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Showing posts from March 19, 2009

चुनावी दौर...........

चुनावी दौर लो जी ,फिर आया मौसम , चुनाव का फिर से मुद्दों कि मुहीम छिडी... फिर से शुरू हुई वोटो को मांगने की..भीख हर प्रत्त्याशी ने अपने पत्ते है खोले फिर से झूठे वादों का दौर आया ... कही तो बटे नोट ... तो कही हुआ गाली गलौच .. का माहौल .. फिर भी हर पॉँच साल बाद आये ये चुनावी माहौल ...... जो उठा कांग्रेस का पंजा .. तो डर के भागा हाथी....बहिन मायावती का उडी नींद सभी की जो जगी लालटेन लालू की ...इन सभी की बीच खिला जो फूल कमल का ...... ऐसा की जो आज तक कभी ना मुरझाया ... भले ..... ही पार्टी का हर कार्यकर्ता .. आपस मे लड़ भीडे ....पर हम नहीं सुधरेगे ...इसे पे है सब अडिग... लो जी ,फिर आया मौसम , चुनाव का ............. .(.....कृति...अनु....)

औरत बनी औरत की ही दुश्मन.......

आज फिर औरत बनी औरत की ही दुश्मन आज फिर किया गया ...इस दिल को घायल फिर शुरू हुआ बददुयाओ का सिलसिला ... हुई है फिर से गलीगलोच ...किया गया एक माँ को बेईज्ज़त .....उसके ही बच्चे के सामने ... नहीं रखा गया ,मान उसका ....... सम्मान के हुए फिर टुकडे ........ आज फिर एक बहु को बेटी नहीं माना गया बहु जो है एक घर की रौनक ... जिसने दिया एक वंश को जन्म.... देखो किसी कि बातो से ...आज फिर है टूटी (कृति....अनु......)

गुलामों की बस्ती में

गुलामो की बस्ती में थे हम पर गुलामी से लड़ पड़े थे हम नामंजुर था गुलाम बनना करते गए ख़ुद को फना हम...................... उसकी चाहत थी ऐसी की ख़ुद को मिटटी बनाया एक आखरी आगोश ने उसके दुश्मनों का मिटटी पालित कराया......................... थर्राने लगे थी उनके कदम जब हमने कदम बढाया ये अफसाना भी तो देखो चाहत ने मेरे अपना फ़र्ज़ निभाया.......................... उसकी चाहत की तो हिम्मत थी एक कदम पर हम न घबराए धर दबोचा उन न पाखो को सीमा सा बहार फिक्वाया....................................... जान न्योछावर करते गए हम और कदम भी न पीछे हटाया उनकी चाहत में तो हमने हर दिन को दिवाली बनाया......................... देवाने थे हम उनके दीवानेपन आजादी का पागलपन चाय था हर आंगन माँ शोक न था हमें खोने का क्यूंकि खो कर भी हमने कुर्बानी को उनके आत्मविश्वास बनाया.......................................

आवश्यकता है ५४२ नालायकों की - कठोर टिप्पणी हेतु साधुवाद

मेरी पोस्ट " आवश्यकता है ५४२ नालायकों की " पर किन्हीं   BS की टिप्पणी के लिये उनका हार्दिक धन्यवाद।    इस प्रकार की पोस्ट पर एक रूढ़ि के रूप में , वाहवाही कर देने से बात वहीं की वहीं समाप्त हो जाती है जबकि विषय की गंभीरता मांग करती है कि इन प्रश्नों को मथा जाये।  आपने बहस चलानी चाही ,  इसके लिये आपको साधुवाद !  बी एस ने जिन बिन्दुओं को अपनी टिप्पणी में स्पर्श किया है , उनसे मेरी असहमति नहीं है।   मैं राज्य सभा का जिक्र नहीं कर रहा हूं।   राज्य सभा और लोक सभा की चयन प्रक्रिया बिल्कुल अलग है।   मेरा प्रयास सिर्फ हमारे संविधान की उन खामियों की ओर इंगित करना है जिनके चलते हमारे सांसदों की हर अगली पीढ़ी पहले वाली पीढ़ी की तुलना में निकृष्ट होती चली गयी है।     क्या ये सच नहीं है कि -   १ -    हमारे संविधान में सांसद या विधायक पद हेतु चुनाव लड़ने के लिये जो अर्हतायें निर्धारित की गयी हैं उनसे कहीं अधिक अर्हतायें किसी विद्यालय में चपरासी बनने के लिये निर्धारित होती हैं ?   हमारे देश के संविधान के प्रावधानों के अनुसार जो व्यक्ति स्कूल में चपरासी बनने के अयोग्य है , वह शि

