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Showing posts from January 11, 2011

सेक्स एजुकेशन और पाकिस्तानी संस्कृति ,बबाल अभी जिंदा है.

पकिस्तान को विवादों का देश कहा जाता है यहाँ  सलमान रश्दी की पुस्तक 'द सैटनिक वर्सेस' पर फतवा,तसलीमा नसरीन की "लज्जा"पर फतवा,सानिया-शोएब की नजदीकियों पर फतवा,हेयर डाई का इस्तेमाल करने पर फतवा,एयरपोर्ट पर बॉडी स्कैनर के खिलाफ फतवा,फेसबुक के खिलाफ फतवा, यहाँ तक की वंदे मातरम पर भी फतवा के बाद पाकिस्तानी लेखक  मोबीन अख्तर की किताब  '' सेक्स एजुकेशन फॉर मुस्लिम्स’को भी पकिस्तान में टेढ़ी निगाह से देखा जा रहा है इसमें हैरत की बात नहीं है की अगर इस पर भी कोई नया फतवा दे दिया जाए,सेक्स  एजुकेशन हमेशा से विवादित विषय रहा है और पकिस्तान में इस पर बबाल मचना कोई नयी बात नहीं है देखते है आखिर पकिस्तान इस किताब को किस हद तक स्वीकार कर पाता है,इस विषय पर आपके विचार आमंत्रित है - माडरेटर      मुसलमानों को सेक्स की शिक्षा देने के लिए पाकिस्तान में एक डॉक्टर द्वारा किताब लिखे जाने पर बवाल हो गया है।‘सेक्स एजुकेशन फॉर मुस्लिम्स’ नामक इस किताब का मकसद लोगों को इस्लामी निर्देशों के मुताबिक सेक्स का पाठ पढ़ाना है। इस किताब को लिखने वाले डॉक्टर मोबीन अख्तर का कहना है कि पाकिस्तान

धर्म

क्या होता है धरम ?  किसका नाम है धर्म  ? मार - धाड़ , छीन - झपट नहीं - नहीं धर्म ये तो नहीं ! अगर हम सच मै जानना चाहतें हैं ,  कि धर्म  क्या है ? तो हमे मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों मै जाकर देखना होगा ! उस वक़्त लोगों के अन्दर का जूनून ...मदमस्त गूंजती आवाजें ! उस वक़्त कुच्छ भी कर डालने का ज़ज्बा .......................... हमारे तनबदन को झुमने पर मजबूर कर डालता है ! उस वक़्त हमारी भावना इतनी सच्ची  होती है .............. कि हम कुच्छ भी कर गुजरने को तैयार  हो जाते हैं ! काश वो ज़ज्बा ....................हर वक़्त हमारे अन्दर रहे वही एहसास तो धर्म  है जो हमें  ............................... कुच्छ कर गुजरने को कहता है ! जिसमें  प्यार , शांति , मोहब्बत ,समर्पण ......... जेसे भाव जगतें हैं जो हमे ........बेसाहारा और दिन - दुखियों   कि सेवा करने को प्रेरित करते हैं ! यही तो है वो प्यारा सा धर्म  ......................................... जिसको न समझ पाने कि वजह से...................  हम उसकी तलाश ता उम्र जारी रखतें हैं ! अगर वो एहसास हर समय बना रहे तो ............ हमे धर्म  कि परिभाषा जानन

सड़क नहीं ट्रांसपोर्टेशन चाहिए

हमारे हुक्मरानों का दूरदृष्टि दोष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार सड़कों के निर्माण पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च करना चाहती है। केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने जब सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय संभाला था, तब उन्होंने यह भारी-भरकम घोषणा की थी। उनकी मंशा रोज 20 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की थी। आप कह सकते हैं कि आखिर इसमें हर्ज क्या है। सड़कें गांवों को आपस में जोड़ती हैं और शहरों के भीतर अंदरूनी यातायात की स्थिति को भी सुधारने का काम करती हैं। यहां मैं एक सुधार करना चाहूंगा। मंत्री जी की यह घोषणा गांवों या शहरों के संबंध में नहीं, बल्कि राजमार्गो के संबंध में है। यही नहीं, यह खर्च नए राजमार्गो के निर्माण पर नहीं बल्कि उनके विस्तार पर किया जा रहा है। फोरलेन हाईवे को सिक्सलेन हाईवे में बदला जा रहा है। पहला सवाल तो यही उठता है कि आखिर केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण पर इतना पैसा क्यों खर्च कर रही है, जबकि देश का आम आदमी इन राजमार्गो का बहुत कम इस्तेमाल करता है? भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़कों का नेटवर्क है। हमारे यहां 33 लाख किलोमीटर के दायरे में सड़कों का जाल फैला हुआ