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Showing posts from December 26, 2008

हद से भी जायदा प्यार है तुमसे

सच ये दुनिया तुम्हारे बिना कितनी अधूरी है मेरा तुम्हारे बिना रह पाना मुश्किल है! अगर तुम नहीं तो मैं भी नहीं! मैं तुम्हारे लिए आसमान से तारे तोड़कर ला सकता हूँ !तुम्हारी एक खुशी के लिए मैं अपनी जान भी दे सकता हूँ !! शायद यही कह रही है ये तस्वीरें मगर किससे ये आपको तय करना है !मुझे तो लगता है की आज प्यार का मतलब काफी बदल चुका है, जायदा से जायदा लोगों को खुश रखना ही आज प्यार है यहाँ तो यही समझ आता है आपको क्या लगता है !! जरा हमे बताइए!!

पहचान : एक शाम की

"क्लासिकल म्यूज़िक का प्रोग्राम है, सुनने चलोगी?" पड़ोस की प्रौढ़ा जया मुखर्जी ने पूछा।"म्यूज़िक प्रोग्राम" सुनकर उसकी आँखें कुछ चमकी थीं, अरसा हो गया किसी संगीत कार्यक्रम या नाटक या किसी भी तरह के ऐसे महौल तक में गए हुए उसे।"कितने बजे हैं?" उसने उत्सुकता से पूछा।"पौने सात से शुरू होगा पर घर से साढ़े पाँच तक तो निकलना ही पड़ेगा। " मैनेज कर लो तो चलना, मैं जा रही हूँ" जया ने पूरी सूचना दे दी थी। जाने - आने का साथ भी है, जगह ढूँढने की दिक्कत से भी बचा जा सकता है। मन में लालच आ गया विनीता के।"देखती हूँ, कोशिश करती हूँ। सब काम हो गए तो फोन करूँगी आने का, हाँ लौटने में क्या बज जाएगा?" सब खबर रखना ज़रूरी था।"साढ़े नौ से दस के बीच का समय हो सकता है। चल सको तो अच्छा है पर न हो पाए तो कोई मलाल की बात नहीं, मेरे बच्चे छोटे थे तो मैं भी कहाँ जा पाती थी, यह ख्याल रहता था कि ये अकेले न रहें या मेरा उनके पास रहना ही मेरा सबसे बड़ा काम है।"जया शायद विनीता की मन:स्थिति समझ रहीं थीं। भीतर की माँ और निजी अस्तित्व में द्वंद्व शुरू हो गया था। &quo