सूर्य को क्यों जल चढ़ाते हैं

विनय बिहारी सिंह सूर्य को जल चढ़ाने से क्या कोई फायदा होता है? यह सवाल अक्सर पूछा जाता है। लेकिन हमारे ऋषि- मुनियों ने कहा है कि सूर्य को जल अर्पण करने से हमारे जीवन में सुख और शांति की वृद्धि होती है। कैसे? आइए जानें। पहले कुछ वैग्यानिक तथ्य। सूर्य पृथ्वी से १,४९,६००,००० किलोमीटर दूर है। इसका प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने में ८ मिनट १९ सेकेंड का समय लेता है। सभी जानते हैं कि सूर्य पृथ्वी के जीवों के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य के कारण जीवों को तो ऊर्जा मिलती ही है, पेड़- पौधों को भोजन भी सूर्य के कारण ही मिल पाता है। अगर सूर्य की किरणें न हों तो फोटोसिंथेसिस न हो और फोटोसिंथेसिस न हो तो पेड़- पौधे भोजन कैसे बनाएंगे? आखिर उनकी पत्तियों में मौजूद क्लोरोफिल बिना सूर्य के प्रकाश के कर ही क्या पाएगा? ऋषियों ने कहा है कि सूर्य को जल देने से उसकी अदृश्य प्रेम किरणें हमारे हृदय में प्रवेश करती हैं और हमारे शरीर के सारे हानिकारक तत्व नष्ट होते जाते हैं। हम रोज न जाने कितनी नकारात्मक परिस्थितियों से गुजरते हैं। सूर्य को जल चढ़ाते ही हमारे शरीर पर पड़े बुरे प्रभाव तुरंत नष्ट हो जाते हैं औ

ये जख्म गहरा है ....

ये जख्म गहरा है कोई मरहम दे दे । मेरी प्यास है बड़ी कोई सागर दे दे । तिल तिल कर मर रहा कोई एक उमर दे दे । अँधेरा गहरा रहा कोई चाँद की नजर दे दे । ये जख्म गहरा है कोई मरहम दे दे ।

पाकिस्तान में बलात्कार की शिकार सक्रियवादी ने विवाह किया

एक पाकिस्तानी महिला, जो अपने सामूहिक बलात्कार का मामला अदालत में ले जाने के कारण महिलाधिकारों का प्रतीक बन गईं हैं, उन्होंने विवाह कर लिया है.मुख़्तारन माई ने रविवार को पुलिस अधिकारी नासिर अब्बास गेबोल से विवाह करके सारी परंपराएं तोड़ दीं. सात वर्ष पहले उन पर सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आने के बाद वह सुर्ख़ियों में आ गईं थीं, तब श्री गेबोल को उनकी सुरक्षा का भार सौंपा गया था.सुश्री माई ने सन 2002 में उनका सामूहिक बलात्कार करने वाले पुरुषों के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही करके स्थानीय परंपराओं को चुनौती दी थी. उनके छोटे भाई पर लगाए गए अरोपों का बदला लेने के लिए आदिवासी परिषद ने उनके सामूहिक बलात्कार के आदेश दिए थे. वह आरोप कभी सिद्ध नहीं किए जा सके.पाकिस्तान में बलात्कार का शिकार महिलाएं कलंकित कहलाती हैं और आपराधिक आरोप लगाने वाली महिलाओं की संख्या अधिक नहीं होती. ऐसी महिलाओं के विवाह नहीं होते और निराश होकर वह आत्म हत्या कर लेती हैं.सुश्री माई के पति के हवाले से एसोसियेटेड प्रेस ने कहा कि वह उनकी “भारी हिम्मत” से प्रभावित हैं. आगे पढ़ें के आगे यहाँ

