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Showing posts from December 26, 2010

मिर्ज़ा ग़ालिब हाज़िर हो

“ हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ”… मिर्जा असादुल्लाह खान गालिब...ये वो नाम है जिसे पूरी दुनिया मिर्जा गालिब के नाम से जानती है। उर्दु शायरी का उनसे नायाब हीरा शायद ही कोई और होगा। उनकी इस शायरी के साथ सैकड़ो ऐसी शायरी हैं जिन्हे लोग आजतक याद करते हैं। खुद मिर्जा गालिब की उर्दु शायरी पर अनगिनत रिसर्च हो चुकी है और अब भी हो रही है। आज, यानि मिर्जा गालिब की 211वी जन्मतिथि (27 दिसम्बर 1797) है, ये सभी जानते है। लेकिन मिर्जा गालिब की जिंदगी का एक हिस्सा ऐसा भी है जो कम ही लोगों को मालूम है। मिर्जा गालिब के समय में अंग्रेजो ने दिल्ली पर अपना राज जमा लिया था लेकिन पुलिस व्यवस्था अभी भी मुगल कालीन थी। राजधानी दिल्ली में कोतवाल की ही हुकुमत चलती थी। उसका डंडा जिधर भी घूमता लोग डर के मारे अपने-अपने घरों में दुबक जाते थे। खुद मिर्जा गालिब भी मुगल सल्तनत के आखिरी राजकवि थे। आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर उनके ही समकालीन थे। लेकिन जिस तरह से अंग्रेजो ने बहादुर शाह जफर से दिल्ली की गद्दी छीन ली थी, उनके साथ मिर्जा गालिब सहित कई राजकवियो क
सी बी आई केंद्र सरकार के हाथ का खिलौना देश में सभी भ्रष्ट और अपराधियों को सबक सिखाने वाली एक मात्र संस्था सी बी आई केंद्र सरकार के हाथों का खिलौना बन गयी हे क्या भाजपा क्या कोंग्रेस और क्या जनता दल सभी पर कहीं न कहीं सी बी आई के दुरूपयोग के आरोप लगे हें और इसीलियें सी बी आई संस्था के निदेशक पद पर वफादार आदमियों की पदोन्नति की कोशिश की जाती हे वोह तो भला हो के कुछ मामलों में हाईकोर्ट की दखल अंदाजी से सी बी आई की कार्यप्रणाली मजबूत रही हे लेकिन एडरसन, बोफोर्स से लेकर छोटे बढे सभी मामलों में सरकार के हाथ में ही सी बी आई की चाबी रही हे । हाल ही में इस बात का सबूत सी बी आई के पूर्व निदेशकों ने अपनी प्रकाशित पुस्तकों में किया हे मेरा मानना हे के ऐसे सभी अधिकारी जो अपने पदों पर बने रहने के लियें सरकार के सभी दबाव झेलकर पद बनाये रखने के लियें चुप रहते हें चुप रहकर अपराध में शामिल रहते हें और फिर नो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली की तर्ज़ पर खुद को बेदाग़ और दबंग साबित करने की होड़ में किताबें लिख कर मिडिया में खबरें बनवाते हें मिडिया भी उनमें से किसी से यह सवाल नहीं करता के जब उन पर दबाव

