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Showing posts from July 2, 2010

एक बेटी जो उदास थी

हर्ष मंदर एक समय उड़ीसा के बोलांगिर जिले में रहने वाले एक सीधे-सादे और गरीब दलित पति-पत्नी लतिका और श्यामलाल टांडी की पूरे देश में बड़ी लानत-मलामत हुई। अखबारों ने एक के बाद एक सनसनीखेज कहानियां छापीं कि कैसे माता-पिता ने अपनी बेटी हेमा को कुछ हजार रुपयों के लिए बेच दिया। सरकार और जनता में जबर्दस्त आक्रोश था। विपक्ष ने राज्य सरकार पर जमकर कोड़े बरसाए। मंत्रियों ने जिले के अधिकारियों को फटकारा। शर्मसार सत्तासीन दल ने विधानसभा के स्पीकर से निवेदन किया कि वह निजी तौर पर इस घटना की जांच करें। कुछ ही दिनों के भीतर सायरन बजाती और लाल बत्ती चमकाती सफेद एम्बेसेडर कारों में सवार एक दल उस पिछड़े हुए गांव कुंडापुतुला पहुंचा। पायलट जीप उन्हें दोषी माता-पिता के मिट्टी के कच्चे घर में ले गई। विधान सभा के सदस्यों, राज्य और जिला सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और स्थानीय नेताओं ने उन पर सवालों की बौछार कर दी। ‘तुमने अपने बच्ची को क्यों बेच दिया?’ कमरे के एक कोने में उकड़ू बैठा

लो क सं घ र्ष !: अपराधिक कार्यो में लिप्त नौकरशाही : डिप्टी कलेक्टर जेल में

पुलिस अभिरक्षा में डिप्टी कलेक्टर प्रदेश में नौकरशाही ने अथाह पैसा कुछ ही दिनों में कमा लेती है और पैसे को खर्च करने के लिए दुनिया में अपने लिए जन्नत जैसी सुविधाएं जुटाने में लग जातें है । बाराबंकी के ऐसे ही नौकरशाहों में बाराबंकी के डिप्टी कलेक्टर श्री रतिभान वर्मा का भी नाम है । विगत दिनों रतिभान वर्मा ने अपने निजी कार चालक सर्वजीत के माध्यम से अपने पडोसी विनोद व कुसमा की हत्या करने के लिए भाड़े के हत्यारे बुलाए । निजी कार चालक सर्वजीत की नियत खराब हो गयी उसने डिप्टी कलेक्टर के बच्चों की हत्या की योजना बना डाली जिसकी भनक रतिभान वर्मा की पत्नी कैलाशा को लग गयी । कैलाशा ने हत्यारों को अपनी ओर लालच देकर मिला लिया फिर नया खेल शुरू हुआ और सर्वजीत को बांके से हत्यारों ने काट डाला। लखनऊ की चिनहट पुलिस ने तेजी से कार्य करते हुए डिप्टी कलेक्टर रतिभान वर्मा , पत्नी कैलाशा व तीनो हत्यारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया । बाराबंकी जन

दो गज कफ़न ,,,,,,,,दो गज कफ़न .......

दो गज कफ़न से मेरी अर्थी सजाओगे॥ मुझको पता है याद तुम बहुत ही आओगे॥ हम हंस के जा रहे है तुम रो के विदा मत करना॥ मेरे चिता में आग तुम ही लगाओ गे॥ यही दुआ करेगे हम तुम नाम करके आना॥ पूछू गा प्रश्न मै तुम उत्तर हमें बताना॥ मेरी सतह से उंच तुम मंजिल बनाओगे॥ अद्भुत बना के रखना अपने नियम कायदे॥ किसी से गलत कभी लेना नहीं फायदे॥ मेरे सखा के फूल तुम गम गमाओ गे॥ कभी किसी से वैर विरोध नहीं करना॥ सच्ची डगर पे सदा ही चलते रहना॥ एकदिन गगन में तारे बन तुम ॥ टिम टिमाओगे॥

नींद टूट गयी..

चाँदनी रात में स्वच्छ बस्त्र धारण कर। अधरों पर मुस्कान लिए रूप वती॥ देव्वेला में मंदिर की ओर जा रही थी॥ जब मेरी दृष्ट उसपर पड़ी तो मै आकर्षित होने लगा॥ अपनी बलिष्ट भावनाओं में खोने लगा॥ वह मोहनी सूरत सीधे मंदिर में प्रवेश कर गयी॥ हमारी आँखे नज़ारे देख रही थी॥ और मै भावनाओं के अथाह सागर में दुबकी लगा रहा था॥ मन चंचल है रूप स्वरूपा॥ ऐसी नारी देखे नहीं दूजा॥ आखिर वह घडी आ ही गयी॥ वह सीधे हमारी तरफ ही आ रही थी॥ मै अन्दर ही अन्दर गुदगुद हो गया॥ वह मेरे समीप आये और बोली लो प्रसाद खा लो॥ मै उसके कोमल हाथ से प्रसाद लिया और खा गया॥ आगे हमारी और उसकी वार्तालाप पढ़िए॥ मै॥ हे रूप स्वरुप सुंदरी आप कौन है कहा से आती है॥ आप हमें बिस्तार से बताइये॥ नारी॥ मै बेला हूँ जो की मै प्रात: काल गंगा जी के अम्रत सामान जल में स्नान कर के और गंगा जी के जल को इस पात्र में लेके शिव जी के मंदिर में आती हूँ। जो की गंगा जी का जल शिव लिंग पर डालते ही दूध का रूप धारण कर लेता है॥ मै ॥ आप के इस रूप को देख कर मै आप पर मोहित हो रहा हूँ॥ क्या आप हमारे साथ विवाह कर सकती है॥ नारी॥ हां अवश्य कर सकती हूँ लेकिन आप को हमारी शर्त मानन