चुनावी दौर लो जी ,फिर आया मौसम , चुनाव का फिर से मुद्दों कि मुहीम छिडी... फिर से शुरू हुई वोटो को मांगने की..भीख हर प्रत्त्याशी ने अपने पत्ते है खोले फिर से झूठे वादों का दौर आया ... कही तो बटे नोट ... तो कही हुआ गाली गलौच .. का माहौल .. फिर भी हर पॉँच साल बाद आये ये चुनावी माहौल ...... जो उठा कांग्रेस का पंजा .. तो डर के भागा हाथी....बहिन मायावती का उडी नींद सभी की जो जगी लालटेन लालू की ...इन सभी की बीच खिला जो फूल कमल का ...... ऐसा की जो आज तक कभी ना मुरझाया ... भले ..... ही पार्टी का हर कार्यकर्ता .. आपस मे लड़ भीडे ....पर हम नहीं सुधरेगे ...इसे पे है सब अडिग... लो जी ,फिर आया मौसम , चुनाव का ............. .(.....कृति...अनु....)