साम्प्रदायिकता के अकेले मुद्दे से देश नही चलता

बिहार की राजनीतिक भंवर में कांग्रेस की लुटिया डूब चुकी है । लालू और पासवान जो कल तक एक दुसरे को फूटी आँख नही सुहाते थे आज एक साथ खड़े हैं । कहने को तो यूपीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा जा रहा है पर हकीकत कुछ और ही है । कांग्रेस की झोली में ३ सीटो की भीख डालकर लालू ने तो उसे औकात बता दी है । १२ सीटो पर जोर आजमाइश कर रहे पासवान के तेवर भी बदले-बदले से दीखते हैं । लोजपा की सीटो में किसी प्रकार के समझोते से इंकार करते हुए रामविलास पासवान ने कांग्रेस के दावे को खारिज कर दिया है । मजबूरीवश चल रहे यूपीए गठबंधन में मनमुटाव साफ़ हो गया जब झारखण्ड में कांग्रेस ने सिबू सोरेन से सेटिंग -गेटिंग करके राजद को दो सीटो पर सीमित कर दिया । कभी एंटी -कांग्रेस की धार में बहने वाली राजनीति आज एंटी-भाजपा हो गई है । भाजपानीत एनडीए गठबंधन के अतिरिक्त जो भी गठबंधन बन रहे हैं वो केवल भाजपा को सत्ता में जाने से रोकने के नाम पर । साम्प्रदायिकता के नाम पर भाजपा विरोध की राजनीति पिछले एक दशक से चरम पर है । किसी को किसी से परहेज नही बस भाजपा को रोकना है । इस खिंचा तानी में वाम दल भी सीमा रेखा पर कर कांग्रेस के पास पहुँच गए

पर्दा व स्त्री : भूतकाल में स्थिति

"भूतकाल में स्त्रियों का अपमान किया जाता था और और उनका प्रयोग केवल काम वासना के लिए किया जाता था|" इतिहास से लिए निम्न उदहारण इस तथ्य की पूर्ण व्याख्या करते हैं कि पूर्व की सभ्यता में औरतों का स्थान इस क़दर गिरा हुआ था कि उनको प्राथमिक मानव सम्मान भी नहीं दिया गया था -     बेबीलोन सभ्यता औरतें अपमानित की जातीं और बेबिलोनिया के कानून में उनको हक और अधिकार से वंचित रखा जाता था | यदि कोई व्यक्ति किसी औरत की हत्या कर देता था तो उसको दंड देने के बजाये उसकी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया जाता था |     यूनानी सभ्यता   इस सभ्यता को प्राचीन सभ्यताओं में अत्यंत श्रेष्ट माना जाता है| इस 'अत्यंत श्रेष्ट' व्यवस्था के अनुसार औरतों को सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता था और वे नीच वस्तु के रूप में देखी जाती थी | यूनानी देवगाथा में 'पान्डोरा' नाम की एक काल्पनिक स्त्री पूरी मानवजाति के दुखों की जड़ मानी जाती है | यूनानी लोग स्त्रियों को पुरुषों के मुकाबले तुच्छ मानते थे | हालाँकि उनकी पवित्रता अमूल्य थी और उनका सम्मान किया जाता था, लेकिन बाद में यूनानी लोग अंहकार और काम वासना

अवार्ड अंकुरित चिट्टा-२००९ प्रतियोगिता निरस्त,जून माह में पुनः प्रारंभ होगी

जैसा की है सभी लेखकों और पाठकों को ज्ञात है की ''हिन्दुस्तान का दर्द''युवाओं का मंच है,ऐसे युवा जो दिल से युवा है ना की आयु से ! इसलिए ''हिन्दुस्तान का दर्द''ने युवा शक्ति संगठन, भारत के साथ मिलकर अवार्ड अंकुरित चिटठा २००९ प्रतियोगिता का आयोजन किया था !यह आयोजन युवा शक्ति संगठन के निर्देश पर किया गया था! लेकिन हमें खेद है की लोकसभा चुनावों की बजह से युवा शक्ति संगठन हमारी प्रतियोगिता के मूल्यांकन मे समय नहीं दे पा रहा है! इस बजह से यह प्रतियोगिता मई अंत तक के लिए निरस्त करनी पड़ रही है,अब हम इस प्रतियोगिता की शुरुआत जून माह से करेंगे! क्योंकि हम नहीं चाहते की युवा शक्ति संगठन के बिना इस प्रतियोगिता का मूल्यांकन या परिणाम तक किया जाये,क्योंकि ऐसा करने से ''हिन्दुस्तान का दर्द''के निर्णय पर संदेह की स्तिथि पैदा हो सकती है ! इसलिए हम आप लोगों से खेद प्रकट करते है ! आप लोगों के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन अवश्य होगा,तब तक आप अपने चिट्ठे को और अधिक विकसित कर लें! खेद के साथ..... संजय सेन सागर जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान आगे पढ़ें के आगे यहाँ

