक सीधे-सादे और गरीब दलित पति-पत्नी लतिका और श्यामलाल टांडी की पूरे देश में बड़ी लानत-मलामत हुई। अखबारों ने एक के बाद एक सनसनीखेज कहानियां छापीं कि कैसे माता-पिता ने अपनी बेटी हेमा को कुछ हजार रुपयों के लिए बेच दिया। सरकार और जनता में जबर्दस्त आक्रोश था। विपक्ष ने राज्य सरकार पर जमकर कोड़े बरसाए। मंत्रियों ने जिले के अधिकारियों को फटकारा। शर्मसार सत्तासीन दल ने विधानसभा के स्पीकर से निवेदन किया कि वह निजी तौर पर इस घटना की जांच करें। कुछ ही दिनों के भीतर सायरन बजाती और लाल बत्ती चमकाती सफेद एम्बेसेडर कारों में सवार एक दल उस पिछड़े हुए गांव कुंडापुतुला पहुंचा। पायलट जीप उन्हें दोषी माता-पिता के मिट्टी के कच्चे घर में ले गई। विधान सभा के सदस्यों, राज्य और जिला सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और स्थानीय नेताओं ने उन पर सवालों की बौछार कर दी। ‘तुमने अपने बच्ची को क्यों बेच दिया?’ कमरे के एक कोने में उकड़ू बैठा