मोदी की किताब ने बनाया रिकॉर्ड

विरोधियों की ओर से सांप्रदायिक होने का आरोप लगातार झेलने, लेकिन देश में गुजरात को एक विकसित राज्य के रूप में प्रसिद्धि दिलाने वाले वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एक और इतिहास रचने वाले हैं। खबर है कि ग्लोबल वार्मिंग पर उनकी लिखी हुई पुस्तक 'कन्वीनिएंट एक्शन' प्रकाशित होने से पहले ही रिकॉर्ड आर्डर प्राप्त कर रही है। पुस्तक की प्रकाशक मैकमिलन पब्लिशर्स इंडिया लिमिटेड के मुख्य प्रकाशक संजय सिंह ने बताया कि इस पुस्तक का पहला संस्करण 20,000 प्रतियों का था, लेकिन अब कंपनी के पास तकरीबन 40,000 कॉपी का ऑर्डर आ चुका है। इस पुस्तक का लोकार्पण मंगलवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम करेंगे। 240 पृष्ठों की इस पुस्तक की कीमत 495 रुपये से लेकर 595 रुपये होगी।
राजस्थान में आम आदमी के अधिकार सुरक्षित नहीं , कानून नाम की चीज़ नहीं हे यहाँ दोस्तों यह मेरा राजस्थान हे यहाँ जब भाजपा सरकार थी और गुर्जरों ने आन्दोलन कर जनता की सुख शांति तहस नहस की थी तब मेने और मेरे जेसे ना जाने कितने कोंग्रेसियों ने भाजपा सरकार को निकम्मी नाकारा कहते हुए विधि विधान के प्रावधान के तहत सरकार को बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली थी , में कोंग्रेसी था मेने भाजपा को हराने और कोंग्रेस को सत्ता में लाने का प्रयास किया और में ,मेरे साथी इस मामले में सफल भी हुए लेकिन आज करीब एक सप्ताह से राजस्थान में कहीं कानून नाम की चीज़ नहीं हें य्हना जंगल कानून लागू हे और जिसकी लाठी उसी की भेंस की तर्ज़ पर गुर्जर भाइयों ने उत्पात मचाया हे कानून तोडा हे और सरकार हे के हथाजोड़ी में लगी हे , यकीन मानिए रेलवे स्टेशन पर बस स्टेंड पर घर और दफ्तरों में आम आदमी के चेहरे पर यह खोफ देख कर मेरे अंदर का कोंग्रेसी मर गया और अब मेरे में एक आम इंसान आम हिन्दुस्तानी जाग गया हे । मेरे अंदर जब आम हिन्दुस्तानी जागा हे तो मेने पाया हे के राजस्थान में पहले भी गुर्जर भाइयों ने विधि विरुद्
बोलो कम सुनो ज्यादा दोस्तों आप सभी जानते हें जब हम बोलते हें तो हम वही बोलते हें जो हमे पहले से पता होता हे लेकिन सोचो जरा सोचो दोस्तों जब हम किसी दुसरे को ख़ामोशी ,धेर्य और संयम से सुनते हें उसे पढ़ते हें तो फिर हमें वोह सब मिलता हे जो नया एक दम नया होता हे हमें उसके बारे में पता नहीं होता हे यही हमारे लियें नई जानकारी हे सो प्लीज़ मेरी बात पर जरा गोर करना हैप्पी गुड मोर्निंग । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
देश के लियें कल का एक अफ़सोस नाक दिन दोस्तों कल यानि शनिवार की २५ तारीख जब लोग क्रिसमस की एक दुसरे को बधाइयां दे रहे थे तब हमारे देश के वैज्ञानिक खून के आंसू रो रहे थे , जी हाँ दोस्तों दक्षिणी भारत में श्री हरिकोटा जहाँ से हमने आसमान को दुनिया को हर बार जीता ही जीता हे वहीं से जी एस एल विमान रोकेट की उडान असफल हो गयी और इस असफलता में देश के १२५ करोड़ रूपये का नुकसान हुआ ही सही साथ ही देश के वैज्ञानिक भी सदमे में आ गये । कल अपरान्ह हमारे देश के वैज्ञानिकों की सालों की महंत से करीब १२५ करोड़ रूपये खर्च कर बनाया गया जी एस एल वी सिक्स जो जी सेट पी ५ को साथ लेकर उडान भरने वाला था और यह २इ की जगह लेने वाला था वोह विमान कुछ देर के लियें उड़ा और पल भर में ही बर्बाद हो गया पूरी उड़ान असफल हो गयी हमारे वैज्ञानिक इस हादसे या यूँ कहिये इस असफलता को खामोश खड़े तकते रहे , यह विमान हमारे वैज्ञानिकों की वर्षों की महंत का नतीजा था और इस विमान से हमारे देश की संचार तकनीक और दूसरी व्यस्थाओं के साथ साथ देश के सफलतम वैज्ञानिकों का साहस और भावनाएं जुडी हुई थी अचानक इस हादसे से देश और वैज
बालकों के अधिकार की किसी को क्या पढ़ी भाइयों कल मेरे एक मित्र यज्ञदत्त हाडा जी का संदेश आया के आज कोटा प्रेस क्लब में बाल अधिकार और मिडिया विषय पर संगोष्टी हे आप को आना हे मुझे एक आवश्यक निजी कार्य से श्योपुर मध्यप्रदेश जाना जरूरी था इसलियें माफ़ी चाही लेकिन इस कार्यक्रम के लियें मेने मंशा जता दी के अपने बालकों के नियम के साथ मीडिया शब्द जोड़ कर बहुत बहुत बुरा किया हे क्योंकि मिडिया इस खबर को ही या तो उड़ा देगा या फिर हाशिये पर ला कर पटक देगा । कल बल अधिकारों पर एक रचनात्मक संगोष्टी हुई सभी पत्रकार उपस्थित थे कहीं पत्रकार संगोष्टी के संवाद लिखना भूल नहीं गये हों इसलियें पत्रकारों को लिखित में प्रेस नोट और फोटू भेजे गये लेकिन विषय एक तो उबाऊ था दुसरे अख़बारों को इस खबर से कुछ मिलने वाला नहीं था इसलियें आज सुबह मेनें वापस आकर जब अख़बार उठाया तो कुछ अख़बारों से इस महत्वपूर्ण कार्यशाला की खबर गायब थी और कुछ में थी तो हाशिये पर वही हुआ जो मेने मिडिया में कई साल रहकर इसे नजदीक से देख कर सोचा था । दोस्तों आप जानते हें के देश का कोई भी १८ साल से कम का बच्चा चाहे परिजनों के सा