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Showing posts from January 29, 2010

भारत माता ---डा श्याम गुप्त ..

भारत माता भाल रचे कुंकुम केसर, निज हाथ में प्यारा तिरंगा उठाये। राष्ट्र के गीत बसें मन में, उर राष्ट्र के ज्ञान की प्रीति सजाये। अम्बुधि धोता है पाँव सदा, नैनों में विशाल गगन लहराए। गंगा यमुना शुचि नदियों ने, मणि मुक्ता हार जिसे पहनाये। है सुन्दर ह्रदय प्रदेश जहां, हरियाली जिसकी मन भाये । भारत माँ शुभ्र ज्योत्सनामय, सब जग के मन को हरषाये। हिम से मंडित इसका किरीट,गर्वोन्नत गगनांगन भाया। उगता रवि जब इस आँगन में, लगता सोना है बिखराया। मरुभूमि व सुन्दरवन से सज़ी, दो सुन्दर बाहों युत काया। वो पुरुष पुरातन विन्ध्याचल, कटि- मेखला बना हरषाया । कण कण में शूर वीर बसते, नस नस में शौर्य भाव छाया। हर तृण ने इसकी हवाओं के, शूरों का परचम लहराया । इस ओर उठाये आँख कोई, वह शीश न फिर उठ पाता है। वह दृष्टि न फिरसे देख सके, जो इस पर जो दृष्टि गढ़ाता है । यह भारत प्रेम -पुजारी है, जग हित ही इसे सुहाता है । हम विश्व शान्ति हित के नायक, यह शान्ति दूत कहलाता है। यह विश्व सदा से भारत को, गुरु जगत का कहता आता है। इस युग में भी यह ज्ञान ध्वजा, नित नित फहराता जाता है। इतिहास ब

लो क सं घ र्ष !: कैसे मिले गरीब को भोजन ?

महंगाई अपनी चरम सीमा पर है। आम आदमी की आय में कोई वृद्धि नहीं हो रही है। सरकार द्वारा सार्वजानिक वितरण प्रणाली उत्तर प्रदेश में ध्वस्त हो गयी है आपूर्ति विभाग के जिला पूर्ती अधिकारी से लेकर विपणन विभाग के अधिकारीयों तक केंद्र सरकार द्वारा सस्ते दामो पर उपलब्ध कराये खाद्यान को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से वितरित होता है किन्तु कई सालों से आपूर्ति विभाग के अफसर फर्जी लिखा पढ़ी करवाकर गेंहू को सीधे फ्लोर मीलों को बेच देते हैं। चावल को महंगे दामो पर खुले बाजार में बेचने का काम भी करते हैं अब जनता को सस्ते दामो पर दालें भी बेचने का काम आपूर्ति विभाग के जिम्मे किया गया है। भगवान् ही मालिक होगा आज जरूरत इस बात की है की इनके अधिकारियो और कर्मचारियों की संपत्तियों की जांच हो तो 99 प्रतिशत यह लोग आर्थिक अपराधी हैं और आर्थिक अपराधियों की जगह जेल होती है लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था में भ्रष्टाचारियों को ही व्यवस्था का प्रमुख बनाया जाता है । इस तरह से कैसे मिलेगी गरीब आदमियों की रोटी इस पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह है । सुमन loksangharsha.blogspot.com फोटो साभार: google

सियासत की बिसात पर नफरत के नायक

भारतीय राजनीति में ऐसे लोग बड़ी तेजी सीढ़ियां चढ़ते दिखाई देते हैं। जो नफरत की भाषा बोलते हैं। हालांकि इससे उन्हें भले ही तात्कालिक लाभ होता हो लेकिन दीर्घकालीन तौर नुकसान आम हिंदुस्तानी का ही होता है। महाराष्ट्र से ठाकरे एंड पार्टी उत्तर भारतीयों को खदेड़ती है तो लूटियंस की दिल्ली में विराजमान शीला दीक्षित भी राजधानी की दुर्दशा के लिए उप्र और बिहार के बाशिंदों पर निशाना साधती हैं। दूसरी ओर, गुजरात के नरेंद्र मोदी से लेकर वरुण गांधी तक मुस्लिम समुदाय के लोगों पर हमले करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। इनकी नजर में हर अल्पसंख्यक देशद्रोही है। कुछ लोगों ने प्रदेश की सीमाओं में भाषा-जाति के आधार पर भी अपनी सियासत चमकाई हुई है। देश के ऐसे ही नफरत की तिजारत करने वाले सियासी वीरों पर आइए नजर डालते है॥ ठाकरे की ठसक ॥हिंदुस्तान में यदि राजनीति का सबसे बड़ा खलनायक यदि कोई है तो वह हैं शिवसेना के प्रमुख बाला साहेब ठाकरे। कभी महाराष्ट्र के शेर के नाम से विख्यात ठाकरे भले ही बूढ़े हो गए हों लेकिन उनकी जुबान अभी भी आग उगल रही है। कभी सचिन तो कभी अमिताभ पर हमला साध चुके ठाकरे के निशान पर अब मुकेश

'दीप '

रातो को सोते से जागी थी जैसे में अकेली वैसे आसमा पे वो चाँद अकेला सा ताकता मेरी ओर सा ..निहिर सा कि कोई ऐसी ही तन्हायियो में दे साथ उसका गौर से देखा तो ...... चाँद को खुद से बाते करते हुए पाया वो बोला ...'किस कि यादो का आज तेरे आस पास ये रेला ' मै क्या कहती ? चुप हो गयी ....लिए आँखों में नीर की धारा.. मै चाँद से बोली .... 'देख लौट आया मेरा प्रीत मुझे देख अकेला ' प्यार का समंदर विश्वास का प्रतीक है वो दे का मुझे सुख की अनुभूति खुद को किया अश्रुओ के हवाले मुस्कान सौगात बन के मेरे लबो पे रहे खुदा से दुआ कर वो फिर मेरे सुने जीवन में बन कर आया आशा की किरण बीती स्मृतियों के 'दीप ' जला गया वो .... (..कृति ...अंजु...(अनु )...)