मेरी रचनाये नवभारत टाइम्स मैं देखें

फकीर मोहम्मद घोसी, फालना (राजस्थान) आप गर हमारी ज़िंदगी में आते और बात होती आकर फिर न जाते तो कुछ और बात होती हंसना गर आपकी फितरत में नहीं तो ये और बात है एक बार मुस्कुरा कर भी ... http://navbharattimes.indiatimes.com/valentineshow/4118198.cms- 30k- Cached - Similar Pages एक अनसुलझा रहस्य -किस्से-कहानियां ... 17 फ़र 2009 ... फकीर मोहम्मद घोसी, राजस्थान वातावरण जब शान्त होता है, तन्हाई होती है तो अमीर का मस्तिष्क अतीत की यादों में खोने लगता है। वही घटना मस्तिष्क पर चलचित्र की भांति चलने ... http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4124415.cms- 52k- Cached - Similar Pages मां की ममता का मोल-कविता/शायरी-पाठक ... 26 फ़र 2009 ... फकीर मोहम्मद घोसी, राजस्थान मां की ममता है बड़ी अनमोल क्षमा, दया, करूणा, उसके शील वह होती धीर, गंभीर, सुशील। वह होती क्षमा का मूल देती है खुशियां मिटाती अवसाद ... http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4134367.cms- 45k- Cached - Similar Pages राजनीति बनाम राजनेता-कविता/शायरी ... फकीर मोहम्मद घोसी , राजस्थान नीति जिसमें रहता राज राज को जानने वाले होत

अमेरिकी यूनिवर्सिटी में गीता पढ़ना हुआ जरूरी !

अमेरिका की सेटन हॉल यूनिवर्सिटी में सभी छात्रों के लिए गीता पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है। इस यूनिवर्सिटी का मानना है कि छात्रों को सामाजिक सरोकारों से रूबरू कराने के लिए गीता से बेहतर कोई और माध्यम नहीं हो सकता है। लिहाजा उसने सभी विषयों के छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम के तहत इसकी स्टडी को जरूरी बना दिया है। यूनिवर्सिटी के स्टिलमेन बिजनस स्कूल के प्रफेसर ए. डी. अमर ने यह जानकारी दी। यह यूनिवर्सिटी 1856 में न्यू जर्सी में स्थापित हुई थी और एक स्वायत्त कैथलिक यूनिवर्सिटी है। यूनिवर्सिटी के 10, 800 छात्रों में से एक तिहाई से ज्यादा गैर ईसाई हैं। इनमें भारतीय छात्रों की संख्या अच्छी-खासी है। गीता की स्टडी अनिवार्य बनाने इस फैसले के पीछे प्रफेसर अमर की प्रमुख भूमिका रही। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में कोर कोर्स के तहत सभी छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम होता है, जिसकी स्टडी सभी विषयों के छात्रों को करनी होती है। 2001 में यूनिवर्सिटी ने अलग पहचान कायम करने के लिए कोर कोर्स की शुरुआत की थी।   इसमें छात्रों को सामाजिक सरोकारों और जिम्मेदारियों से रूबरू कराया जाता है। अमर ने बताया कि

प्यार एक जुनून ग़ज़ल....

दर्द बनकर जिगर में छुपा कौन है मुझ में रह रह कर ये चीखता कौन हैएक तरफ दिल है एक तरफ आइना देखना है मुझे टूटता कौन है तुम मुझे भूल जाओ यह मुमकिन नहीं तुमको मेरी तरह चाहता कौन हैजब तुझे दिल से अपना बना ही लियाहोंगे बदनाम हम सोचता कौन है shair कहते मुझे मजबूर करता है तो अलीम हूँ यह आज़मी कौन है ।

aye meri jane gazal

ए मेरी जाने ग़ज़ल ...... ए मेरी जाने ग़ज़ल....... कोई मिलता नहीं ही तेरी तरह तेरा बदल ए मेरी जाने ग़ज़ल..... ए मेरी जाने ग़ज़ल.... तेरी आंखें है या कोई जादू..... तेरी बातें है या कोई खुशबू.... जब भी सोचता हूँ तुझको दिल जाता है मचल ए मेरी जाने ग़ज़ल....... तेरी यादों में रोज़ रोता हूँ सुबह होती है तो मैं सोता हूँ तुझको पाने में खुद को खोता हूँ तू मुझे अपना बना ले या मेरे दिल से निकल ए मेरी जाने ग़ज़ल........ हर सू बजती है शहनाई खुशबू बनती है पुरवाई जब तू लेती है अंगडाई यूँ खिले तेरा बदन जैसे कोई ताजा कँवल ए मेरी जाने ग़ज़ल......... पागल कर देगी तेरी तन्हाई कैसे सहूँ मैं तेरी जुदाई अब तो आजा ए हरजाई बिन तेरे मेरा गुज़रता नहीं मेरा एक पल ए मेरी जाने जाने ग़ज़ल........ मैं तेरा दिल हूँ तू धड़कन है मैं चेहरा हूँ तू दर्पण है मैं प्यासा हूँ तू सावन है मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज़ महल ए मेरी जाने ग़ज़ल....... ए मेरी जाने ग़ज़ल.............